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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
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ओर धकेलने की पृष्ठ भूमि तैयार कर रहा है। ऐसी स्थिति में जैन समाज के प्रबुद्ध लोगों को सम्प्रदाय की भावना से ऊपर उठ कर गम्भीरता से चिन्तन-मनन करना बहुत ही आवश्यक हो गया है।
हमें यह जानकर अच्छी अनुभूति हुई कि प्रसिद्ध समाजसेवी एवं अनुभवी पत्रकार, जो 50 वर्षों से पत्रकार-जगत एवं समाज में सुविख्यात हैं, श्री मोहनराज भण्डारी "सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?' शीर्षक पुस्तक लिख रहे हैं।
पुस्तक के मुख्य लेख की पाण्डु लिपी देखी और बहुत अच्छी लगी। आशा है कि यह पुस्तक समूचे जैन समाज को सम्प्रदाय की भावना से ऊपर उठकर सोचने-समझने की प्रेरणा देगी।
यदि इस पुस्तक का गुजराती और अंग्रेजी भाषा में अनुवाद हो सके तो समाज के हित में होगा । पुस्तक का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो यही हमारी मंगल कामना है।
हम चाहेंगे कि केन्द्रीय सरकार पुस्तक में उल्लेखित सत्य और तथ्यों पर गम्भीरता से विचार कर ही कोई कदम उठायें। ढोल (उदयपुर)
-जयन्त विजय ता. 2 जून 1998
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श्री विक्रमसेन विजयजी म.सा. सुविख्यात पूजनीय तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी के तथाकथित विवाद के बारे में “सम्मेद शिखर विवाद क्यों और कैसा ?'' पुस्तक निकाल कर आप सेवा का बड़ा कार्य कर रहे हैं जो अनुमोदनीय है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com