Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 408
________________ २१२ पित्थ च पयत्थ पिंडदा पंचेव पिंडं उवहिंसेज्जं x पिंडं सेज्जं उवधि x fust उवधि सेज्जा सि थराच्छीरं पीओ लोढय सरिसो पीढत्तरस कमसो पीढस्स चउदिसासुं पीढस्स चउदिसासुं * पीढस्स च उदिसासु पीढस्सुवरिं चित्तं पीढं मेरु कपि पीढाण उवरि मात्थंभा पीढा परि पीढाणं वित्थारं पुग्गलकम्मं को हो पुग्गलकम्म मिच्छं पुग्गलकम्मं रागो पुग्गलकम्माटीणं पुग्गलदव्वं मो (मुत्तं पिंडोवधि सेज्जाए पुग्गल भेदविभिरणं पिंडोवधि से जाओ पिंडोवधि सेज्जाओ पिंडो वुच्च दे पुग्गल मज्झत्यो य (त्थेचं) पुग्गलविवाइदेहो - मूला० ११६ भावसं० ६२० | पुग्गलसीमेहि विदो पीऊमणिज्झरणिं जिणचंद - तिलो०प०४-६३८ | पुग्गलु अणु जि अणु जिउ जोगसा० ४५ जबू० प० १३-११ पुग्गल छव्त्रिमुत्तु वढ पुग्गलु जीवहॅ सहु गरिणय पीढाणीए दोरणं पीढाणीयस्स तहा पीढोवरि बहुम पीढोरम्म भागे पीढो सच्चइपुत्तो पीत्थ सिंदुवदरगा पीदिमरणा दमरणा पीदिकर श्राच्वं पीढ़ी भए य सोगे पीयारुकसिणसिया पीति जहा इक्खू पीलिज्जते केई पुक्खरगहणे काले पुक्खरवर उदधीदो पुखरवरद्धदी पुरातन जैनवाक्य-सूची पुक्खरिणीपदी पुग्गलकम्मणिमित्तं वसु० सा० ४५८ गो० क० ८५८ f भ० श्रारा० २८६ मूला० १०७ भ० श्रारा० २६२ भ० श्रारा० ६०६ छेदपिं० १६० तिलो० प० ४ -७६६ | पुच्छिय पलायमाणं | पुज्जराविहि च विश्वा पुज्जाउवरणाइय पुज्जो वि खरो अवमापुट्टट्ठी चवीसं | तिजो० प० ४-१८६६ तिलो० प० ४-१६०१ तिलो० प० ४ - १६०६ जंबू० बू० प० १-४३ भावसं ० ४३७ पुढं सुइ सद्दं तिलो० प० ४ -७७३ पुट्ठिमसु जइ छडियउ तिलो० प० ४-८६७ | पुट्ठीए होति अट्टी तिलो० प०४-७६ | पुट्टो विययियेहि तिलो० प० ८- २७६ | पुढवि-जल-तेउ-वाऊ | जबू० १० ११ - २८४ तिलो० प० ४ - १८६७ तिलो० प० ४- १६०२ तिलो० प० ४- १४३८ भ० प्रा० १०५५ जबू० प० ११ - २६४ तिलो० प०८ - १७ पुढवि दग ते वाऊपुढवि - दगागरण-पत्रणे पुढवि - दगागणि मारुदपुढवि दगागणि मारुदपुढवि - दगागरण - मारुयपुढविप्पहु दिवराप्फटपुढविंदयमेगू पुढवाच | भ० श्रारा० १४४१ प्रा० ति०४ - १८ | पुढवीश्राऊते उधम्मर० ४७ पुढवी आऊऊतिलो० प० २-३२३ | पुढवी आऊ तेऊ गो० जी० ३१२ पुढवी आऊ तेऊ जंबू ० प० १२ - २१ |पुढवी आऊ य तहा तिलो० प० ४-२८०७ पुढवादिच उह तिलो० सा० ३२२ | पुढवीकायिगजीवा पुक्खर सयभुरमरणा पुक्खरसिंधु (धू) भयधरणं (ख) तिलो० सा० ३६० | पुढवीजल ग्गिवाऊ तिलो० प० ४-३२४ | पुढवीजलग्गिवारसमय ०८६ क्षे० ७ (ज०) पुढवी जलं च छाया : भावपा० १८ श्राय० ति० १ | समय० १२३ समय० समय० १६६ दव्वस०८ यिमसा० ३७ जबू० प० १३- ८१ दव्वस० य० १३० गो० जी० २१५ परम० प० २-१६ सावय० दो० २०५ तिलो० १० २-३२२ कत्ति० श्रणु० ३७६ भावस० ४२७ भ० श्रारा० १३७२ तिलो० प०४-१५७५ प पंचस० १-६८ सावय० दो० ४१ निलो० प० ४-३३१ वसु० सा० ३०० दव्वस० ११ मुला० ४१६ भ० श्रारा० ६०८ गो० जी० १२४ मूला० १०१६ मूला० १०२७ तिलो० प० ५-३०६ तिलो० सा० १६५ तिलो० प० १-२६५ गो० क० ५३४ गो० जी० १८१ मूला० २०१ भ० श्रारा० २०६६ मूला ४७२ गो० जी० १६६ मूला० १००७ कत्ति ० ० १२४ कल्लाग० १६ गो० जी० ६०१

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