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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
पक्षपात पूर्ण ढंग से छाप रहे हैं । एतद् हेतु अन्य महानुभाव तथा उनके व्यक्तित्व का प्रयोग किया जा रहा है । इसलिए हमारा निवेदन है कि पूरे पक्ष को समझने के लिए आप नवभारत टाइम्स'' और ''टाइम्स ऑफ इण्डिया'' पर विश्वास न करें। देश के अन्य समाचार पत्रों के माध्यम से सही वस्तुस्थिति की जानकारी लें।
___ 4. गत सप्ताह साहू श्री रमेशचन्द्र जैन ने सभी सांसदों को एक पत्र भेजा है जिसमें सफेद झूठ कहा गया है कि जैन समाज का 85 प्रतिशत वर्ग इस काले अध्यादेश का समर्थन कर रहा है । तथ्य तो यह है कि सारे देश में दिगम्बर भाइयों की संख्या जैनों की कुल संख्या की 30-35 प्रतिशत के लगभग है और पूरा दिगम्बर जैन समाज भी इसका समर्थन नहीं कर रहा है। मध्यप्रदेश में तो दिगम्बर समाज के एक वर्ग ने इस अध्यादेश के विरोध में अखबारों में वक्तव्य दिए हैं । श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज एकजुट होकर इसका पुरजोर विरोध कर ही रहा है। तो ऐसे में 85 प्रतिशत की बात कहकर उन्होंने यह कहने का अनैतिक साहस किया है कि "स्थानकवासी'' और 'तेरापंथी'' इस काले अध्यादेश का समर्थन कर रहे हैं। हमारे इन दोनों प्रमुख समाज के भाइयों ने कभी इसका समर्थन नहीं किया तथा कभी इन तीर्थों पर अपनी दावेदारी नहीं जताई। श्वेताम्बर समाज में फूट डालने की कुटिल चाल वे चलना चाहते हैं, जिसमें वे सफल नहीं होंगे। जैन समाज का बहुमत इस अध्यादेश का विरोध कर रहा है और हमारी आपसे प्रार्थना है कि आप इस विषय में अपना प्रखर विरोध प्रकट करें ताकि वे झूठ के सहारे पवित्र तीर्थ की गरिमा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com