Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
View full book text
________________
२४०
पुरातन-जैनवाक्य-सूची
माणुसमंसपसत्तो भ० श्रारा० १३५७ | माया पियर कुडंबो
कल्लाणा माणुसलोयपमाणो तिलो०प०६-१७ | माया पोसेइ सुयं
भ० श्रारा० १७६० माणुस्सा दुवियप्पा __णियमसा० १६ | माया मिल्लहि थोडिय वि सावय० दो० १३३ माणेण जाइकुलरूव- भ० अारा० १२१७ माया य सादिजोगो कसायपा० ८८ (३५) माणेण तेण राया जबू० प० ७-१४६ | मायारूवमहेंदज्जाल
अगप०३-५ माणे लदासमाणे कसायपा० ७१(२२) | मायालोहे रदिपुवा
गो० जी०६ माणोदएण चडिदो लद्धिसा० ३५३ | मायावहिणिसुआओ धम्मर० १४६ माणोदयचडपडिदो लद्धिसा० ३५५ | माया व होइ विस्सस्स भ० श्रारा०८४० माणो य माय लोहो दव्वस० गय०३६४
तिलो०प०८-३८७ माद(दु)सुदादिसजोणी छेदस० ८४ | माया वि होइ भज्जा भ. श्रारा. १७६१ भ० श्रारा० १०६५ मायावेल्लि असेसा
भावपा० १५६ मादाए वि य वेसो भ० श्रारा० ८४६ मायासल्लस्सालोयरणा- भ० श्रारा० १२५ मादापिदरसहोदर
बा० अणु० २१ मारणसीलो कुरणदि हु भ० धारा०७६५ मादा पिदा कलत्त तिलो. प० ४-६३६ मारिमि जोवावेमि य
समय० २६१ मादा य होदि धूदा
मूला० ७१६ मारिवि चूरिवि जीवडा परम० प० २-१२६ मादुपिदुपुत्तदारेसु भ० श्रारा० ११४७ मारिवि जीवह लक्खडा परम०प०२-१२५ मादुपिदुपुत्तमित्तकलत्त- रयणसा० १६ मारेदि एवमवि जो भ० श्रारा० ७६६ मादुपिदुसयणसबधिको मूला० ७०० मालइकयंबकरपया
वसु० सा० ४३१ मादुसुदादीहिं सजोणियाहिं। छेदपिं० ३४१ | मासचउक्कं लोचो
छेदपिं० १०५ मादुसुदाभगिणी वि य
मूला०८ मासत्तिदयाहिय चउ तिलो०प०४-६४८ मा मुक्क पुण्णदेऊं भावसं० ३६४ मासपुधत्तं वासा
लदिसा०५५८ मा मुज्मह मा रज्जह
दन्वस०४८ मासम्मि सत्तमे तस्स भ० श्रारा०१०१० मा मुट्टा पसु गरुवडा पाहु० दो० ३३१ मासं पडि उववासो
छेदस० ६७ माय-तिगादो लोभस्सादि- लद्धिसा० १७२ मासेण पंच पुलगा __ भ० श्रारा० १००६ मायदुगं संजलणग
लद्धिसा० २७६ माहउ-सरणु सिलीमुहट सावय० दो० १७३ मायंगकुंभसरिसो जबू० प० ६-३८ माहप्प वरचरणं
श्रगप०१-५० मायंगरामपुत्तो
अंगप० १-५१ माहप्पेण जिणाणं तिलो० प०४-६०५ मायं चिय अणियट्टी- पंचसं० ३-५८ माहवचंदुद्धरिया तिलो० सा०३६४ मायाए अभत्तीए श्राय० ति० २३-१३
२३-१३ | माहिंदउवरिमेत्तं(मंते) । तिलो०प०१-२०४ मायाए तं सव्वं भावस० ४४६ । | माहिदे सेढिगया
तिलो०प०-१६३ मायाए पढमठिदी
लद्धिसा० २७५ | मा होइ वासगणणा मायाए पढमठिदी लद्धिसा० २७७ | मिच्छक्खपंचकाया
पचस०४-११७ मायाए मित्तभेदे भ० श्रारा० १३८५ मिच्छक्खपंचकाया
पचसं०४-१२४ मायाए वहिणीए
मूला० ६६२ मिच्छक्खपचकाया पचस० ४-१२५ माया करेदि णीचा- भ० श्रारा० १३८६ मिच्छक्खपंचकाया
पंचस०४-१३१ मायागहणे बहुदोस- भ० श्रारा० १११० | मिच्छक्खपंचकाया
पचसं०४-१३२ मायाचारविवन्जिद- तिलो०प०३-२३२ | मिच्छक्खपंचकाया
पंचसं०४-१३६ मायादोसा मायाए भ०. श्रारा० १४५५ | मिच्छक्खं चउकाया पंचसं०४-१५ माया धूदा भज्जा भ० श्रारा. १२६ मिच्छक्खं चउकाया
पंचस०४-११६ माया-पमाय-पउरा भावसं० ६३ | मिच्छक्खं चउकाया
पंचस०-11
मूला० ६६५

Page Navigation
1 ... 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519