Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 472
________________ २७८ सम्मत्तपढमलंभो सम्मत्तपढमलंभो सम्मत्तपयडिपढमट्ठिदीसु सम्मत्तपयडिमिच्छतं सम्मत्तमिच्छ परिणामे सम्मत्तरयणजुत्ता सम्मत्तरयणपव्वद सम्मत्तरय । पञ्चय- + सम्मत्तरयणपव्त्रय- + सम्मत्तरयणभट्ठा सम्मत्तरयल भे सम्मत्तरयणसारं सम्मत्तरयहणा सम्मत्तदिचित्तो सम्मत्तविरहियाणं सम्मत्त सलिलपवहो सम्मत्त सलिलपत्रहो * सम्मत्तसजमादि सम्मत्तसुदवएहिं य सम्मत्तस्स रिणमित्तं सम्मत्तस्स पहाण सम्मत्तस्य लंभे सम्म तहिमुहमिच्छो सम्मत्तं जो भार्यादि सम्मत्तं देसजमं सम्मत्तं देसजमं सम्मत्त देवयं x सम्मत्तं सा x सम्मतं सा सम्मत्तं सरणा सम्मत्तं सद्द सम्मत्तं सयलजमं सम्मत्तादिमलं भस्सा सम्मत्तादीचारा सम्मत्तादो गाणं सम्मत्तादो समन्तादोई सम्मत्पत्ति वा सम्मत्तप्पत्ती सम्मत्तपत्ती पुरातन जनवाक्य-सूची कसायपा० १००(१७) | सम्मत्तूणुव्येल्ल - पचस० १-१७१ सम्मत्ते सुदे य लद्धिसा० २११ सम्मत् वियलद्धे दमणसा० ४१ सम्मत्ते सत्त दिणा गो० जी० २४ हिं तिलो० प० ३-५४ तिलो० प० २-३५५ पंचस० १-६ सम्मत्ते सम्मत्ते विणु वयवि गय सम्मत्तं सावयवयहॅ सम्मदिरणामो कुलकर गो० जी० २० सम्म दसग्गपवेसे दंसणग० ४ | सम्मदुचरिमे चरिमे सम्मद्दस गाणं धम्मर० १४१ रयणसा० ४ सम्म सा तिलो० प० ४-२५०० सम्म सरणा तिलो० प० २-३५८ सम्म मातुंचं दसणपा० ५ | सम्मद्दसणमिणमो घम्मर० १४० सम्मर्द्दमरता दंसणपा० ७ सम्मर्द्दसारयणं श्रंगप० ३ - ३३ | सम्मद्दंसणरयणं भावस० ३१८ | सम्मदंसणरयणं यिमसा० ५३ | सम्मद्दंसणसुद्धं वसु० सा० १४ | सम्मदंसणसुद्धा भ० श्रारा० ७४२ | सम्मदंसणसुद्धा द्धिसा० ६ | सम्मद्दंसणसुद्धा मोक्खपा० ७७ | सम्मदंसणसुद्धिमुज्जलयरं गो० क० ६१८ | सम्म ससुद्धो तिलो० प० २-३५६ | सम्मद्दंसणसुद्धो कत्ति० अ० १५ | सम्म सणसुद्धो मोक्खपा० १०५ | सम्मद्दसणहीरगा बा० अणु० १३ | सम्मद सरिण परसइ मिसा०५४ सम्महंस रिण पस्सदि भ० श्राग० ४४ पंचथ० १०७ | सम्मद्दिट्ठी जीवा तिलो० प० २-३५७ सम्मलितरुणो अंकुरपचसं० १ - १७२ | सम्मलिदुमस्स बारस सम्मलिरुक्खाय थलं दंसणपा० १५ सम्म विसरणं मूला० १०३ | सम्मविसोही तवगुणरयणसा० ६६ | सम्मविहीणुव्वेल्ले लद्धिसा० १७० सम्मस्स असंखाणं गो० जी० ६६ सम्मस्स संखेज्जा लद्धिसा० २१५ सम्मं दस्स परिस्सवस्स गो० क० ४२६ मूला० २३४ ० श्रणु० २६५ पचसं० १- २०५ कत्ति ० स 4 वसु० सा० ४२ सावय० दो० २०६ सावय० दो० १६४ तिलो० प० ४-४३३ तिलो० प० ४-४३८ , लद्धिमा० १५५ समय० १४४ दव्वस० ३६ मूला० ११८५ भ० श्रारा० १८६५ सम्मइ० ३-६२ मूला० ७० तिलो० सा० ८५६ तिलो० प० ४-२५१३ जवू० प० १०-८६ रयणसा० १६० तिलो० प० ४-२१६४ विलो० प० ४-२१६६ जंबू० प० ८-६७ तिलो० प०८-६६६ जबू० प० १३-१६५ कत्ति ० ० ३०५ जबू० प० ६-७८ जब ० ० प० १०-६२ बोधपा० ४ १ चारितपा० १७ समय० २२८ तिलो० प० ४-२१५६ तिलो० प० ४- २१६५ तिलो० प० ४-२१४८ रयणसा० ४७ रयणसा० ३८ गो० क० ४२४ लद्धिसा० १२२ लखिसा० २०७ भ० श्रारा० १४७३

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