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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
याचिका नं. 224-94 दायर की है। ऐसी स्थिति में दिगम्बर समाज द्वारा अपर्याप्त सुविधाओं की शिकायत करना कहाँ तक
और कैसे न्याय संगत कहा जा सकता है ? सच बात तो यह है कि दिगम्बर समाज किसी भी तरह केवल प्रबन्ध में भागीदारी चाहता है लेकिन प्रबन्ध में भागीदारी प्राप्त करने के लिए उल्टेसुल्टे रास्ते अपनाने से मनोवांछित सफलता भला कैसे प्राप्त होगी?
इस ऐतिहासिक तीर्थ का संक्षिप्त परिचय और प्रबन्ध से सम्बन्धित कुछ तथ्यों का विवरण श्री ललित नाहटा द्वारा प्रस्तुत हम यहाँ ज्यों का त्यों दे रहे हैं जो समूचे जैन समाज को सही दिशा में सोचने की प्रेरणा देगा -
तीर्थ परिचय "तीर्थाधिराज श्री सम्मेत शिखर जी (पारसनाथ), मधुबन, बिहार श्री सम्मेतशिखर तीर्थ
तीर्थाधिराज ० श्री थामलिया पार्श्वनाथ भगवान, थ्याम वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग ९० से.मी., जल मन्दिर (श्वेताम्बर मन्दिर)।
तीर्थ स्थल ० मधुबन के पास समुद्र की सतह से ४४७९ फुट ऊंचे सम्मेतशिखर पहाड़ पर जिसे पार्श्वनाथ हिल भी कहते हैं।
प्राचीनता ० यह सर्वोपरि तीर्थ सम्मेतशैल, सम्मैताचल, सम्मेतागिरी, सम्मेतथिखरि, समिदिगिरी आदि नामों से भी संबोधित किया जाता था। वर्तमान में यह क्षेत्र सम्मेतशिखर व
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