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पृष्ठ
४८
५०, ५१
26
६१ ह२
११६
१२०
१२१
१२२
عة ؟
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१३१
17
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99.
१४२
१६०
37
१६१
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१६६
पंक्ति
X
३६
३७
५
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२१
३८
२५
१२
३६
३८
3
१७, २६
२०, ३०, ३३
२७
३३
२३
३६
प्रस्तावनाका संशोधन
अशुद्ध
शुद्ध
उपस्थित करके
उपस्थित न करके
( ५० वें पृष्ठका मैटर ५१ वें टपर और ५१ वेंका मैटर ५० वे पृष्ठ पर छप गया है अतः पृष्ठ ५० को ५१ तथा ५१ को ५० बना
ले और तदनुसार ही पढ़ने की कृपा करें । )
धवला
निम्नकरण
आकिकी
जाता है
पिदिष्टा
वत्तव्य
襄
विषोग्रह
प्रासादस्थिात् विविध तीर्थकल्प
द्वात्रिशकाओं
बतलाया
जीवन वृत्तान्त
त्रियेण आर्यवपुद्राचार्य
रुकै
सिरूसेन
उल्लेख
करते हुए लिखा है—
जयधवला
निम्न कारण
आदिकी
जाता है ?
निर्दिष्टा
वत्तवं
है
विषोयग्रह
प्रासादस्थितात्
विविधतीर्थकल्प
द्वात्रिंशिकाओं
बतलाता
जीवनवृत्तान्त
त्रयेण
खट्टाचार्य
रुकैरिव
सिद्धसेन
उल्लेख करते हुए लिखा है
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