Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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२३६
पुरातन-जैनवाक्य-सूची
छेदपिं० २१०
मणिबंधचरणबाहुपसारणं मणिभवरणचारणालयमणिमयजिरणपडिमाओ तिलो० प०४ -८०५
जंय० ५० ४ ८३
मणिमय पायारजुदा मणिमयपासादजुदो
मणिमय सोहा (वा) गाओ तिलो० प०४-२१८६
मणिमंडिया
या
मरिण मंतो सह- रक्खा मरिणरयण करण्यरुप्पयमणिरयगधाडलेवा मणिरभवविहा मणिरयाभित्तिचित्तं मणिरयणभित्तिचित्तामणिरयणमंडिएहि यमणिरयहेमजाला
(ण) व बघुसा मणिसालहंजि (?) गयवरमणिसोवा मरणोहरays a मत्राणं सुश्मयं मसुरारिंदा
इंदिहि विच्छाइयइ मणुओराल दुवज्र्जं मणु जाणइ उवएसडउ म मिलियर परमेसरहो मणु मिलियउ परमेसरहॅ मरणुयगइ सह गयाओ म गई पंचिदियx माई पंचिदियx मयगई जुत्ता
मरणय- पाइंद- सुर-धरिय छत्तत्तया पंचगु० भ० १ तिरियास तिरिया पु मयत्त दुल्लहु लहिवि यत् वियजीवा मयय उच्चलिय मयदुयं ओरालिय
मयदुयं पंचिदिय
मयभवे पंचिंदिय
मण्या य अपज्जत्ता माउस्स य उदए x मरणुयाउस्स य उदए x
जबू० प० ६-३५ | मरण्यापुव्विसहिया जंबू० १० १-७१
जबू० प० ३ - १७४
| मरणुवाइयपज्जा
+
दा० श्र० ८ | मरणुवाइयपज्जाओ +
मणुवे श्रघो थावरमणुवेसिदर गदीतियमरणुवेसु प वेगुन्दु मणुवो र होदि देवो
वसु० सा० ३६० ढाढसी० १३ जंबू० प० १- २० जंबू ० प० ११ - ११३
पंचस
मरणुयादो गेरइया मरणुवगईए एवं
|
|
जंबू प० ६–१०१ जय० प० ३ - १०६ | जंबू० प० ११-३१७ गो० क० ७१८ जंबू० प०३-१८४ मरणुस व्व दव्वभावित्थी तिलो० प० ४–७१६ | मणुसाउगं च वेदे कत्ति० अणु ० २६१ | मरणु सिणिए त्थीसहिदा कत्ति० श्रणु० ८५ |मर सिणि पमत्तविरदे पवयणसा० १-६३ | मणुसुत्तरधरणिधरं जोगसा० १३ | मणुसुत्तरम्मि सेले गो० क० १६६ | मणुसुत्तरसमवासो पाहु० दो० ४६ | मणुसुत्तरसेला दो पाहु० दो० ४६ सुत्तरा परदो परम०प०१ - १२३.२ मगुसुत्तरादु परदो
० ५-५००
माणुसगइ सव्वभंगा मणुसगढ़ीए थोवा मणुसत्तणेण राट्ठो मणुस दुगइत्थिवेयं
मरण सुत्तरुदयभूमुहपचस० १-४७१ | मरणुसुत्तरोत्ति मरणुसा पचसं० २-४६८ | मणुसोघ वा भोगे पंचस० २- १५३ | मणुमोत्तरादु अंता
महॅ विरयविवज्जियहँ सावय० दो० १३८ | मत्तो गयो व्य रिंगचं
म
पंचसं० १-५८
पचसं० ५-२१
पंचसं० ५-२६०
पचसं० २-४६१
कत्ति० श्रणु० १५३
घम्मर० ८६
दव्वस० राय० २११
मायस० ३६
गो० क० २६८ भावति० ६१
श्रास० ति० ३१
पवयणसा० २-२१
पचसं० ५-१७८
मूला० १२०७ पचत्यि० १७ पचस० ४-३६१
भावति० ६४
भ० श्रारा० २१२२
गो० क० ३०१
गो० जी० ७१४ तिलो० प० ४-२७२
जबू० प० ११- ६१ तिलो० प० ५-१३०
तिलो० सा० ३४६
जबू० प० १२-१५ तिलो० प० ७-६१३
तिलो० सा० ६३८ तिलो० सा० ३२३
गो० क० ३०२
जबू० प० २-१७३
पचसं० ४-४३३
भावस० १७ पचसं० १-६२ गो० जी० १४८
मस्सतेरिच्छभव म्हि पुव्वे तिलो०प०३-२१४ माइ जलेण सुद्धि पंच० ३-३५ | मांति जदो खिच्चं * सावय० दो० २१६ मरणति जदो पिच्वं * वसु० सा० १८२ | मत्तकरिकुभसरिसो पचसं ० ५ - २१० | मत्तकरिकुभसिहरो पंचसं० ४-४५५ मत्तगयगमगलीला पंचस०५-२१४ | मत्तंड दिगगदीए बोधपा० ३६ | मत्तंडमंडलाणं
जंबू ० प० - १५०
जबृ० प० ६-१००
जबू० प० ७-११२
तिलो० प० ७-४५५ तिलो० प० ७-२७७
भ० श्रारा० ६५६
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