Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 448
________________ २५२ पुरातन-जैनवाक्य-सूची रोगादंकादीहिं य भ० भारा० ३६१ लक्खविहीणं रुंदं तिलो० प०५-२६५ रोगादंके सुविहिद भ० श्रारा० १५१५ लक्खस्स पादमाण तिलो. प० ४-५६६ रोगादिवेदणाओ भ० श्रारा० १७४८ | लक्खं चालसहस्सा तिलो० ५०४-२१७१ रोगा विविहा वाधाओ भ० श्रारा० १५८५ | लक्ख छच्चसयाणिं तिलो० ५० ७-१६० रोगेण वा छुधाए पवयणसा०३-५२ | लक्खं दसं पमाणं तिलो० ५०८-६७ रोगो दारिदं वा भ० श्रारा० १५५ लक्खं पंचसयाणिं तिलो० प० ७-११४ रोदण राहावण भोयण मूला० १६३ | लक्खं पंचसहस्सा तिलो. प०४-१२३६ रोमहदं छक्केसज- तिलो० ला० १०४ लक्खाणि अट्ठजोयण- तिलो० १० २-१४८ रोयगहियस्स कोई रिट्ठस० १६० / लक्खाणि एक्करणउदी तिलो० ५०८-२४० रोयाण य वाहीण य प्राय० ति०८-२ | लक्खाणि तिरिण सावय- तिलो०प० ४-१106 रोरुगए जेट्ठाऊ तिलो० ५० २-२०५ | लक्खाणि तिरिण सोलस-तिलो. प०४-१२१८ रोवंतह सुप्पहु भणइ सुप्प० दो०५८ लक्वाणि पंच जोयण- तिलो० ५० २-१५१ रोवंतह सुप्पहु भणइ सुप्प० दो० ५६ | लक्खाणि बारसं चिय तिलो० ५०८-६५ रोवंतह धाहाक्खेण सुप्प० दो ११ लक्खा य अहवीसा जवू० ५० ११-११ रोवंति य विलवंति य जंबू०प०११-१६० लक्खूण इहरुंदं तिलो० ५० ५-२६० रोसाइट्ठो गीलो भ० श्रारा० १३६० लक्खेण भजिदअंतिम- तिलो० ५० ५-२६२ रोसेण महाधम्मो भ. श्रारा० १४२३ लक्खेण भजिदसगसग- तिलो० ५० ५-२६१ तिलो०प०४-१४६ लक्खेणोणं रंदं तिलो० ५० ५-२४२ रोहीए रुंदादी तिलो० प० ४-१७३४ लग्गंति मक्खियाओ रिट्ठस० १३८ रोहीए समा बारस- तिलो० ५० ४-२३१० | लघुकरणं इच्छंतो गो० क०५७० रोही-रोहिदतोरण- जंवू० प०३-१७६ लच्छि वंछेइ गरो कत्ति० अणु० ४२० रोहेडम्मि सत्तीए भ० श्रारा० १५४६ लच्छीसंसत्तमणो कत्ति० अणु०१६ लज्जं तदो विहंसं भ. पारा० ३४० लज्जं तदो विहंसं भ.भारा०१०६६ लज्जाए गारवेण व भ० भारा०४६० लइओ चरित्तभारो सुदख०६ लज्जाए चत्ता मयणेण मत्ता तिलो०५० २-३६५ लउलीलवंगपउरा ___ जंवू० ५० ३-१२ लज्जा कुलक्कम छडिऊण वसु० सा० ११६ लक्खण-छंद-विवज्जियर परम० ५० २-२१० लज्जा तहाभिमाणं वसु० सा० १०५ लक्खणजुत्ता संपुषण- तिलो० प०३-१२६ लद्धक्खरपज्जायं अगप०२-६८ लक्खणदो णियलक्खं दव्वस० गय० ३६६ लद्धं अलद्धपुवं मूला. १६ लक्खणदो णियलक्खे दवस० णय०३४८ लद्धं जइ चरमतणू लक्खणदो तं गेएहसु दव्वस० गय० ३८१ लद्धं तिवारवग्गिद- तिलो० सा० ५१ लक्खणदो तं गेएहसु दवस० णय०३६० लद्धा जोयणसखा तिलो० ५० २-१६२ लक्खणदो तं गेएहसु दवस० गय०३६१ लद्धिअपुण्यतिरिक्खे प्रास. ति०३० लक्खणदो तं गेएहसु दवस० गय० ३१२ | लद्धिअपुरणतिरिक्खे लक्खण-बंजणकलिया जवृ० प०६-११३ | लद्धिअपुण्णमगुस्से लक्खरण-वंजणजुत्ता तिलो०प०५-२१० गो० जी० १२६ लक्खतियं वाणउदी तिलो. सा० ७४६ | लद्धिअपुरणे पुरणं लक्खद्धं हीणकदो(दे) तिलो०प०५-२५५ गोक० २५० लक्खमिह भरिणयमादा दव्यस० णय० ३८८ । लद्धी य संजमासंजमस्स क्सायपा०६ भावस० ४२३ भावति०५० __ भावति०६३ कसि. अणु० १३८

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