Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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स
संगीय सहरिया (य) संगुणिदेहि संखज्जसंगें मज्जामिस-ग्यहॅ
संगो महाभयं ज सघडण गोवंगं
संघ - विरोह-कुसीला सहं दिणु ण चउविहहॅ
साहिवरस मूल
सवको विगतारइ संघ गुणसंघा संदिपुरिसवेदे + सहदि पुरिसवेदे +
संजदअधापवत्तग
सजदकमेण खत्रयस्स संजदजणस्स य जहिं
संजदजराव मारणं संजदपायत्तिस संजदेण मए सम्म
संजमजोगे जुत्तो संजमरणाणुत्रकरणे सजमणियमतवेण दु सजमतवगुणसीला
सजमतवाणज्य
जमतवेण हीणा
संजमतवोधणा
सजममविराधंतो
सजममाराहतेण
संजमरणभूमी
सजमसंजुत्तस्स य सजमसाधणमेत्तं संजमसिहराढो
सज महेदु पुरिसत्तसजमु सीलु सउच्चु तउ संजल चक्काणं
सजलपणोकसायासजलरणोकसाया
संजणोकसाया
सजलपतिवेदाणं सजलणभागबहुभागद्धं सजल लोहमेयं
प्राकृत पद्यानुक्रमणी
जबू० प० ४-५६ | संजल सुहुमचोदस
तिलो० प० ०-३४
संजलणं एयदरं
सावय० दो० २६
भ० श्रारा० ११३०
मूला० १२३१
रयणसा० १०८
सावय० दो० १५८
छेदपिं० २५७
|
रयणसा० १२१
जबू० प० १०-६५
जबू० प० १०- ६४
संजल एयर
संजलखं एयदरं
सजल पुंवे
सजलखाण एक्कं
संजलगाय एक्क* संजलखा वेदगुणा सजाओ इह तस्स चारुचरिश्रो
ढाढसी० २०
सजालाऽसंढित्थी संजोगमेवेति वदति तरणा संजोगविप्पयोगा
भ० श्रारा० ७१४ ' कसायपा० १३८ (८५) लद्धिसा० ४३५ लद्धिसा० ३७५ | संजोगविप्पो गेसु भ० श्रारा० ६५० | संजोग विपजोग भ० श्रारा० १५२ | संजोग विप्पजोगे भ० श्रारा० ३५५ | संजोय रणमुव करणा छेदपिं० ३०५ | संजोयणाकसाये वारि० भ० १० संजोयेरणा य दोसो मूला० २४२ | संजोयमूल जीवेण मूला० १३१ | सज्ज लिदो अट्टम मिसा० १२३ संझा तिहिं मिसमाइयइँ सठारणसहीणं
मूला० १४१
संठारणसंहीणं
संठारण पचेत्र य
संठारण सघयण
मूला० ६४८ भ० श्रारा० ६
भ० श्रारा० १८५६
संठारण संघयणं संठारण संघयणं संठारणा संघादा बोधपा० २० संठाणे संहडणे भ० श्रारा० १६२ | संठाणे संहडणे भ० श्र० १२२० | संठाविदूरा रूवं +
भ० श्ररा० १२१६ | सठाविदूर रूवं + सावय० दो० ० संठियामा सिरिवच्छलद्धिसा० २६६ | संडासेहि य जीहा गो० जी० ३२ संदणुवसमे पढमे गो० जी० ४५ संढादिमवसम गे पचस० ४-८५ | संढित्थि कसाया पचस० ४ - ११७ संदुदयंतरकरणो गो० क० २०३ | संढे कोहे मागे पंच० ३ - ३६ | संतद्वाराणि पुरणो
२८७
गो० क० १५३
पंचस० ४- ११३
पचस० ४-१६४
पंचस० ४-१६५
चास० ति० ४२
लदिसा० २४०
लद्धिसा० ४३१
पचस० १-३१८ रिट्स ०२५८ सिद्धत० ५५ गो० क० ८६२
मूला० ७०६
भ० श्रारा० १६८१
वा० प्र० ३६ तिलो० प० ८-६४८
भ० धारा० ८११
भ० श्रारा० २०६२
मूला० ४७६ मूला० ४६
जब ० प० ११-१५२
सावय० दो० ६८ गो० ० क० १२६ कम्मन० १२५ पंचसं० ४-४५१
पचसं० ३-७७
पचस० ४-४००
पचस० ४-४७६ पथि० १२६
गो० क० ५३२
गो० क० ५६६
मूला० १०४० गो० जी० ४२ तिलो०प०८-६१
जबू० प० ११-१६८
लद्धिसा० ३२६ लद्धिसा० २५१
गो० क० ३३६ लद्धिसा० ३५६
सिद्धत० ७
पंचसं० ५ - ४१६

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