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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
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दिगम्बर समाज की सर्वश्रेष्ठ प्रवृत्ति-त्याग और उसकी उज्जवल छविको थोड़े से स्वार्थ के लिए कलंकित करना निश्चय ही स्वयं के पैरों पर कुल्हाडी मारने जैसा कृत्य है।
हमें बहुत पीड़ा के साथ कहना पड़ रहा है कि सम्मेद शिखरजी के मामले में कितने निम्न स्तर तक धोखाधड़ी का
खेल, खेला जा रहा है। 8 मई 1998 में "श्वेताम्बर जैन" में प्रकाशित सरकारी आदेश से हम सभी की आँखें खुल जानी चाहिए
श्री ए.पी.सिंह उपायुक्त गिरीडीह (बिहार) ने एक पत्र 17 अप्रेल 1998 को महामंत्री श्री दिगम्बर जैन सम्मेदाचल विकास कमेटी मधुबन, शिखरजी गिरीडीह को लिखा है जो निम्न प्रकार
____विषय-अभूतपूर्व पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव सम्मेदशिखर के सम्बन्ध में।
उपर्युक्त विषय के सम्बन्ध में आपके पत्रांक ५/९८-९९ दिनांक ११.४.९८ द्वारा मधुबन अवस्थित श्री दिगम्बर जैन सम्मेदाचल विकास कमेटी द्वारा पंचकल्याणक पूजा कार्यक्रम आयोजित करने की सूचना दी गयी है, जिसके लिए विधि-व्यवस्था बनाये रखने हेतु अधोहस्ताक्षरी के पत्रांक १३०५/ गो. दिनांक १२.४.९८ द्वारा पत्र निर्गत किये गये हैं, लेकिन विशेष शाखा द्वारा प्राप्त सूचना के अनुसार आप लोगों के द्वारा अभूतपूर्व पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव दिनांक २५.४.९८ से १.५.९८ तक होने जा रहा है तथा यह विवादित स्थल
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