Book Title: Sammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Author(s): Mohanraj Bhandari
Publisher: Vasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir

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Page 30
________________ 28 "सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?" • यद्यपि मैं भारत से दूर ही नहीं बहुत दूर हूँ लेकिन अपनी मातृभूमि की गतिविधियां, विशेषकर जैन समाज की हलचल जानने के लिए सदा उत्सुक रहती भारत के महान तीर्थस्थल सम्मेत शिखरजी के तथाकथित विवाद को लेकर जैन समाज में जो उग्र हलचल चल रही है वह निश्चय ही भारी पीड़ाजनक है। ऐसे पवित्र स्थान को व्यक्तिगत स्वार्थ में उलझा कर विवादस्पद स्थिति उत्पन्न करना अक्षम्य अपराध है। वर्षों से चली आ रही परम्परा, को हक प्राप्त करने के लालच में छिन्न-भिन्न कर सरकार को दखल देने का अवसर उपलब्ध कराना किसी भी दृष्टि से न तो उपयुक्त है और न समाज व धर्म के हित में है। मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि इस पवित्र तीर्थस्थल के बारे में फैलाये गये और फैलाये जा रहे भ्रामक प्रचार के निवारण हेतु लोकप्रिय और अनुभवी पत्रकार आदरणीय मोहनराजजी साहब भण्डारी "सम्मेद शिखर विवाद क्यों और कैसा" शीर्षक पुस्तक लिख रहे हैं। यदि उक्त पुस्तक का सभी भाषाओं में, विशेषकर गुजराती और अंग्रेजी भाषा में अनुवाद भी प्रकाशित किया जाये तो बहुत ही सामयिक और उपयोगी होगा। हार्दिक शुभ कामनाओं के साथकोफू (टोकियो, जापान) -श्रीमती मीनू अथोक जैन ता. 9 अगस्त (शहीद दिवस) 1998 एम.कॉम. **** • हमें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सुप्रसिद्ध समाजसेवी एवं चिन्तनशील अनुभवी वरिष्ठ पत्रकार श्री मोहनराजजी भण्डारी, सम्मेद शिखरजी महातीर्थ से सम्बन्धित तथाकथित विवाद के बारे में सत्यों और तथ्यों के साथ जो पुस्तक लिख रहें, वह स्तुत्य एवं अनुमोदनीय है। मैं ऐसा अनुभव करता हूँ कि तथाकथित विवाद से सम्बन्धित जानकारी श्वेताम्बर समाज के बहुत ही कम लोगों को है। ऐसी स्थिति में पुस्तक बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी। इस पुस्तक का व्यापक प्रचार-प्रसार पर्युषण महापर्व के अवसर पर अवश्य किया जावे। आपके उपरोक्त अति आवश्यक व सामयिक प्रयास की सफलता हेतु मैं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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