Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 457
________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणी २६३ विकहा तहा कसाया * गो० जी० ३४ विग्यविणासे पावर भावस० ६६७ विकहाविसोत्तियाणि मूला० ८५७ | विच्चे(च्चा)लायासं तह तिलो० ५०-६०१ विकिरियाजणिदाई विलो० प०८-४४६ | विच्छिण्णकम्मवधे छेदपिं०१ विक्खंभइच्छरहिदं जब० ५०६-८५ विच्छिएणंगोवंगो- भ० श्रारा० १५७८ विक्खंभइच्छरहियं जबू० प०७-२३ विच्चियसहस्सवेयण- तिलो० सा० १६१ विक्खभद्धकदीओ तिलो० प० ४-७० विजओ दु समुट्ठिो जव० प०७-१५१ विक्खंभं पव्वदाणं जबू० प० २-२५ विजो विदेहणामो तिलो० ५० ४-२५२० विक्खंभवग्गदसगुण-* जव० ५०४-३३ विजओ हेरएणवदो तिलो० ५० ४-२३४८ विक्खंभवग्गदहगुण- तिलो. मा०६६ विजयकुलद्दी दुगुणा तिलो० सा० ६०३ विक्खंभस्स य वग्गो तिलो० ५० ४-२६१५ | विजयगयदंतसरिया तिलो० ५० ४-२२१६ विक्खभं आयामं जब० ५० ७-७ विजयडढकुमारो पुण्ण- तिलो० ५० ५-१४८ विक्खंभं दीवकदी जब० ५० १०-६२ विजयड्ढगिरि गुहाए तिलो० ५० ४-२३७ विक्खंभं चदुभागे ण(१) ज५० ५० १-२४ | तिलो० प०४-११० विक्खंभादो सोधिय तिलो० ५० ४-२२२६ विजयपडाएहिं पारो वसु० सा० ४१२ विक्खभायाम इगि- तिलो०प०५-२७३ विजयपुरम्मि विचित्ता तिलो०प०४-७६ विक्खभायामेण य जबू० ५० २-५२ विनयम्मि तम्मि मझे जव० प०८-१०६ विक्खभायामेण य जव० ५० १२-५ विजयं च वइजयत तिलो० ५० ५-१५६ विक्खंभायामेण य जव० प०४-८४ विजयं च वइजयंत वसु० सा० ४६२ विक्खंभायामेण य जव. २०४-११ विजयं च वइजयंतं जय० ५० ११-३४० विक्खंभायामेण य जव० ५० ४-६३ विजयं च वईजयंतं तिलो० सा० ८८२ विक्खभायामेण य जबू० प० ४-१०२ विजयंत वइजयंत तिलो० ५०८-१०० विक्खभायामेण य जव० प०७-१४० विजयंत वइजयंत तिलो० ५० ८-१२५ विक्खंभायामेण य । जव०प०८-१५७ विजयंत वइजयंता जब प. १-४२८ विक्खभायामेहि या जंब० ५० ३-६७ विजयत वेजयत तिलो० प० ४-४१ विक्खभायामेहिं तिलो. प० ४-१६६३ | विजय नि पुचदारो तिलो० प० ४-७३३ विक्खंभा वि य णेया जव० प०७-१०० | विजयं ति वईजयंती तिलो० ५० ५-७७ विक्खभुच्छेहादी जबू०प०३-१२६ | विजयं पडि वेयड्ढो तिलो० सा० ६६१ विक्खभेणभत्थ जबू० ५० १-२३ | विजया च वइजयती तिलो० सा० ७१५ विक्खंभे पक्खित्ते जव० प०५-११ | विजया च वडजयती जब० प०७-७६ विक्खभो य सहस्मा जबू० ५० ७-३ | विजयाणं विश्खभे जब० ५० ७-७५ विक्खाददागहणं __ छेदपिं० ६७ विजयादिदुवाराणं तिलो० प०४-७३ विक्खेवणी अणुरदस्म भ० श्रारा० ६५८ | विजयादिवासरग्गो तिलो० प०४-२६२१ विगलिंगाल विधूमं मूला० १८३ | विजयादिसु उववरणा अंगह० १-५४ विगमस्स वि एस विही सम्मइ०३-३४ विजयादीण आदिम- तिलो० ५० ४-२८४१ विगयसिरो कडिहत्थो दव्वस० गय० १४५ विजयादीणं णामा तिलो० प० ४-२४४६ विग्गहकम्मसरीरे गो० ० ५८३ विजयादीणं वासं तिलो० प०४-२८३५ विग्गहगइमावरणा* पंचस० १-१७७ । विजया य वइजयता तिलो० ५०४-७८३ विग्गहगइमावण्णा पचस० १-१६१ विजया य वइजयंती । तिलो० प० ४-२२६८ विग्गहगईहिं एए पचस० ५-१२४ | विजया य वइजयती तिलो० सा० ६४६ विग्गदिमावरणा* गो० जी० ६६५ विजया वक्खाराणं तिलो० प०४-२६०८

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