________________
"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
को नष्ट न कर सकें। __5. श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन आचार्यों एवं मुनियों ने तो इसे अनुचित कहा ही है, युग प्रधान अणुव्रत अनुशास्ता पूज्य संत श्री तुलसीजी, आचार्य श्री महाप्रज्ञजी तथा प्रज्ञावान यशस्वी आचार्य श्री देवेन्द मुनिजी ने भी खुले शब्दों में सरकारी हस्तक्षेप की नीति पर अपनी असहमति जताई है। इस सन्दर्भ में आप अपने श्री संघ से तथा व्यक्तिगत रूप से भी विरोध पत्र महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं बिहार सरकार के मुख्य मंत्री को भेजें।
6. हम यह भी कहना चाहते है कि :(क) प्राचीन समय से तथा कानूनी और व्यवहारिक दृष्टि से
सम्पूर्ण श्री पार्श्वनाथ पर्वत का नियन्त्रण, प्रबंध और स्वामित्व श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज के पास रहा है। श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज की सामूहिक प्रतिनिधि संस्था श्री आनंदजी कल्याणजी ट्रस्ट इसका संचालन कर रही है। यह तथ्य बड़ा स्पष्ट है, गैर विवादित है और समय-समय पर बिहार सरकार एवं विभिन्न न्यायालयों द्वारा प्रमाणित है। बिहार का भूमि सुधार कानून 1953 धार्मिक तीर्थों पर लागू नहीं होता। इसलिए इस पवित्र तीर्थ का बिहार सरकार के पास स्वामित्व का प्रश्न ही नहीं है अपितु यह तीर्थ श्री
श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज के ही स्वामित्व एवं नियन्त्रण । में यथा पूर्व चल रहा है। (ख) दिगम्बर भाइयों को इस पवित्र तीर्थ पर पूजा का हक है और Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com