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" सम्मेद शिखर- विवाद क्यों और कैसा?"
संदेश एवं शुभकामनाएं
आचार्य श्री कलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा.
यह जानकर खुशी हुई कि श्री वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मन्दिर अजमेर एक ज्वलन्त विषय श्री सम्मेद शिखर- विवाद पर वरिष्ठ पत्रकार श्री मोहनराज भण्डारी से एक पुस्तक लिखवा रहा है।
उक्त पुस्तक “सम्मेद शिखर विवाद क्यों और कैसा ?'' के मुख्य आलेख की प्रतिलिपी देखी, अच्छा प्रयास लगा ।
वैसे संसार सागर से पार उतरने के लिए तीर्थ भूमियां निश्चय ही एक जहाज के समान हैं । तीर्थ स्थानों का भ्रमण करने पर मनुष्य के भाव पवित्र एवं शुद्ध बनते हैं। ऐसे अवसर पर मनुष्य की तीर्थस्थानों के प्रति जितने अंशों में श्रद्धा होगी उतने ही अनुपात में वह पवित्रता का लाभ प्राप्त कर सकेगा ।
तीर्थ में आकर हमें क्लेश, कषाय एवं कदाग्रहों से मुक्त होने की सच्ची प्रार्थना करने का वास्तविक प्रयास करना चाहिए। इसके विपरीत तीर्थ के नाम पर हम क्लेश-कदाग्रह बढ़ायेंगे, कषायों को विशेष उद्दीप्त करेंगे तो तीर्थ की उपासना- सुरक्षा करने की हमारी पात्रता ही समाप्त हो जायेगी ।
सत्य एवं न्याय पक्ष के अतिरिक्त हम जो भी झूठ, कुटिलता, राजकीय दबाव एवं जोर जुल्म की राह से तीर्थ पर हक प्राप्त करने का प्रयत्न करेंगे तो वह हमारी सज्जनता पर एक कलंक ही प्रमाणित होगा ।
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