Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 454
________________ . २६० पुरातन-जैनवाक्य-सूची वरसुरहिगंधसलिला जंब० प० ६-२६ चवहारेण दुादा (एवं) समय०१८ वरसूचिअंगुलेहि य जबू० ५० १३-२५ ववहारेण दु एदे समय० ५६ वरं गणपवेसादो मूला० १८३ ववहारेण य लग्गा ढाढसी०३० वरिससहस्लेख पुरा भावसं० १३१ ववहारेण य सारो श्रारा० सा०३ तिलो०प०४-१५५६ ववहारेणुवदिस्सइ समय०७ वरिसंति दोणमेघा तिलो. प० ४-२२४६ ववहारेय रोमं तिलो. सा. ५०० वरिसाए तिरिण लक्खा तिलो० ५० ४-१४६३ ववहारो पुरण कालो गो० जी० ५७६ वरिसादीप सलाया तिलो० ५०४-१०४ / ववहारो पुण कालो गो० जी० ५८६ वरिसादु दुगुण-वड्डी(अद्दी) तिलो०५० ४-१०६ ववहारो पुण तिविहो गो०जी०५७७ वरिसे महाविदेहे तिलो. प० ४-१७७८ समय० ११ वरिसे वरिसे चउविह- तिलो० ५० ५-६३ | ववहारो य वियप्पो गो. जो० ५७१ वरिसे संखेज्जगुणा तिलो० प०४-२६२६ वव्यगवगमोयमसारगल्ल- तिलो० ५०२-१४ वरुणो त्ति लोयपालो तिलो. प० ४-१८४६ तिलो०प०-३८८ वरुणो वरुणादिपहो तिलो० सा० ६६३ वचरिचिलादि-दासी जंव० ५० ११-२३ वरु विसु विसहरु वरु जलणु पाहु० दो० २० । वसईमझगदक्खिरण- तिलो० सा० ६६४ वलयगजदंतपिच्छ- (१) छेदपिं० ६८ वसा ताव छडि जिय सावय० दो० ५२ वलया मुहेण णेया जबू० ५० १०-२६ वसदीए पलिविदाए भ० श्रारा० १५५७ वलयोवमपीढेसुं तिलो० ५० ४-८६८ वसधि(द)सु अप्पडिवद्धा मूला० ७८८ वल्लहु अवगुण दावइ जेत्तिउ सुप्प० दो० ६६ | वसधीसु य उवधीसु य भ० श्रारा० १५३ वल्लीतरुगुच्छलदुभ- तिलो० प० ४-३५१ वसभाणीयस्स तहिं जव० ५० १६-२८७ ववगद-पण-वएण-रसो पचत्यि० २४ बस-मज-मंस-सोणिय- मूला० ८४५ वरदेसा संठापा पचत्यि० ४६ वस-रुहिर-पूयमज्झे जब० प०११-६६२ ववहारणयचरित्ते णियमसा० ५५ वसह-करि-काग-रासह रिस० ७८ ववहारणयो भासदि समय० २७ वसहगये बहुसलिला श्रायः ति० १०-२० ववहारभासिएण उ समय०३२४ वसहगये सलिलभयं आय० ति० १०-१३ ववहारमयाणंतो भ० श्रारा० ४५२ वसहतुरगमरहगज- तिलो० ५०८-२३५ ववहाररोमरासिं तिलो० ५० १-१२६ वसहतुरंगमरहगय- जंव. प०४-१५६ ववहारसोहणाए मूला० ६४६ वसहाणीयादीणं तिलो० प०८-२७६ ववहारस्स दरीसण समय०४६ वसहिट्टकामधरणिम्मा- तिलो० सा० ५३८ ववहारस्स दु आदा समय०८५ वसहिय दुवारमूले छेदपिं० २१५ ववहार रिउसुत्त णयच०१४ वसहीए गभगिहे तिलो०प०४-०६३ ववहारं रिउसुत्तं * दवस० णय. १८६ वसहेसु दामयट्ठी तिलो० ए० --२७४ ववहारादो वंधो णयच० ७७ वसहो धय-धूमगो रिट्टस० २९० ववहारा सुहृदुक्खं दव्वयं० ६ बसियरण आइट्टो भावसं० ४५६ ववहारिओ पुण गओ समय० ४१४ | वसियव्वं कुच्छीए ववहारुद्धारद्धा+ तिलो० ५० १-६४ | विसुम्मि वि विहरता। ववहारुद्धारद्धा + जंबू० प० १३-३६ | वसुमित्त-अग्गिमित्ता ववहारुद्धारद्धा + तिलो० सा० ६३ वस विसया रस वेया श्राय० ति० १-२१ ववहारुवजोग्गाणं तिलो० सा० ११ | वस्ससदसहस्साई ववहारे जं रोम जंबू प० १३-३६ | वस्ससदं दसगुणिदं धम्मर०६२ मूला० ७१ तिलो० प० ४-१५०५ स्तिसदसहस्साई कसायपा० १३१ (७८) जंब०प०१३-६

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