Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 517
________________ घ पृष्ठ अशुद्ध २ अग्गमहि समं अजधाचार ३७२ ४ अट्ठ १२-११३ ४ श्रट्टण्णव उत्रमारणा ४ प्रति ५ श्रहं बारस वग्गे • ५ अट्ठारस जोयणाई ६ अट्ठावीस ६ श्रयि ७ ७ ज • १०८ यत्ते जो अड्ढरस य अरणलस्स = पडसोलस बत्तीसा ६ अट्टी बंध तयं ६ ट्टि संखेज्जा गिदि दे १० १३ अपि य • १६ व २० अविरा ७०३६ २४ अंगुल असंखगुणिदा गो. क. २८ आदे ससहर राहणणिजुत्ती ३० ३२ आहदि मुणी ३२ आदि सरीराणं ३४ इसय अठार ३४ हगतीसं ४० ४७ उवरिल्लपंचया ५० ए ए पुव्वपदिट्ठा ५३ गक्क्क्क ५५ एत्थ पत्तो आऊ ५५ एत्थं गिर गईए ५६ एदम्मिय तम्मिस्से ६२ एवं जिणाांतरालं शुद्ध अगमहि ससमं अजधाचार ३-७२ | ६८ कत्तिय " कि हे ५४४ पृष्ठ अशुद्ध ६५ एसा जिणा अट्ठट्ठ १२ - १११ ६८ कद्दम पहव ६६ कमदारणी १७८१ अट्टगत्रवमाणा शुद्धि-पत्र ५ शुद्धि-पत्र • अट्ठतिय एवात्र अट्ठय बारHarit अट्ठरस-जोगाई अट्ठावीसं १०७ अट्ठियअणेयभुत्ते अव जोय अहि अड्ढस्स अरणलसस्स ड सोलस बत्तीसा अट्टीबंध तियं यही संखेज्जागिरहदि देहं एकेक अवि य विय विरा - १०३६ अंगुल असंख गुणिदा गो.जी. हे सर श्रराणिजुत्ती हरदि मुणी हरदि सरीराणं .. इगसयअठार इगतीसं उक्कट्टेहिं (उग्गाढेहिं) उवरिलपंचये X ७७ कुज्जा वामरण तरपुरणा कूडागारा महरिह ८३ गरिणणिज्जक्खसु ८४ गगाकूड पमुत्तो ८५ गंगा-सिंधुगणं ८६ गिद्धउ लय भारुंडो ६५ चरयाय १२२ जे भूदिकम्ममत्ता | १२३ जे मंदरजुत्ताइं | १२३ जे सोलस कप्पाणं १२४ जो इट्ठा (जोइस) २२८ जोयर य छस्स | १३६ णवदुत्तरसत्तस‍ १४१ गाभिगिरी १४२ क्खित्तु मूला० १४२ क्खित्त गो. जी. | १४२ णिग्गच्छ य १४५ गिरयबिला २१०१ | १४६ तच्चिय दीवं वासो (सं) १४६ तट्ठाण दो दो दो (१) | १५१ ततो तविदो ३२३ X X प० २-४३ एदम्मि तम्मि देसे | १५१ तत्तो दो इद (ह) एवं जिरणारण समयंतराल | १५१ तत्तो दो वे वासो शुद्ध एसा जाणं कत्तिय किएहे ७-५४४ कद्दम पह कमहाणी - ४ - १७८१ तिलो प. ६७ चागो ३३६ ६६ चोदसया छा सा जम-रियम - दीव | ११३ जंगियम- दीव | १२१ जुवराय - वकलत्ताण (?) जुवराय -महल्ला गं १२२ जे ग्रुपु जे पुरण जे भूदिकम्ममता कुज्जा वामण-तरणुगा astगार महारिह X गंगाकूड पत्ता गंगा-सिंधु हिं गिद्ध-उलूय - भारुडो चरया य तिलो. सा. धागो ३-३६ X जे सोलस - कप्पारिंग जोइ (जो इसगरण) जोयरणयछस्स X गाभि गिरिर णिक्खित्तु मूला० रिक्खित्तू गो.जी. णिग्गच्छिय रियचिला २- १०१ तच्चियदीवव्त्रासे ताणाधोधो तत्तो तविदो ' प०२-४३ तत्तो दोइद (दुइज्ज) ततो दोवे वासा

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