Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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प्राकृतपद्यानुक्रमणी
२४५
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मूल-उणाली-भिस-लहसुण- सावय० दो० ३४ | मुले कंदे छल्ली
गो० जी० १८७ मूलरिवदी बोलीणो
छेदपि० २६२ | मूले दिट्ठम्मि पुणो आय. ति० १८-६ मूलगपीठणिसरणा तिलो० सा० १००२ मूले दिढे उडिए श्राय. ति० ५-१६ मूलगुणउत्तरगुणे
मूला० ५० मूले बारस मज्झे निलो० प० ४-१६ मूलगुण छिण य मोक्खपा० १८ | मूले बारह जोयण
जंबू० ५० १-२७ मूलगुणं संठाणं
छेदपिं०४ मूले वारह जोयण जबू० ५० १०-१८ मूलगुणा इय एत्तड सावय० दो० ५३ मूले मज्झे उवरिं तिलो. प० ४-२२२ मूलगुणा वि य दुविहा
छेदस०७ | मूले मज्झे उवरिं तिलो०प०४-२२५ मूलगुणेसु विसुद्ध मूला० १ । मूले मज्झे उवरि
जबू०प०४-२५ मूलग्गपोरबीजा* मूला० २१३ / मूले सयमेयं खलु
जंबू०प० ६-४६ मूलग्गपोरबीजा * गो० जी० १८५ मूले सहस्समेयं
जबू० प०६-१७ मूलग्गपोरवीया *
पंचस० १-८१ | मूलेसु य वदणेसु य जबू० प० १०-५ मूलट्ठिदिअजहएणो पचस०४-४१४ | मूलेसु होति वीसा
जबू०प०२-२४ मूलणिमेण पज्जव
सम्मइ०१-५ | मूलोघं पवेदे
गो० क० ३२० मूलधणे पक्खित्ते जंबू० ५० १२-८, मूलोवरिभाएसुं तिलो० प०४-१७०५ मूलपयडीसु एव
पचस० ५-७ मूलोवरिम्मि भागे तिलो०प०५-१४३ मूलप्फलमच्छादी तिलो प०४-१५३५ | मूलोवरि सो कूडो तिलो. प० ४-१९८१ मूलम्मि उवरिभागे तिलो० ५० ४-२५४६ मेघकरा मेघवदी जबू० प०४-१०६ मूलम्मि चउदिसासुं तिलो० ५० ६-३० मेघप्पहेण सुमई तिलो०प०४-५२६ मूलम्मि चउच्चीस
रिट्ठस० २५८ मेघमुहणामदेवो जबू० प० ७-१३४ मूलम्मि य उवरिम्मि य तिलो० ५० ५-५६ मेघहिमफेणउक्का- भ० श्रारा० १०६० मूलम्मि य सिहरम्मि य तिलो. १० ४-२७७० मेघाए णारइया तिलो०प०२-११७ मूलम्मि रुंदपरिही तिलो०प०८- मेच्छमहिं पहिरे(दे)हिं तिलो० ५० ४-१३४४ मूलसरीरमछडिय ___ गो० जी० ६६७
मेरुकुलसेसभूमी
अगप० ३-३ मूलसिहराण रुदं तिलो० ५० ४-२७६६ मेरुगिरिपुव्वदक्षिण- तिलो० ५० ४-२१३४ मूल छित्ता समणो
मूला० ६१८ मेरुगिरिभूमिवासं तिलो० सा० ७५६ मूल मज्झेण गुण जबू० प०११-११० मेरुणरलोयबाहिर- तिलो. सा. ६३६ मूलहि दु विक्खभोजबू० १० ११-२० मेरुतलस्स य रुंदं तिलो. प०४-२५७६ मूलादो उवरितले . तिलो० प०८-४०० मेरुतलस्स य रुद तिलो. प० ४-२५७६ मूलु छडि जो डालि चडि पाहु० दो० १०६ मेरुतलादु दिवड्ढ तिलो. सा. ४५८ मूलुण्हपहा अग्गी +
गो० क० ३३ मेरुतलादो उवरि तिलो० ५० १-२७८ मुलुण्हपहा अग्गी +
कम्मप०६७ मेरुतलादो उवरिं तिलो०प०८-११८ मूलुत्तरगुणधारी
छेदपिं० २१
मेरुप्पदाहिणेणं तिलो. प०४-१८२६ मुलुत्तर तह इयरा दव्वस० णय०८० मेरुबहुमज्झभागं तिलो. प. ४-२०६८ मूलुत्तरपयडीओ
बा० अणु० ८५ मेरुमहीधरपासे तिलो०प०४-२००१ मूलुत्तरपयडीण
गो० क.६७ मेरुव्व णिप्पकंपा भ० श्रारा० १५३६ मूलुत्तरपयडीण
गो० क० ६८
मेरुसमलोहपिंड तिलो० प० २-३२ मूलुत्तरपयडीणं गो० क. ६२७
तिलो० प० २-३३ मूलुत्तरसमणगुणा दव्वस० गय० ३३२
तिलो०प०१-२२५ मूलुत्तरुत्तरुत्तर
रयणसा० १३३ । मेरुस्स य इह परिधी जबू०प०४-३४

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