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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
से केवल दिगम्बर समाज के नेता हैं तथा दिगम्बर समाज के दो धड़ों में से मात्र एक धड़े का नेतृत्व कर रहे हैं । उसमें भी 100 प्रतिशत लोग उन्हें अपना नेता माने, यह बात नहीं है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि जैन संघ के 1/8 हिस्से से भी कम लोग उनके नेतृत्व को स्वीकार कर रहे हैं।
इन्हीं के एक अखबार में 3 फरवरी 1998 के पृष्ठ 5 पर छपा कि
श्वेताम्बर जैन समाज के सर्वोच्च ट्रस्ट आनन्दजी कल्याणजी के मानद सदस्य और खरतरगच्छ महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उद्योगपति श्री हजारीमल बांठिया की ओर से प्रधानमंत्री श्री इन्द्रकुमार गुजराल को लिखे गए पत्र में उल्लेख किया है कि स्वतंत्रता की स्वर्ण जयन्ती वर्ष में भी भ्रष्ट नेता और अधिकारियों पर अकुंश नहीं लगा है किन्तु प्रतिष्ठित उद्योगपति साहू अशोक जैन को उत्पीड़ित किया जा रहा है जो सर्वत्र निन्दनीय है।''
जब कि श्री हजारीमलजी बांठिया से मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि मुझे तो इस विषय में कुछ पता भी नहीं एवं न ही मैंने ऐसा कोई पत्र दिया, मुझे तो खुद आश्चर्य हुआ, जब इस समाचार के तीनचार दिन बाद अपनी यात्रा से मैं हाथरस लौटा तो मेरे एक मित्र ने बताया कि अखबार में आपका वक्तव्य छपा है। सफेद झूठ लिखा जा रहा है। - ललित नाहटा।
पग-पग पर भ्रामक प्रचार एवं धोखधड़ी कर प्रथम तो प्रबन्धन में हिस्सेदारी प्राप्त करना बहुत कठिन है। द्वितीय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com