Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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पुरातन-जैनवाक्य-सूची
महपउमदहाउ णदी तिलो० प०४-१७४४ | महुमज्जाहाराणं तिलो० प० २-३४० महपउमो सुरदेओ+ तिलो० ५० ४-१५७७ महुयर सुरतरुमंजरिहिं पाहु० दो० ११२ महपउमो सुरदेवो + तिलो० सा०८७३
तिलो. सा. ६६३ महपुडरीयणामो तिलो० ५० ४-२३५८ । महुरमणोहरवक्का जंबू०प०४-२२२ महपूजासु जिणाणं तिलो० सा० ५५४ महुराए अहिच्छित्ते णिव्वा० भ० २२ महमंडलियो णामो तिलो० ५० १-४७ | महुरा महुरालावा तिलो० ५०६-५१ महमंडलियाणं अद्ध- तिलो०प०१-४१ | महुरेहिं मणहरेहिं य जंबू० ५०३-१०८ महवीरभासियत्थो तिलो०प०१-७६
जंबू०प०५-८० महव्वयाणि पंचेव अगप० १-१८ महुलित्तखग्गसरिस *
भावस० ३३४ महसुक्कइदो तह तिलो० प०८-१४३ महुलित्तखग्गसरिसं*
कम्मप०३० महसुक्कणामपडले तिलो०प०८-५०१ महुलित्तं असिधारं भ प्रारा० १३५२ महसुक्कम्मि य सेढी तिलो. प०-६६२ महुलित्तं असिधारं भ० श्रारा० १६६५ महसुक्कसुराहिवई ___ जंबू० प०५-१०२ मंगल-कारण-हेदू तिलो०प०१-७ महसुक्किदयउत्तर- तिलो० ५०८-३४५ मगल-पज्जाएहिं
तिलो०प०१-२० महिमवरिमजीवा तिलो. सा० ७७४ मंगलपहुदिच्छक्कं तिलो० ५० १-२५ महहिमवतणगस्स दु जंब० प०३-२२८ मंडलखेतपमाणं तिलो. प०७-४६० महहिमवतं रुंदं तिलो० ५० ४-२५५५ मंताभिओगकोदुग- म० श्रारा० १८२ महिमवते दोसुं तिलो० ५०४-१७२१ मंतीणं अमराणं तिलो० ५० ४-१३१२ महासाहू महासाहू
कल्लाणा०५० मंतीणं उवरोधे तिलो० प० ४-१३०७ महिलाकुलसवासं
भ० श्रारा० १३८ मंतु ण तंतु ण घेउ ण धारणु पाहु० दो० २०६ महिलारण जे दासा भ० श्रारा १६३ | मंदकसायं धम्म
कत्ति० अणु० ४७० महिलादिभोगसेवी भ० श्रारा० १२५६
| मंदकसायेण जुदा तिलो० ५० ४-४१६ महिलादी परिवारा तिलो. प०८-६४१ मंदरअखिलदिसादो तिलो० प० ४-२०१३ महिला पुरिसमवण्णाए भ० श्रारा० ६५७ मंदरईसाणदिसा- तिलो. प०४-२१६२ महिलालोयणपुव्वरइसरण-* चारित्तपा० ३४ मंदरउत्तरभागे तिलो ५०४-२१८६ महिलालोयण पुव्वरदिसरणं * मूला० ३४० मंदरकुलवक्खारिसु- तिलो० सा० ५६२ महिलालोयण पुव्वरदिसरणं *मनारा०१२१० मंदरगिरिदो गच्छिय तिलो० ५० ४-२०५३
भ० श्रारा० १११३ मंदरगिरिदो गच्छिय तिलो. प० ४-२०६१ महिला विग्घा धम्मस्स भ० श्रारा १८५ मंदरगिरिपहुदीणं तिलो. प०४-२८२६ महिलावेसविलंबी
म० श्रारा०६३२ मंदरगिरिमज्झादो तिलो. सा० ३६७ महिलासु णात्थ वीसंभ- भ० आरा० ६४३ । मंदरगिरिमझादो तिजो० ५० ७-२६३ महिस य मडय च तहा रिस० १७८
मंदरगिरिमूलादो तिलो० ५० ५-६ महिहि भमंतह ते णर य सुप्प० दो० ६६ | मंदरगिरिंदउत्तर
तिलो०प०४-२५८७ मह आसायउ थोडउ वि सावय० दो० २३ | मंदरगिरिंदगाइरिदि
तिलो०प०४-२१४५ महुकरिसज्जियमहुं भ० श्रारा० ७८० मंदरगिरिददक्षिण
तिलो. प०४-२१३६ महुपिंगो पाम मुणी भावपा० ४५ मंदरणामो सेलो
तिलो० प०४-२५७३ महुमज्जमंसजूवाकल्लाणा० १२
जब० प०११-६८ महुमज्जमंसविरई
भावसं० ३५६ । | मंदरतलमज्मादो
जंब० ५० ११-१०० महुमन्नमंससेवी
वसु० सा० ६६ , मंदरतलमज्झादो महु मज्ज मंसं वा छेदपिं० ३३२ | मंदरपच्छिमभागे
तिलो० ५०४-२१०६
जब० प०११-१०२

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