Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 405
________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणी २०६ पंचव सहस्साणिं तिलो. प०७-१६५ | पाए चलस्स उवरि आय. ति० १२-२ पचेन होति णाणा गो० जी० २६६ पाएसु जो विससो प्राय० ति०७-७ पदिए तसे तह सिद्धत० ५३ पाओदयं पवित्तं वसु० सा० २२७ प.दिएसु तसकाइएसु भावति० ८० | पात्रो(वो)दयेण अत्थो भ० श्रारा० १७३, पंचेंदियजीवाणं श्रास० ति० ३८ पात्रा (चो)दयेण सुट्ट वि भ० धारा० १७३२ पदियणाखाण कत्ति० अणु० २५६ पाओपहदसभावो लिंगपा० . पंचेंदियप्पयारो भ. श्रारा०६३५ पात्रो लोओ चित्रं छेदपिं० ३१८ पचेंदियसंवरणं चारित्तपा०२८ | पाओवगमणमरणस्स भ. श्रारा० २०६३ पंचेंदियारण लोगो जबू० प०४-१५ | पाखडीलिगेसु व समय०४१३ पचेदिया दु सेसा मूला० ११३० पागादु भायणाओ मूला० ४३० पंजरमुक्को सउणो भ० श्रारा०।३२० | पाचीणाभिमुहो वा भ० धारा० २०३५ पडिदपंडिदमरणं भ० श्रारा० २६ पाचीणोदीचिमुहो भ. श्रारा० ५५० पडिदपंडिदमरण भ० श्रारा० २८ पाचीणोदीचिमुहो भ० श्रारा० ५६. पंडिदपंडिदमरणे भ० श्रारा० २७ / पाडयरिणयंसगभिक्खा म. श्रारा० २११ पडियपंडिय पंडिया पाहु० दो० ८५ पारलअसोयवरणा जंबू० प० ३-६२ पंडुकवणस्स मज्झे जंबू० प० ४-१३० पाडलजपिप्पल- तिलो० प०४-१५ पंडुकसिला वि णेया जबू० ५० ४-१३६ पाडलिपुत्ते धूदा भ० श्रारा० २०७४ पंडुगजिणगेहाणं तिलो० ५० ४-२०८६ पाडलिपुत्ते पचा- भ० धारा० १३५६ पंडुगवणस्स मज्झे तिलो. प०४-१८४१ | पाडित्ता भूमीए धम्मर०५० पंडुगवणस्स मज्झे तिलो० ५० ४-१८४५ | पाडुन्भवदि य अएणो पवयणसा०२-११ पंडुगवणस्स हेट्टी तिलो० प० ४-१६३५ पाडेक्कणयपहगयं सम्म०३-६, पंडुगसोमणसाणिं तिलो०प०४-२५८२ | पाडेदं परसू वा भ० भारा०६८ पडुत्थ(?)सालिपउरो जबू०प०८-७० पाणगमसिंभलं परिपूर्य भ० श्रारा. १४६ पडुवणपुराहिंतो तिलो० प०४-१९४२ पाणचक्कपउत्तो भावसं० २८० पडुवरणपुराहितो तिलो० प०४-२००२ पाणदपडलं च तहा ___ जंयू०प० ११-३३३ पडुवान्भतरए तिलो० प०४-१८१६ पाणवधादीसु रदो* गो० क०८१० पडुवणे अइरम्मा तिलो० प०४-१८०१ पाणवधादीसु रदो* कम्मप०१६० पंडुसिलाय समाणा तिलो. प०४-१८३३ | पाणवहाईसु रओं * पंचस०४-२१० पंडुसिला-सारिच्छा तिलो०प०४-१८३१ | पाणं इंदो वि तहा जंबू०प०५-१०६ पंडुसुत्रा तिरिया जणा णिवा० भ०७ | पाणगतूरियंगा तिलो. प०४-८२७ पंडूकंबलणामा तिलो०प०४-१८२८ पाणगा तुरगा तिलो. प०४-३४. पंथं छडिय सो जादि भ० थारा० १२६६ पाणं मधुरसुसादं तिलो० प०४-३४२ पंथादिचारपमुहाछेदपि० १८० पाणाइवायविरई वसु० सा० २०७ पंथे पहियजणाण कत्ति० अणु०८ पाणादिवादविरदे मूला० १०३२ पंथे मुस्संतं पस्सिदूण समय०५८ पाणाबाधं जीवो पवयणसा० २-५७ पाउ करहि सुहु अहिलसहि मावय० दो० १६० | पाणावायं पुव्वं अंगप०२-१०७ पाउ वि अप्पहिं परिणवइ पाहु० दो० ७८ | पाणिदलर्धारदगंडो भ० धारा ८८७ पाउसकालणदीयोव्व(उव) भ० पारा०६५४ | पाणिवधमुसावादा- भ० श्रारा० २०८० पाऊरण खाणसलिल चारित्तपा० ४० पाणिवह मुसावाए मूला० ६५६ पाऊण गाणसलिलं भावपा० ६३ । पाणिवहमुसावाद(दा) मूला० २८८

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