Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 429
________________ प्राकृतपद्यानुक्रमरपर - भेदुवयारो णियमा यच० ६८ भोयणवलेण साहू कत्ति० अणु० ३६१ भेदे छादालसयं + गो० क० ३७ / भोयणु मउणे जो करइ सावय. दो० १४३ भेदे छादालसयं+ कम्मप०१०८ भेदेण अवत्तव्या यो० क.४७५ भेयगया जा उत्चा प्रारा०सा.१६ भेरी पडहा रम्मा तिलो. प०५-१३८६ भेरी-मद्दल-घंटा- तिलो० ५० ५-७४ मइणाणं सुइणाणं माक्सं० २६ भोअण-सयरागिहे वा रिट्ठस० ६२ मइधणुहं जस्स थिरं योधपा० २३ भोगखिदिए ण होति हु तिलो० प० ४-४०६ मइसुअरणाणाई पसं०४-२१ भोगजसरतिरियाणं तिलो० ५० ४-३७४ मइसुअण्णाणाई एस०४-३६ भोगजतिरिइत्थीरण भाववि० ५६ मइसुप्रअण्णाणेसुं पघस०४-१५ भोगणिदाणेण य सामगणं भ० धारा० १२४२ मइसुप्रअण्णाणेसुं पचस०४-४७ भोगभुमा देवाउं ___ गो० क० ६४० मइसुअण्णाणेसुं पचस०४-८७ भोगमहीए सव्वे तिलो० ५० ४-३६४ मइसुअोहिदुगेसुं पंचस०४-८८ भोगरदीए पासो भ० श्रारा० १२७० मई-सुइ-अण्णाणेसुं पसं०५-४३६ भोगहें करहिं पमाणु जिय सावय० दो० ६५ | मइ-सुइ-उवहिविहंगा । भावस० २६. भोगंतरायखीणे जंबू० ५० १३-१३४ मड-सुइ-श्रोहि-मणेहि य पचसं०१-१७६ भोगं व सुरे परचउ- गरे० क०३०४ ! मड-सुइ-ओहीणाणं भावसं० ६३५ भोगा चिंतेदव्या भ० धारा० १२४१ मइ सुइ अोही मणपन्नयं कलाणा०२० भोगाणं परिसंखा भ० श्रारा० २०६२ दन्वस० गय० १७. भोगा पुरागमिच्छे तिलो. प० ४-४१६ | मइ-सुय-प्रोहिदुगाई पंचसं० ४-२२ भोगा पुराणागसम्मे गो० जी० ५३० सम्मह०२-२० भोगा-भोगवदीयो तिलो. प० ६-१२ मउडधरेसुं चरिमो तिलो० प० ४-१४७६ म० श्रारा० १६४२ मउडं कुंडलहारा तिलो. ५० ४-३५६ भोगेसु देवमाणुस्सगेसु म० श्रारा० १६८७ मउयत्तणु जिय मणि धरहि साचय. दो० १३२ भोगे सुरट्ठवीसं गोक०५६७ मउलियवयणं वियसइ रिट्ठस० २१ भोगोपभोगसुक्खं भ० श्रारा० १२४८ मक्कडयतंतुपत्ती- तिलो० ५० ४-१०४३ भो जिभिदियलुद्धय वसु० सा० ८२ मक्खि सिलिम्मे पहिलो(या) रयणसा० ६३ भोत्ता हु होइ जइया दवस० गय० १२८ | मग्ग गुरुउवएसिय सावय. दोन भोत्तु अणिच्छमाणं वसु० सा० १५६ मग्गण उवजोगा चि य गो. जी. ७०२ भोत्तूण गोयरम्गे मूला० ८२७ मगण-गुण-ठाणइ कहिया जोगसा० १० भोत्तरी सिमिसमेत्तं तिलो० ५० ४-६१५ मग्गणगुणठाणेहिं य दव्यसं० १३ भोत्तूण दिवसोक्खं जव०प०६-१७५ मग्गप्पभावण? पचस्थि० १७३ भोत्तूण मणुयभोयं जव० ५० ११-५५ मग्गप्पभावणट्ठ तिलो० ५० 8-८० भोत्तूण मणुयसोक्खं वसु० सा० ५१० मग्गसिरचोदसीए तिलो० ५० ४-५४२ भोमिदंक मझे तिलो० सा० २८४ | मग्गसिरपुरिणमाए तिलो० प०४-६४५ भोमिंदाण पइएणय- तिलो० ५० ६-७६ मगसिरबहुलदसमी- तिलो. ५० ४-६६३ भोयणदाणेण सोक्ख कत्ति० अणु० ३६२ तिलो०प०४-६६७ भोयणदाणे दिएणे कत्ति० अणु० ३६३ मग्गसिरसुद्धदसमी- तिलो०प०४-६६० भोयणदुमा वि णेया जबू० प० २-१३१ | मम्गिणि-जक्खि-सुलोया तिलो० ५०४-११७६

Loading...

Page Navigation
1 ... 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519