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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
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अनुभवी पत्रकार श्री मोहनराजजी भण्डारी सम्मेद शिखरजी के तथाकथित विवाद और भ्रान्तियों के निवारण हेतु “सम्मेद शिखर विवाद क्यों और कैसा ?' शीर्षक पुस्तक लिख रहे हैं।
उक्त पुस्तक के सम्पादकीय की प्रतिलिपि ध्यान से देखी और लगा कि सभी को सही स्थिति समझने-सोचने में तथा सरकार को न्याय करने-कराने में यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी, ऐसा हमारा अपना विश्वास है।
यदि तत्काल इस पुस्तक का गुजराती भाषा में अनुवाद हो सके तो अधिक उपयुक्त होगा। वैसे यह पुस्तक तो बहुत पहिले ही प्रकाशित हो जानी चाहिए थी।
हार्दिक मंगल कामनाओं के साथनगपुरा तीर्थ
-कीर्तिचन्द्र विजय ता. 15 जून 1998
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पंन्यास श्री भुवन सुन्दर विजयजी म.सा. अपने तीर्थ स्थानों की पवित्रता और सुरक्षा की रक्षा करना समूचे जैन समाज का प्रथम और अनिवार्य धर्म है जो लोग इस धर्म का पालन नहीं करते-करते उन्हें अपने को जैन कहलाने का कोई अधिकार नहीं है।
समय की चुनौती को स्वीकार कर हमें भगवान महावीर के युग की ओर लौटना पड़ेगा। ___जैन धर्म आज जिन चुनौतियों के बीच से गुजर रहा है उनका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com