Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 455
________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणी २६१ वस्ससदे वस्ससदे जंक० ५० १३-३८ वंसी(स)जराहुगसरसी फसायपा० ७२ (१९) वस्ससदे वस्ससदे तिलो० सा० ६६ | वसीमूलं मेसस्स पसं. १-११४ वस्ससयं आवाहा पघसं० ४-३८७ / वंसीवीणावची जव०प०४-२२६ वरसं चे-अयणं पुरण जव० ५० १३-८ से महाविदेहे जंच० ५०३-१६६ वस्सा कोडि-सहस्सा तिलो. सा०८१० वाइयपित्तयसिभिय- भ० श्रारा० १०५३ वस्साणं वत्तीसा ____लद्धिसा० २५३ वाउदिसे रत्तसिला जव० प०४-१४७ वस्साटो धरणिधरो जव० प०२-११ चाउ(दुभामो उकलि पचस० १-८० वहबंधणासछेदो धम्मर० १० वाऊ णामेणा तहिं जव० ५० ११-२०० वका अहवइ अद्धा रिट्टस०८८ चाऊ पदातिसधे तिलो०५०८-२७५ वंकेण जह सताओ भावसं० ३० वाऊ पित्तं सिंभं रिट्टस. ११ वजणपज्जायस्स उ सम्मइ०१-३४ वाखितपराहुत तु मला० ५६७ वंजणपरिणाइविरहा चसु० सा० २८ चाचाए दुक्खवेमिय समय० २६७ २०१६ (ज) चंजयमंगं च सर मूला० ४४६ । वागर-गद्दह-साण-गय- रयणसा० ४५ चंदइ गोजोणि सया भावस०४६ चाणियसुहित्थीओ छेदपि. ३५० डिकमत परम० प०२-६६ वातादिदोसचत्तो तिलो०प०४-१०११ वंदणमंसणेहि पवयणसा० ३-४७ वाताढिप्पगिदीश्रो तिलो. ५०४-१००४ बंदणणिज्जुत्ती पुण मूला० ६११ वादबरुद्धक्खत्ते तिलो० ५० १-२८२ वंदयाशियमविरहिदे छेदस०४७ वादविवादा जे करहिं पाहु० दो० २१७ चंदणभत्तीमित्तेप भ० धारा० ७५२ वादं सीदं उगह मूला० ८६६ बंदभिसेयणचण-* तिलो० ५० ३-४७ वादी चत्तारि जगगा भ० श्रारा० ६६६ वंदणभिसेयपच्चण- तिलो. सा० १००६ वादुम्मामो उक्कलि मूला० २१२ चंदणमालारम्मा तिलो. प. ८-४४४ वादुन्भामो व मरणो भ० थारा० १३४ वंदणु पिंदणु पडिफमणु परम० ५० २-६४ वादो वि मंदमदो जव० प० १३-१०५ बंदणु शिंदणु पडिकमणु परम० प० २-६५ | वापणनरनोनानं गो० जी०३१६ बंदहु वंदहु जिणु भणइ पाहु० दो० ४१ वामदिसाई यारं भावसं० ४६४ चदामि तवसमण्णा दसणपा० २८ वामभूयमि चउरो रिट्टस० २२५ वदित्तु जिणवराणं मूला० ७६७ वामिय किय अरु दाहिणिय पाहु० दो० १८१ वंदित्तु देवदेव मूला० ८१२ वामे चउदस दुसु दस गो० क० ८५१ चंदित्त सव्वसिद्धे समय०१ वामे दुसु दुसु दुसु तिसु गो० क० ८३७ वदे अतयहदस सुदभ० ३ वायकफपित्तरहियो रिट्ठस० १०८ वंदे चउत्थभत्तादिजोगिभ० १० बायणकहाणुपेहण वसु० सा० २८४ वस-तदगे अणिच्छा तिलो० सा० १६० वायणपडिच्छणाए मूला० १३३ वमत्थलवरणियडे णिवा भ० १७ वायणपरियट्टणपुच्छ- भ० थारा २०५२ वसधरविरहिदं खलु जंब० ५० १३-१४ वायदि चिकिरियाए तिलो० ५०४-६०६ बसधरा वसधरो जव० ५० ११-६ वायरणछदवइसेसिय सीलपा०१६ वंसधरा वंसधरो जबू० ५० ११-६७ वायस्सगिद्धकका धम्मर०६२ वसहरमाणुसुत्तर जव० ५० ३-४६ वायंता जयघटा- तिलो. प०३-२१२ वसहरविरहिय खलु जंव० ५० ११-६६ वार्यात किन्भिससुरा तिलो०प०८-५७१ वंसाए णारइया तिलो० ५०२-१६६ वायाए अकहता भ० प्रारा० ३३६ वंसाणं वेदीओ जबू०प०१-६० | वायाए ज कहणं भ० श्रारा० ३६५

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