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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
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उसका बिन्दुवार उत्तर देने के बाद भी यह बहस कहीं रूकने वाली नहीं है क्योंकि कुतर्कों का क्या कभी कहीं अन्त हुआ है?
झूठ एवं फरेब की भी हद होती है। उक्त लिफलेट में पता नहीं किस पिनक में दर्शाया गया है कि "समस्त जैन समाज इस अध्यादेश के प्रति बिहार सरकार का रिणी रहेगा"जब कि कुछ दिगम्बरों को छोड़ कर पूरा जैन श्वेताम्बर समाज (मन्दिरमार्गी, साधु-मार्गी एवं तेरापंथी) इस अध्यादेश की कड़ी निन्दा करते हुए इसे तुरन्त निरस्त करने की पुरजोर मांग कर रहा है। लोकसभा और राज्य सभा तक में इस अध्यादेश को निरस्त करने की आवाज उठी हैं।
सुभाष जी! समस्त जैन समाज का अर्थ केवल दिगम्बर समाज के आप जैसे कुछ लोग तो नहीं होते हैं। यह तो आप भी खूब अच्छी तरह जानते हैं फिर सरकार एवं आम जनता को पग-पग पर भ्रमित कर आखिर उन्हें आप कहाँले जाना चाहते
हैं?
"संकटों की आन्धी में सम्मेत शिखरजी तीर्थ"पुस्तक में श्री संजय वोरा ने सत्यों एवं तथ्यों के सहारे वस्तुस्थिति को प्रस्तुत करते हुए पृष्ठ 39 पर लिखा है
"अदालत के युद्ध द्वारा सम्मेत शिखर तीर्थ पर कब्जा जमाने में नाकाम हुए दिगम्बरों ने आखिरी उपाय के तौर पर बिहार की तत्कालीन लालूप्रसाद यादव की सरकार को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का खतरनाक खेल शुरू किया है। बिहार सरकार जो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com