Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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२१०
पुरातन-जैनवाक्य-सूची
पाणिवह मुसावादं
मूला० ७८० पायारतभागे, पाणिवह मुसावाद
मूला० १०२४ पायाराणं उवरि पाणिवहेहि महाजस
भावपा० १३३ पायालतले णेया पाणिविमुत्ता लंगलि
भावस० ३०० पायालपीढवसहरहपाणीए जंतुवहो
मूला० ४६७ पायालाम्म य इट्टा पाणेहिं चदुहिं जीवदि " पचत्थि० ३० पायालस्स विभागे पाणेहिं चदुहिं जीवदि पवयणसा० २-१५ पायालंते णियणिय- पाणो वि पाडिहेरं म० श्रारा० ८२२ पायालाण गेया पादट्ठाणे सुगणं
तिलो०प०४-५२ पाये रुद्धविमुक्के पादालस्स दिसाए तिलो०प० ४-२४५८ पायोपगमएमरणं पादालाणं परिदा(दो) तिलो०प०४-२४३३ पारदरियट्टणयं पादुक्कारो दुविहो
मूला० ४३४ पारद्धा जा किरिया * पादूणं जोयणयं तिलो. प० ४-५१ पारद्धा जा किरिया * पादे कंटयमादि
भ. श्रारा० २०५७ | पारद्धिउ परणिग्विणउ पादोसणियमरहिए
छेदस० २१ पारसियभिल्लबब्बरपादोसिय अधिकरणिय भ० श्रारा०८०७ पारं अंचदि परदेसपादोसियवेरत्तिय
मूला० २७० | पारंपज्जाएग दु पापविसोतिअपरिणा
मूला०३७६ पारावइमोराणं पापविसोत्तियपरिणा- भन्श्रारा० १२५ पालकरज्जं सहि पास्सागमदारं । भ० श्रारा०८४६ पावइ आईउखघाइएसु पामिच्छे परियट्रे
मूला० ४२३ पावइ दोसं मायाए पायच्छित्तं आलो
मूला० ६३० | पावजुए चलवेरिणि पायच्छित्त कमसो
'छेदपिं० १२१ । पावजुए पडिकूले पायच्छित्तं छेदो
छेदपि०३ पावजुयदिट्ठमझे पायच्छित्तं ति तवो
मूला० ३६१ पाव५ोगा मणवचिपायच्छित्तं दिएणं
छेदपि० २११ पावपयोगासवदारपायच्छित्तं दिएणं
छेदपिं० २१२
पावहि दुक्खु महंतु तुहुँ पायच्छित्तं विणयं
मूला० ३६० | पावं करेदि जीवो पायच्छित्तं सोही
छेदस०२ पाव खवड असेसं पायति पज्जलंतं ..
धम्मर० ५७ पावंति केइ दुक्खं पायारगोउरट्टल- तिलो० सा० ७०६ | पावंति केइ धम्मादो पायारग्गोउरदा- जंबू. प०११-२४८ पाति भावसवणा पायारदेउलाण य श्राय० ति०१०-१५ / पावं मलं ति भएणइ पायारपरिउडाणि य जवृ० प०८- | पावं पयइ असेसं पायारपरिगदाइ
तिलो०प०४-२५ पायारवलहिगोउर- तिलो. प. ४-१६५२ | पावारंभणिवित्ती पायारवलहिगोउर
जंवृ०प०३-१६ पायारसंपरिउडा
जबू० प० ३-६३ / पाविय धणो वि वज्जिय पायारसंपरिउडा
जय० प०८-६, पावेण अधोलोयं । पायारमंपरिउडो
जंबू० ५०७-३६ पावेणा जणो एसो
तिलो. सा०८१५ तिलो० सा० ८८७
जंबू०प०४-२३ जबू० प०११-२०६ जबू० प०६-१२२
जबू० ५० १०-६ तिलो०,५०४-२४४५
जबू० ५० १०-३१ श्राय. ति. 19-0 भ० आरा०२४ अगप०३-८
-णयच.३० दवस० गय० २०० सावय.दो०४६
धम्मर.. छेदपि०२२
बा० अणु०५६ तिलो० ५०८-२५१ तिलो०प०४-१५०१
प्रायः ति० ६-१५ भ० पारा० १३८१ प्रायः ति०१६-३
प्रायः ति० -६ प्रायः ति० १८-२३ भ. श्रारा १८३३ म० श्रारा. १८३६ परम० प० २-११६ भ० धारा० १७४७ भावपा० १०६
धम्मर धम्मर०३
भावपा०६८ तिलो०प०१-१०
भावपा० १११ णिवा० भ०१३
रयणसा०० तिलो०प०३-२२०
आय० ति०८-1 जंबू० ५०११-१00 ,कत्ति० प्रशु०१७
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