Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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पुरातन-जैनवाक्य-सूची
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Huultezzaht 111
भीमावलि जितसत्त * तिलो० ५० ४-१४३७ | भूदा(या)णुकंपवदजोग-* पचसं० ४-२०१ भीमावलि जिदसत्त * तिलो० सा० ८३६ भूदाणुकंपवदजोग-* गो० क०८०१ भीमावलि जियसत्त * तिलो०प० ४-५१६ भूदाणुकंपवदजोग-* कम्मप०१५६ भीमो य महाभीमो तिलो. सा० २६८ | भूदा य भूदकंता
तिजो० १०६-५५ भीसणणरयगईए भावपा०८ | भूविंदाय सरूवो
तिलो०५०६-१७ भुक्खसमा ण हु वाही भावस० ५१८ भूदीकम्मंज(म्मज)गुलि- अगप०२-१०८ मुक्खाए सतत्तो धम्मर० ३७ भूदेसु दयावरणो
जोगिम०६ भुक्खाकयमरणभयं
भावस० ५२३ भूधरणगिंदणामो जंब० ५०२-१६४ भुजकोडिकदिसमासो तिलो० सा० १२२ भूधरपमाणदीहा
जंव० प०३-१५ मुजकोडीवेदेसु तिलो०प०१-२१७ भूपव्वदमादीया
णियमसा० २२ भुजकोडीसेढिचऊ- तिलो० ५० १-२३५ भू-बादर-तेवीसं
गो० क. ५६५ मुजगा भुजंगसालो + तिलो०प० ६-३८ भू-बादर-पज्जर
गोक० ५२४ भुजगा भुजंगसाली + तिलो० सा० २६१ भू-भद्दसाल साणुग तिलो० सा० ६०० भुजगारप्पदराणं
गो० क. १७१ | भूमझग्गोवासो तिलो० सा० २८८ भुजगारा अप्पदग गो० क० ५५४ भूमिसमरुंदलहुओ
भ० भारा० ६४३ भुजगारा अप्पदरा
गो० क. ५८० भूमहिलाकण्णा(णया)ई- रयणसा० ७६ भुजगारे अप्पदरे
गो० क. ५८१ भूमितणुरुक्खपव्वद- जब० प० २-१६७ भुजपडिभुमिलिदद्धं तिलो० ५० १-१८१ भूमिय मुहं बिसोधिय तिलो०५० ४-२०३१ भुत्तो अयोगुलोसइ(?) रयणसा० १२२ भूमिय मुहं विसोहिय तिलो० ५० १-१०६ भुवणत्तयस्स तासो
तिलो० प०४-७०४ भूमीए चेटुंतो तिलो. प०४-१०२६ तिलो०प०४-६६८
भूमीए मुहं सोहिय तिलो० ५० १-१६३ भुजंतस्स वि विविहे
समय० २२० भूमीए मुहं सोहिय तिलो० ५० १-२२३ भुजंतु वि णिय-कम्मु-फलु परम० प० २-७६ भूमीए मुहं सोहिय तिलो०प०४-२४०१ भुजतु वि णिय-फम्मु-फ्लु परम०प०२-८० भूमीए समं कीला- भ० श्रारा० १५४५ भजंतो कम्मफलं तञ्चसा०५१ भूमीदो दसभागो
तिलो० सा०६७ भजतो कम्मफ्लं तञ्चसा० ५२ भूमीदो पंच-सया
तिलो०प०४-१७८६ भुजंतो वि सुभोया- भ० श्रारा० १३५८ भूमीय(ए)दिणं सोधिय तिलो० प०७-२८० भुजित्ता चिरकाल धम्मर० १७६ भूमी[य]समं देह
धम्मर०६० भुजित्ता मणुलोए
धम्मर० १८० भूमीसयणं लोचो
भावसं० १४६ भुजेइ जहालाहं रयणसा० ११५ | भूयत्थेणाभिगदा +
समय०१३ भुजेदि प्पियणामा
तिलो. प० ५-३६
भूयत्थेणाहिगदा + भुजेइ पाणिपत्तम्मि वसु० सा० ३०३ | भूयवलिपुप्फयंता
दंसणसा०४४ भू-आउ-तेउ-वाऊ
गो० जी० ७३ / भूयबलि पुप्फयंतो भू-आउ-तेउ-वाऊगो० जी० ७२० । भूसण दुमा वि णेया
जंब०प०२-१२० भूदं तु चुद चइदं
गो० क०५६
भूसणसालं पविसिय तिलो०५०८-५७० भूदा इमे सरुवा
तिलो. प०६-४६ ।। भेए लक्खणणियरे
अगप०२-४१ भूदाण रक्खसाणं तिलो० सा० २६० भेए सदि संबंधंx भूदाणं तु सुरुवा तिलो० सा० २६६
भेए(दे)सदि संबंधं ४ भूदाणंदो धरणा- तिलो० सा० २१० भेदुवयारं णिच्छयभूदाणि तेत्तियाणिं तिलो० ५० ६-३३ | भेदुवयारे जइया
मूना० २०३
सुदख०८६
दवस० गय० १६५
गयच०२३ दवस० गय०२३८ दव्वस० गाय०३७४

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