Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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प्राकृतपद्यानुक्रमणा
य,र
२४७
यमक मेघगिरि वा तिलो० ५०४-२०६७ | रत्तवडचरगतावस
मूला० २५१ याजकनामेनानन- गो० जी० ३६३ | रत्तवडचरगतावस
मूला० २५६ रत्त णाऊण णरं
वसु० सा० ८६ रत्ताणदिसजुत्तो
जबू० प०८-४३ रत्ताणदिसंजुत्तो
जबु०प०६-१३८ रइओ तिलगदेसे सुदख० ८६ | रत्ताणदीपजुत्तो
जबू०प०६-१५८ रइओ दसणसारो
दसणसा० ५० रत्ताणामेण णदी तिलो० प०४-२३६७ रइजिभो य दप्पो धम्मर० ११६ ! रत्ता मत्ता कंतासत्ता
भावसं० १८३ रइयं बहुसत्थत्थं रिट्ठस० २५५ | रत्ता-रत्तोदाओ
जंवू० ५० ६-६४ रक्खसइदा भीमो तिलो. प० ६-४५ रत्ता-रत्तोदामो तिलो. प०४-२२६३ रक्खति गोगवाइ
भावस० ५७३ | रत्ता-रत्तोदाओ तिलो० ५०४-२३०२ रक्खतो वि ण रक्खइ ढाढसी०८ | रत्ता-रत्तोदाश्रो
जंबू० प० ७-६७ रक्खा भएसु सुतवो भ० श्रारा० १४७१ रत्ता रत्तोदा वि य जवू० ५० ७-६१ रक्खाहि बंभचेरं
भ. श्रारा०८७७ रत्तारत्तोदाहिं तिलो. प०४-२२६२ रजदणगे दोरिण गुहा तिलो० ५० ४-१७५ रत्तारत्तोदेहि य
जबू०प०७-७२ रजसेदाणमगहणं * मूला० ६१० रत्तारत्तोदेहि य
जबू०७-१०४ रजसेदाणमगहणं ** भ० पारा०६८ | रत्तारत्तोदेहि य
जंबू०प०८-८ रज्जन्भंसं वसणं वसु० सा० १२५
जवू० प०८-१६ रज्ज खेत्तं अधिवदि- भ० श्रारा०५१७
जबू०प०८-६६ रज्जं पहाणहीणं रयणसा० ८३ | रत्तिगिलाणभत्ते
छेदस० २६ रज्जुकदी गुणिदव्या तिलो०प०६-५ रत्तिदिणाणं भेदो तिलो०प०४-३३२ रज्जुकदी गुणिदव्वा
तिलो०प०७-५ रत्तिदिवं पडिकमणं बा० श्रणु० ८८ रज्जु घणद्धं णवहद- तिलो० प० १-१६० रत्तिं एगम्मि दुमे
भ० श्रारा० १७२० रज्जुघणा ठाणदुगे तिलो० ५० १-२१२ रत्तिंचरसउणाणं
मूला० ७६१ रज्जुघणा सत्त च्चिय तिलो० ५० १-१८६ रत्तिंजागिज पुणो
वसु० सा० ४२२ रज्जुतयस्सोसरणे तिलो० सा० ११६ रति रत्तिं रुक्खे
भ० श्रारा० १७५७ रज्जुदुगहाणिठाणे तिलो. सा. ११६ रत्तीए ससिबिंचं तिलो० प० ४-४७१ रज्जुस्स सत्तभागो तिलो० ५० १-१८४ रत्तें वत्थे जेम बुहु परम०प०२-१७८ रज्जूए अद्धण तिलो० ५०८-१३३ रत्तो बंधदि कम्म
समय० १५० रज्जूए सत्तभागं तिलो. प०१-१९७६
पवयणसा०२-८७ रज्जूच्छेदविसेसा जंबू० ५० १२-६२ | रत्तो वा दुट्ठो वा भ० श्रारा ८०२ (२०) रज्जूदलिदे मंदर
तिलो० सा०३५२ रदणाउला सवग्धा व भ० श्रारा० ६७५
तितो. ५०१-२३६ रदण-सक्करा-बालुय- ज० प० ११-११३ रणभूमीए कवचं
भ० श्रारा० १८६३ रदिअरदिहरिसभयउस्सुग- भ० श्रारा० ७७६ रणे तव करतो धम्मर० १०३
भावस० २३७ रतिपियजेट्ठा इंदा तिलो० सा० २५८ | रमणीयकव्वडजुदो जबू० प०८-१४० रतिपियजेट्ठा ताणं तिलो० ५० ६-३५ । रमणीयगामपउरो जबू०प०८-१४१
मं

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