Book Title: Sammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Author(s): Mohanraj Bhandari
Publisher: Vasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir

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Page 58
________________ "सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?" अध्यादेश जारी करना चाहती है उसका मसौदा पढ़ते ही इस बात का पता चल जाता है। बिहार की सरकार किस तरह से दिगम्बरों के मोहरे का किरदार निभा रही है इसका पता इस बात से चलता है कि सूचित अध्यादेश का पूरा मसौदा, प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री डी. के. जैन नामक दिगम्बर सदस्य ने तैयार किया है। ये महाथय सरकार के कानूनी सचिव भी रह चुके हैं। हालांकि दिगम्बर एक बात भूल रहे हैं कि अगर यह तीर्थ सरकार के अंकुश के तहत आ गया तो इसकी पवित्रता ही खत्म हो जायेगी और सम्प्रदाय को भी इसका मनोवांछित लाभ नहीं मिलेगा। बिहार सरकार के सूचित अध्यादेश की एक से ज्यादा दफाएं ऐसी हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि सम्मेत शिखरजी तीर्थ के संचालन में आखिरी सत्ता सरकार की ही होगी और यह तीर्थ जैनों का न रहकर एक भ्रष्टाचारी सरकारी महकमा बन जायेगा।" सम्मेद शिखर-विवाद के सम्बन्ध में "माया"ने अपने 15 मई 1994 के अंक में एक विस्तृत लेख प्रकाशित करने के साथ ही कुछ चित्र भी प्रकाशित किये थे। इसमें एक चित्र श्वेताम्बरों और दिगम्बरों की बैठक का है। इस चित्र के नीचे लिखा है-स्वयंभू पंचः श्वेताम्बरों और दिगम्बरों की बैठक में लालूप्रसाद यादव। उक्त लेख में 8 अप्रेल 94 की बैठक के दौरान बैनेट कॉलमेन कम्पनी (जो टाइम्स ऑफ इण्डिया-नवभारत टाइम्स आदि का प्रकाशन करती है) के मालिक साहू अशोककुमार जैन जो भारत वर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष हैं, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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