Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 440
________________ २४४ पुरातन-जैनवाक्य-सूची मिस्से दस सरणीए सिन्द्वंत. ३१ | मुत्ता गिराववेक्खा मूला० ७६७ मिस्से पुण्णालाओ गो० जी० ७१७ मुत्ताहारं णेमिस- तिलो० सा० ७०६ मिस्सो त्ति वाहिरप्पा रयणसा० १४६ मुत्तिविहूणउ गाणमउ परम० प०२-15 मिहिरो महंधयारं रयणसा०५२ मुत्ते खंधविहावो दन्वस० गय० ७८ तिलो०प०४-५४३ मुत्ते परिणामादो दन्दस० णय० २६ मिहिलापुरीए जादो तिलो. प० ४-५४५ | मुत्तो एयपदेसी । दव्वस० णय० १०० मीणालि-मेस-कुभे प्रायः ति० १७-१३ मुत्तो फामदि मुत्तं परिय० १३४ मीमसइ जो पुब्ब* पचसं० १-१७४ मुत्तो स्वादिगुणो पवयणसा०२-८१ मीमांसदि जो पुन्य * गो० जी० ६६१ मुरजायारं उड्द तिलो० प० १-१६६ मुक्क सुणह-मजर-पमुह सावय० दो० ४७ मुरयं पततपक्खी तिलो० ५० ५-४६८ मुक्कह कूडतुलाइयहँ सावयदो. मुरवदले सत्तमही तिलो० सा० १४४ मुक्का मेरुगिरिंदं तिलो० ५० ४-२०८८ मुरवायारो जलही तिलो० सा० १०॥ मुक्को वि गरो कलिणा भ० श्रारा० १३२७ | | मुवउ ममाणि ठवेवि लहु सुप्प० दो० १० मुक्खट्टी जिदणिद्दो मूला० ६५१ मुसलाई लंगलाई तिलो० ५० ४-१४३३ मुक्खस्स वि होदि मदी भ० पारा० १७३० । मुहजीहं चित्र किएहं रिट्ठस. २८ मुक्खं धम्मज्झाणं ____ भावसं ० ३७१ मुहणयणदतधोयण मुला०८३७ मुक्खु ण पावहि जीव तुहुँ परम०प० २-१२४ मुहतलसमासपद्धं जंबू०प०१५-105 मुक्खो विणासरूवो तञ्चसा० ४८ मुहभूमिविसेसेण य जवृ०प०३-२१२ मुच्छारंभविमुकं पवयणसा० ३-६ मुहभूमिविसेसेण य जबू०१०१०-२१ मुज्झदि वा रजदि वापवयणसा० ३-४३ मुहभूमीण विमेसे। तिलो० ५० ४-१७६४ मुट्ठिपमाणं हरिदाछेदपि० १३ | मुहभूमीण विसस तिलो० सा० ११४ मुणिऊरण एतदद्वं पंचत्थि० १०४ | मुहभूविसेसमद्धिय तिलो० प०४-१७६१ मुणिऊरण गुरुवकज्ज वसु० सा० २६१ मुहभूसमासमद्धिय तिलो० ५० १-१६१ मुणि-कर-णिक्खित्ताणिं तिलो० प० ४-१०८० मुहमंडवेहि रम्मो तिलो. प० ४-१८ मुणि-तिउणा दिसि गया श्राय० ति० ३७-१२ . मुहमंडवस्स पुरदो तिलो०प०४-१८६१ मुणिदपरमत्थसारं जबु० ५० ११-३६५ मुहमंडवाण तिराहें जवृ० ५० ५-३४ मुणि-पाणि-संठियाणिं तिलो० ५० ४-१००२ मुहमूले वेहो वि य जंवू० ५० १०-१३ मुणिपुंगवो सुभद्दो सुदख० ७६ मुह वि लिहिवि सुत्तउ सुणह सावय० दो० ४२ मुणिभोयणेण दव्यं भावसं० ५६७ | मुंडियमुंडिय मुंडिया पाहु० दो० १३५ मुणि वयणइ मायहि मण सावय० दो० १०८ मुंडु मुंडाइवि सि(दि)क्ख धरि पाहु०दो०१५३ मुणिवरविंदहँ हरि-हरहँ, परम० ५० १-११० मूगं च ददुरं चावि मुगिसंखा पंचगुणा माणसा० २३ मूढत्तयसल्लत्तय रयणसा० १५० मुत्तपुरीसे रेदे | मूढा जोवइ देवल पाहु० दो० १८० तिलो०प०४-१०७० मूढा देवलि देउ णवि जोगसा० ४४ मुत्तममुत्तं दव्यं णियमसा० १६६ / मुढा देह म रजिया पाहु० दो० १०७ मुत्तं आढयमेत्तं भ. श्रारा० १०३५ मूढा सयलु वि कारिमउ परम०प० २-१२८ मुत्तं इह मईयाणं ४ णयच० ५४ | मूढा सयलु वि कारिमउ* पाहु० दो० १३ मुत्तं इह महणाणंx दव्वस०-णय० २२६ । मुढा सयल विकारिमउ पाहु० दो०५२ मुत्ता इंदियगेझा पषयणसा० २-३६ | मृद वियक्खणु भु परु परम० ५० ५-१३ मुत्ता जीवं कायं वसु० सा० ३४ | मूढो वि य सुदहेढुं दव्वस० गय० ३४४. मूला० ६०७ छेदस० ८२

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