Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 378
________________ १८२ पुरातन-जैनवाक्य-सूची lih दुक्ख णिंदा चिंता दव्वस० णय० ३५० | दुग सग चदुरिगिदसयं आम ति० २१ दुक्खं दुजसबहुलं तिलो० प० ४-६७१ । दुगसत्तचउक्काई तिलो० ५० ७-३३ दुक्ख लाहं चत्ता रिदृस. २२६ दुगसत्तदसं चउदस तिलो०८-४५८ दुक्खाइ अणेयाइँ श्रारा० सा० ४२ दुगुण परीतासंखे- तिलो० सा० १०६ दुक्खा य वेदणामा तिलो. प० २-४६ | दुगुणम्मि भइसाले तिलो० ५० ४-२६१३ दुक्खिदसुहिदे जीवे समय० २६६ / दुगुणम्मि भदसाले तिलो. प० ४-२०२८ दुक्खिदसुहिदे सत्ते समय० २६० दुगुणम्मि भहसाले तिलो. प० ४-२०१८ दुक्खु वि सुक्खु वि बहु-विहउ परम०प०१-६४ | दुगुणं हि टु विक्खंभो जवृ० ५० १०-६) दुक्खु वि सुक्खु सहतु जिय परम० प० २-३६ | दुगुणाए सूजी(च)ए तिलो० ५० ४-२७६० दुक्खे णजइ अप्पा मोरखपा० ६५ | दुगुणि च्चिय सुजी(ची) तिलो०प० ४-२५९६ दुक्खे णज्जदि णाणं सीलपा० ३ दुगुणियसगसगवासे तिलो० ५० ५-२५७ दुक्खेण णतखुत्तो भ. श्रारा० १७८६ दुगुणियसगसगवासे तिलो० प०५-२५६ दुक्खेण देवमाणुस- भ. श्रारा० १२७६ दुगुणिसु कदिजुद जीवा- तिलो० सा० ७६३ दुक्खेण लभदि माणुस्स- भ० श्रारा० ७८१ दुगुणिसुहिधणुवग्गो तिलो० सा० ७६५ दुक्खेण लहइ जीवा भ० श्रारा० ४६३ दुग्गदिदुस्सरसहदि गो० क० ३१० दुक्खेण लहइ वित्तं भावसं० ५६१ दुग्गमणादावदुगं गो० क. ४०५ दु-ख-णव-णव-चउ-तिय-णव-तिलो०प०४-२३७५ दुग्गमदुल्लहलामा मूला० ७२२ दुख पंच एक सग व तिलो. प० ४-२८५० दुग्गधं वीभत्थ(च्छ) बा० अणु० ४४ दुगअट्ठएक्कच उणव- तिलो. प. ७-३३७ दुग्गाडवीहिजुत्तो तिलो. १०४-२२३३ दुगअट्ठगयणणवयं तिलो० ५० ४-२७३४ दुचउसगदागिणसगपण- तिलो० ५० ५-२६५३ दुग-अट्ठ-छ-दुग-छक्का तिलो० ५० ७-३३५ | दचयहदं संकलिद तिलो. प० २-८६ दुगइगतितियणवया तिलो. प०७-२६ दुजुदाणिं दुसयाणि तिलो० ५० १-२६२ दुग एक चउ टु चउणभ तिलो० प०४-२८६५ | दुजणवयणचडक्क भावपा० १०५ दुग घउ अट्ठाई तिलो० ५० ४-२५५६ दुजणवयण चडपड दुगचउरट्ठडसगइगि तिलो० सा० ६२८ दुजरणसंसग्गीए भ० श्रारा० ३४४ दुगचदुअणेयपाया भ. श्रारा० १७३७ दुजणसंसग्गीए भ० भारा० ३४६ दुगछक्कअछक्का तिलो. प०७-२५० दुज्जणु सुहियउ होउ जगि सावय० दो० २ दुगछक्कतिरिणवग्गे___ गो० क० ३८३ | दुट्ठट्टकम्मरहियं मोक्खपा० १८ दुग छक्क सत्त अटुं दुट्ठा चवला अदिदुज्जया भ० श्रारा० १३१६ दुगछत्तियदुगसत्ता तिलो. प० ७-३१६ दुढे गुणवते वि य दसणसा. १६ दग-छ-दग-अट्र-पंचा तिलो. ५० ७-३३० रिण य एय एय वसु०मा० २५ दुगणभएक्किगिअडचउ- तिलो०५० ४-२८८० । दणि सय विंसत्तर: सावय. दो० २२२ दुगणभणवक्क पंचा तिलो. प० ७-३८६ दुतडाए सिहरम्मि य तिलो. प० ४-२४४७ दग तिग शुभ छ दुग णभ भावति० ३५ | दुतबादो जलमज्झे तिलो० ५०४-२४०५ दुग तिग तिय तिय तिरिण य तिलो०प०७-५५८ | दुतडादो सत्तसयं तिलो. सा० १०४ दुगतिगभवा हु अवरं गो० जी० ४५६ / दुतडे पण पण कचण- तिलो० सा० ६५६ दुगद्गअडतियसुरणं अगप०१-३६ दुतिआउ-तित्त्थ-हारचउक्कूणा लद्धिसा० ३१ कत्ति० अगु० १७० गवेकरसं गो. क. ३६५ दुगदुगदुगणवतियपण- तिलो०५०४-०६४० दुद्धरतवस्स भग्गा भावस. १३३ दुगवारपाहुडादो गो० जी० ३४१ । दुपदेसादी खंधा पवयासा०२-७५ मूला०८६७ गो० क०३७६

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