Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 499
________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणी ३०५ हरिदाले हिंगुलए मूला० २०७ हरिधय गयधय मित्ता प्रायः ति० १-१८ हउँ गोरउ हउँ सामलउ + परम० ५०१-८० हारयादिवाज उवरि छेदस० ४५ हउँ गोरउ हउँ सामलउ + पाहु० दो० २६ हरि-रइय-समवसरणो भावसं०३७५ हउँ वरु वम्हणु ण विचइस पाह. दो० ३१ / हरि-रम्मग-वरिसेसु य जबू० प० २-११६ हउँ वरु वंभणु वइस हउँ परम० ५० १-८१ हार-रम्मय-वस्ससु य मूला० १११३ हउँ सगुणी पिउ णिग्गुणउ पाहु० दो० १०० हरिवरिसक्खेत्तफलं तिलो० प०४-२७१० हणिऊण अट्टरुद्दे थारा० सा० १०६ हरिवरिसम्मि य खेत्ते जबू० प० ३-२३३ हणिऊण पोढछेलं भावसं० ४४ | हरिवरिसो चउगुणिदो तिलो० ५० ४-२८०४ हत्य अहं देवली पाहु० दो०६४ तिलो०प०४-२७४३ हत्थपमाणे णिच्चुव- तिलो० सा०२६१ हरिवरुणसोममारुद- तिलो० ५० ४-१६७३ हत्थपहेलिदणाम निलो० प० ४-३०७ हरिवसस्स दु मज्झे जबू०प०३-२२२ हत्यपादपरिच्छिण्ण मूला० ६६३ हरिसेणो हरिकंतो तिलो० सा० २११ हत्थतरेणवाधे मूला० ६०१ हरि-हरतुल्लो वि गरो सुत्तपा०८ हत्थ मूलतियं वि य तिलो. सा. ४३६ हरि-हर-बह्माणो वि य धम्मर० १०६ हत्थिरणपुरगुरुदत्तो भ० श्रारा० १५५२ | हरि-हर-वभु वि जिणवर वि परम० ५० २-८ हत्थी अस्सो खरोट्टो वा मूला० ३०५ | हरि-हर-हिरएणगम्भा जंवृ० ५० १३-६२ हत्थुप्पलदीवाण तिलो० प०७-४६७ हरि-हरिकंतातोरण जंवू. ५० ३-१८० हम्मंति[य] उरसंता? जंबू० ५० ११-१५८ हल-मुसल-कलस-चामर- जंवू० ५० ३-२४३ हयकएपकरणचरिमे लद्धिसा० ४८५ | हाल साह काइ क्रइसा दप्पणु पाहु० दा० १२२ हयकरणाइ कमसो तिलो० ५० ४-२४६५ , हलुवारंभहें मणुयगइ सावय० दो० १६३ हय-गय-गो-दाणा भावस०५२५ हवइ चउत्थं माण भावसं० ३६२ हय-गय-गो-मणुाणं रिट्ठस० १७६ / हवइ चउत्थं ठाणं भावसं० २५६ हय-गय-रह-परवल-वाह- मूला० ६६५ | हवदि व ण हवदि बंधो पवयणसा०३-१६ हय-गय-रह-वरपवरभड सुप्प० दो० २६ | हसमाणा रोवंती रिट्ठस० ८६ हय-गय-वसहे सयडे रिट्ठस० १६१ / हसमाणीइ(य) छ-मासं रिट्ठस० ६२ हय-गय-सुणहह दारियह सावय० दो० ८२ | हसिओ सुरेहिं कुद्धो भावस०२१२ हयसे-वम्मिणी(ला)हिं तिलो० ५० ४-५४७ हस्स-भय-कोह-लोहा मूला०२६० हरडाफलपरिमाणं जंब० ५०२-१२० हस्स-रइ-भय-दुगुछा पचसं०३-७० हरमाणे परदव्व वसु० सा० १०६ हस्स-रदि-अरदि-सोयं * आस० ति०६ हरि(ऊरण) परस्स धणं वसु० सा० १०२ हस्स-रदि-अरदि-सोयं * कम्मप०६२ हरिकरिवसहखगाहिव- तिलो० ५० ३-४६ हस्सरदिउञ्चपुरिसे+ गो. क. १३२ हरिकरिवसहखगाहिव- तिलो० ५० ४-१९२३ । हस्सरदिउच्चपुरिसे+ कम्मप० १२८ हरिकंता-सारिच्छा तिलो० ५० ४-१७७१ | हस्सरदिपुरिसगोददु गोक०४०७ हरिगिरिधणुसेसद्धं तिलो० सा० ३६३ | हस्सो रज्झदि कूरो श्रगप०२-८३ हरिजीवा इगिए भगव- तिलो० सा० ७७५ | हंतूण कसाए इदियाणि भ० श्रारा० ५२४ हरिणादिय-तणचारी तिलो० ५० ४-३६२ हंतूण जीवरासिं बा० अणु०३३ हरिदतणंकुरबीजाछेदपि० १०३ हतूण य बहुपाणं मूला०६१६ हरिदालमई परिही तिलो० ५० ४-१८०० | हंतूण रागदोसे मूला०६० हरिदालसिंधुदीवा तिलो० ५० ५-२६ | हदि चिरभाविदा वि य मूला० ४८

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