Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
View full book text
________________
प्राकृतपद्यानुक्रमणी
२३६
-
मंदादि)रपंतिप्पमुहे तिलो० ५० ४-१०५२ माघस्स य अमवासे तिलो. १०४-६८७ मदरमहागिरीणं
जंबू०प० ४-७१ माघस्स सिदचउत्थी- तिलो०५०४-६५५ मदरमहाचलाणं
जब० प० ६-६७ माघस्स सुक्कणवमी- तिलो. प० ४-६४४ मदरमहाचलो हि दु जंब० ५० ४-२१ | माघस्स सुक्कपक्खे तिलो० प०४-५२६ मदरमहाणगाणं
जव प०४-१३२ [माघस्स सुक्कविदिये] तिलो० ५०४-६८० मंदरवणेसु णेया जय० ५० ५-६७ माघस्सिदएक्कारसि- तिलो० ५०४-६६५ मंदरविक्खभूणं जब० ५०६-१३ | माघादी होति उडू तिलो० ५० ४-२६० मंदरसरिसम्मि जगे तिलो० ५० १-२२८ माघे सत्तमि किरहे तिलो० सा०४१६ मदरसेलस्स वणे जंब० ५० ११-६४ मा चिट्ठह मा जंपह
दव्यम०५६ मंदरसलाहिवई तिलो०प०४-१९८२ माण। इछिय परमहिल सावय. दो० ६३ मंदारकुंदकुवलय- जव० ५० १३-१२३ माणतिय फोहदिये लद्धिसा० ५४५ मदारचूदचंपय
तिलो० सा० ६०८ मारणतियाणुदयमहो लदिसा. ६०१ मंदा हुांत कसाया भ० श्रारा० १६१२ माणदुग सजलणग
लद्धिसा० २७२ मंदिरगिरिपढमवणे जव० प०५-५ | मारणद्धा कोधद्धा
क्सायपा० १७ मंदो वुद्धिविहीणो* पचसं० १-१४५ माणमददप्पथभो कसायपा० ८०(३४) मदो वुद्धिविहीणो* गो० जी० ५०६ मास महमाणसिया तिलो० ५०४-६३७ मं पुणु पुराणा' भल्ला . परम० प० २-५७ माणस्स भजणत्थ
भ० श्राग० १७२७ मसहिसुक्कसोणिय
भावपा० ४२ माणस्स य पढठिदी लद्धिमा० २७१ मंसटि सिंभ-बस-रुधि(हि)र- मूला० ७२४ माणस्स य पढमठिदी लन्द्विसा० २७३ मसस्स गस्थि जीवो
दसणसा०८ माण दुविहं लोगिग तिलो० सा०६ मंसं अमेज्मसरिस वसु० सा० ८५ | माणं मि चारणक्खा(क्खो) तिलो०५०४-१९६२ मसासणेश लुद्धो वसु० सा० १२७ माणादि-तियाणुदये
लद्धिसा० ३५६ मंसासणेण वट्ट (ड्ढ)इ वसु० सा० ८६ / माणादि-तिये एवं
श्राम ति०४६ मंसासिणो ण पत्त भावस० ३१ माणादाणहियकमा
लद्धिसा० ४८३ मंसाहारफलेण य धम्मर०५८ | माणी कुलजो सूरो
वसु० सा० ११ मंसाहाररदाण
तिलो प० २-३३६ मारणीचारणगंधव- तिलो० सा० ६१६ मंसेण पियरवग्गो
भावस.२६ माणी वि अमरिस्म वि भ० श्रारा० १११ मा कासि त पमाद
भ. श्रारा० ७३५ माणी विस्सो सव्वस्स भ. श्रारा० १३७७ मा कुपासि तुमं बुद्धिं भ. श्रारा०८५३ माणुएणयस्म पुरिसदुमस्स भ० श्रारा० ६३६ मागधणामो देवो जव० प०७-१०३ । माणुल्लासयमिच्छा तिलो. ५०४-७८० मागधदीवसमारणं तिलो० ५० ४-२४७१ | माणुसग्वित्तपमाण तिलो० सा० ४७२ मागधदेवस्स तदो तिलो० प०४-१३०१ माणुमखित्तस्स बहि कत्ति. अणु०१४३ मागधवरतणुवेहि य तिलो० ५० ४-२२५२ माणुमखेत्तपमाणं तिलो. सा० १६६ मागधवरतणुवेहि य जब० ५०८-५६ | माणुमखेत्तपमाणं जबू०प०११-३४४ मागहतिदेवदीवत्तिदयं तिलो० सा० ११२ | माणुसखेत्तहिद्धा जब० प० १२-१६ माघस्म किण्हचोदसि- तिलो० ५० ४-११८३ | माणुसखेत्ते सासणो । तिलो. प०७-६०७ माघस्स किएहपक्खे तिलो. प० ७-५३४ | माणुसगदितज्जादि भ० श्रारा० २१२१ माघस्स किरहबारसि- तिलो० प०४-६५२ | माणुसजगबहुमज्झे तिलो० प० ४-११ माघस्स वारसीए तिलो० ५० ४-५२८ | माणुमतिरिया य तहा
मूला० ११७० माघस्स बारसीए तिलो.५० ४-५३४ | माणुसभवे वि अत्था भ० श्रारा० ८७३

Page Navigation
1 ... 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519