Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 467
________________ · स सत्तरहं पयडीए सत्तरह पयडी सत्तरहं पुढवीणं सत्तरहं विसरणारां सत्तरह संकामग सत्त तया कालेज्जसत्त तलाविण्या सत्ततिगं आसाणे सत्ततिछदहत्थंगुलारिण सत्ततियट्ठचउरणव सत्तत्तरि चैत्र सया सत्तत्तरि-जुद-छ-सया सत्तत्तरि-लक्खाणि सत्तत्तरि-सविसेसा सत्तर-तं सतत्तरं सहस्सा सत्तत्तरं सहरसा सत्तत्तरी सहस्सा सत्तत्ती लक्खा सत्तदिरा कत्तिया सत्त दिरणाई यिच्छइ सत्त दिरणा छम्मासा सत्तदुदु छक्क पंचति सत्तपदे अट्ठम सत्तपदे देवी सत्तपदे बघुया सत्तपदे वल्लभिया सत्त- पत्था व सदो सत्तप्पयार रेहा प्राकृतपद्यानुक्रमणी लद्धिसा० ६०१ सत्तमखिदिजीवाणं ० ३०८ | सत्तमजम्मावीणं सत्तमरणारहितो गो० जी० ७११ कत्ति० सत्त भए अट्ठ भए रुत्तभय-अडमदेहिं सत्तम खाकगदे सत्तमखिदिरणारया सत्तमखिदिपणिधिम्हि य सत्तमखिदिबहुमन्झे * सत्तमखिदिबहुमज्मे सत्तमखिदिम्मिको सं सत्तमखिदीय बहले वसु० सा० १३४ लद्धिसा० ४५४ भ० श्रारा० १०३० | जबू० प० २-८३ गो० क० ३७२ तिलो० प०२ - २१६ तिलो० प० ७-३२४ | पचस० ५-३५६ तिलो० प० ८-४१ तिलो० प० ४-१२६५ तिलो० प० ७-१८८ तिलो० प० ७- १५२ तिलो० प० ७-४०४ | सत्तरसट्ठट्ठीणिदु तिलो० प० ८-३३ | सत्तरसधिया (य) सदं खलु तिलो० प० ७-३०२ तिलो० प०८-३१ सत्तमयस्स सहस्सा सत्तमयं गुणठाणं सत्तमिए पुढवीए सत्तमि- तेरसि-दिवसम्मि सत्तमि- तेरसि-दिवसे सत्त य छक्कं पराग सत्तय सरासरणा सत्तय सरासरणां सत्तर-धरणुक्क या सन्तरस उदद्यभगा सत्तर सए ( ये ) क्कवीसारिण सत्तरस - जोयणागि रिट्स० २४४ रिट्स० ५० गो० जी० १४३ तिलो० प० ४-२५८६ सत्त दु वास- सहस्ला मूला० ११०६ सत्तपदारणाणीए (णीयाणि) तिलो० प०८ - २६८ | तिलो० सा० ५०६ तिलो० सा० २०८ सत्तरसं दसगुरिद सत्तरसं बंधतो सत्तरसं बाणउदी गो० क० ६६६ सत्तरसं लक्ग्वाि तिलो० सा० ५१३ | सत्तरसादि अडादी अगप० २-२४ सत्तर सुहुमसरागे मानसं ० ४५३ | सत्तर से अडचदुवीसे मूला० ५२ | सत्तर सेकग्गस तिलो० प० ४ - १४६३ | सत्तर सेक्कारखचदु सत्तर सपचतित्था सत्तरस मुहुत्ताह सत्तर स- सदसहस्सा सत्तरस-सय सहस्सा सत्तरस सुहुमसराए सत्तरसं चावाणि सत्तरसं वय तियं 4 तिलो० प० ४-४५६ सत्तरस्क्कारखचदुतिलो० प०२-२०१ सत्तरि श्रव्भ हिय-सयं तिलो० सा० १२५ सत्तरिचउसदजुत्ता तिलो० प० २-२ | सत्तरि-जुद - अट्ठसया तिलो० सा० १५० | सत्तरि-सय- खित्तभवा गो० जी० ४२३ | सत्तरि-सय-गयराणि य तिलो० प० २ - १६३ | सत्तरि-सय-यसहगिरी २७३ तिलो० प०२-२१४ तिलो० सा० ६४ कत्ति० अ० १५६ तिलो० प०८-२३० भावस० ६४१ मूला० १०६१ वसु० सा० २८१ कत्ति० श्रणु० ३७३ कसायपा० ५४ तिलो० प० ४-६२ तिलो० प० २-२२८ जंबू० प० ११-२५४ पचस० ५-३३६ जवृ० प० ११-५६ तिलो० प० ७-२५८ तिलो० प० ७-५०८ पचस० ५-४७४ गो० क० १५१ तिलो० प० ७-२८६ जंबू० प० ११-६५ तिलो० प०४-२३८३ पंचस० ४-४६८ तिलो० प० २-२४३ गो० क० ६५६ गो० क ८५४ पचस० ५-२५० तिलो० सा० ७५० तिलो० प०२-१३८ गो० क० ६७१ गो० क० २१२ गो० क० ६८१ गो० क० १०३ गो० क० २७६ गो० क० २८२ तिलो० प० ४-२३६५ गंदी० पट्टा० १८ तिलो० प० ८-७७ कल्लाणा० २३ तिलो० सा० ७१९ तिलो० सा० ७१०

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