Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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प्राकृतपद्यानुक्रमणा
२५१
रुधिरं अंक फलिहं जबू० १० ११-२०८ रुवं णाण ण हवइ
समय० ३६२ रुप्पगिरिस्स गुहाए तिलो० ५० ४-२३६ । रूवं पक्खित्ते पुण ज० प०१२-७४ रुप्पयसुवरणकसाइ- वसु० सा० ४३५ | रूव पि भणइ दव्वं +
रायच०५६ सम्मिगिरिंदस्सोवरि तिलो. प० ४-२३४२ / रूव पि भणइ दव्वं + दव्वस० णय० २२६ रुहिर वस पूअ तह घय रिट्टस. १२६ | रुव सुभ च असुभं भ० श्रारा० १४१७ रुहिरादिपूयमस मूला० २७६ रुवाइय जे उत्ता
दव्वस० गय०३३ रुहिरामिसचम्मट्ठिसुर सावय. दो० ३३ रूवाणि कटकम्मा- भ० श्रारा० १०५६ रुदद्ध इसुहीण तिलो० ५० ४-१८० रूवादिएहिं रहिदो पवयणसा०२-२ रुंद मूलम्मि सद तिलो० ५०४-२०६३ | रूवि पयगा सहि मय परम० प० २-११२ रुंदावगाढतोरण- तिलो. प० ४-१६६४ | रूविदियसुदणाणा
तिलो०प०४-६६४ रुदावगाढपहुदि तिलो०प०४-२१२०
गो०जी०११० रुदावगाढपहुदी तिलो प०४-२०७२
ल्वूणअट्ठ विरलिय जबू०प०४-१६८ रुदेण पढमपीढा तिलो. प. ४-८६५
जबू० प०१२-१७ रुधिय छिदसहस्से दव्वस० गय० १५५ | रुवणे अट्ठाणे
जवू० ५० ४-२१६ रूआइपजवा जे
सम्मइ १-४८ रूवेणोणा सढी तिलो० ५० ४-२६२३ रू उक्कासखिदीदो तिलो० ५० ४-६६५ रूवे पिडे पयत्थे ण कलपरिचये णिव्या० भ० ८ रूऊपएणोण्णभत्थ- गो० क० ६२६ रूसइ णिंदइ अराणे * पचस० १-१४७ रूऊणद्धाणद्धे
गो० क० ६३० रूसइ गिदइ अण्णे * गो० जी० ५११ रूऊणवरे अवरुस्सु गो० जी० १०७ रूसइ तूसइ णिच्च
तच्चसा० ३५ रूपसलावारस- तिलो० सा० ३१७ रूसउ तूसउ लोश्रो
दसणसा० ५१ रूग्णाहियपदमिद- तिलो० सा० ३०६ रे जिय गुणकरि सहुहिं (१) सुप्प० दो० ३२ रूण इट्टपह तिलो० ५० ७-२२८ रे जिय तहु किं पि कार सुप्प० दो० १२ रूऊण इट्ठपह
तिलो०प०७-२३८ | रे जिय तुअ सुप्पह भणइ सुप्प० दो० ८ रूऊण क छगुणं तिलो० प० ७-५२६ | रे जिय पुव्व ण धम्मु किउ सावय०दो० १५४ रूऊणं कोडिपयं
श्रगप० २-७७ | रे जिय सुणि सुप्पहु भणइ सुप्प० दो० ५० रूऊपाउट्टिगुण तिलो० सा० ४१६ | रे जीवाणतभवे
कल्लाणा० २ रूप्पगिरिस्स गुहाए तिलो० ५० ४-२३६ रेद पस्सदि जदि तो
छेदपिं० ५८ रूप्पगिरिहीणभरहव्या- तिलो. सा० ७६७ | रे मूढा सुप्पहु भणइ
सुप्प० दो०५३ रूप्पसुवरणयवज्जय- तिलो० सा० ३०६ रेवाणईए(इ) तीरे णि व्वा० भ० ११ रूवगया पुण हरिकरि- अगप० ३-६ | रे हियडा सुप्पहु भणइ सुप्प० दो० ७१ रूवत्थ पुण दुविहं
भावस० ६२४ रोगजरापारहीणा तिलो०प० ४-३६ रूवत्थं सुद्धत्थ
बोधपा० ६० रोगजरापरिहीणा जबू०प०२-१५३ स्व-रस-गध-फासा दव्वस० गय० ३० । | रोगजरापरिहीणा तिलो. प० ३-५२७ रूव-रस-गंध-फासा दवस० गय० १११
तिलो०प०४-१०७४ रूव-रस-व-फासा सम्मइ० ३-८ | रोगं कंखेज जहा
भ. श्रारा० १२४६ ख्वविहीणेण तहा जबू०प० १२-५८ रोगं सडण पडणं
तच्चसा० ४६ स्वसिरिगविदाणं __सीलपा० १५ रोगाण आयदण
मूला० ८४३ रूवहियडवीससया गो० क० ८४१ रोगाण कोडीओ
रिट्ठस. ७ रूवहियपुढविसख
तिलो. सा. १७१ | रोगाण पडिगारा तिलो. प०८-२०२ रुवहु उप्परि रइ म करि- सावय० दो० १२६ । रोगाणं पडिगारो
भ० श्रारा० १७७२

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