Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 411
________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणा २१५ - पवदिसाए विजय तिलो. ५० ४-४२ / पव्वं जहुत्तचारी छेदपि० २४५ पध्वदिमाए विसिहोतिलो० ५० ५-१३२ | पव्व जिणेहि भणियं रयणमा०२ पव्वदिसेण य विजयं जवृ० ५० १-३६ पचं जो पचे दिय रयणसा०८० तिलो०प०४-१०१६ पुव्वंतं अवरतं अंगप०२-४२ पुचधरा तीसाधिय- तिलो० ५० ४-१११५ पच्चं ता वरणेसिं भ० श्रारा०६४ पुत्रवरा पगणाधिय- तिलो० ५० ४-११०३ पध्वं ति-यरणविहिणा लद्विसा० ११२ पव्वपदिरणं पाच्छित्त छेदपिं० २१३ | पुवं दाणं दाऊण वसु० सा० १८५ पुचपमाणकदाणं कत्ति० अणु० ३६७ | पव्वपंचणियट्टी गो० क० ८४२ पत्रपरिणामजुत्तं - कत्ति० अणु० २२२ | | पव्वं पिव वणसंडा तिलो०५०४-२१०३ पव्वपरिणामजुत्त · कत्ति० अगु० २३० पुव्वं पुव्वं ण उद जय० प० १३-१३ पचपरिणदकोत्थुह- तिलो० ५० ४-२४७० पुत्रं वद्धणराऊ तिलो० ५०४-३६८ पव्यमणिदेण विधिणा भ० श्रारा० २०६१ | पुव्यं वद्वसुराऊ तिलो० ५००-३४७ पव्वभवे अणिदाणा तिलो. ५० ४-१५८८ पव्वं व गुहामझे तिलो. प०४-१३६२ पवभवे ज कम्म वसु० सा० १६५ | पव्व व ण चउवीसं गो० क० ७४३ पव्वमकारिदजोग्गो म० श्रारा० १६१ तिलो०प०१-१२६ पुव्वमभाविदजोग्गो भ० श्रारा० २४ पुव्वं मयमुवमुत्त * भ. श्रारा० .४२५ तिलो०प०४-१६३४ पुव्वं सयमुवभुत्तं . भ० श्रारा. १६२६ पवम्मि पंचमम्मि दु कसायपा० १ पुव्व सेवइ मिच्छा रयणसा०७३ पञ्चरदिकेलिदाई मूला० ८५२ | पुवाइदिसचउक्के श्राय० ति०१-१६ भ० श्रारा० २००८ पुवाए कापवासी तिलो. प० ५-१०० पञ्चबरिणदखिदीण तिलो० ५० १-२१५ | पवाए गंधमादण- तिलो० ५०४-२१६० पुव्ववरजीवमेसे तिलो० सा० ७७८ पुबाए तिमिसगुहा तिलो० प० ४-१७६ पुचवरविदेते तिलो० सा० ६७२ पुव्वाण एक्कलक्खं तिलो. प० ४-६४१ पुनविदेहस्सते तिलो०प०४-२१६६ पुयाण फड़याणं लद्विसा० ४६५ पुव्वविदेह व कमो तिलो०प०४-२२६६ पुव्वाणं कोडितिभा- गो० क० १५८ पुचविदेहे णेया जवू० प०८-१६२ पव्वाणं वत्थुसम सुदभ०१० पुवस्स दु परिमाणं जबू० ५० १३-१२ तिलो०प०४-२७६७ पव्वस्सिं चित्तणगो तिलो० ५० ५-२१२२ पुवादिचउदिसासुं तिलो. प० ५-१२१ पव्व आइरिएहिं तिलो०प०१-१६ पुवादिम्हि अपव्वा लद्विसा० ५०१ पव्वं ओलग्गसभा तिलो. प०८-३६४ लद्विसा० ६२८ पुव्व कएण णेया जबू०प०४-१८० | पुव्वादिसु ते कमसो तिलो. प०८-४२६ पुव्वं कदारियम्मो मूला०८३ | पुव्वादिसु पुह अड अड तिलो० सा० ६४७ पव्वं कारिदजोगो भ० श्रारा० १६३ पुवादिसुंअरज्जा तिलो० ५० ५-७६ पुव्वं कयधम्मेण य जवू० प० ६-७६ पत्रापुवप्फड्डय पचस० १-२३ पुव्वंग-तय-जुदाइ तिलो० प०४-१२४६ पुव्वापुव्वप्फट्टय लद्धिसा० ५०७ पुव्वगभहियाणिं तिलो० प०४-१२४८ पुवापुचप्पड्डय गो. जी. ५८ पुव्यगविउलविडवं जय० ५० १३-१७१ पव्वाभिमुहा णेया जवू०प०३-१३७ पुव्वं चउसीदिहदं तिलो० प० ४-२६४ | पव्वाभिमुहा सव्वा जबू०प०४-१४३ पुव्वं चेव य विणओ मूला० ५७६ | पुव्वाभोगियमग्गेण भ० श्रारा० १६८१ पुव्व जल-थल-माया गो० जी० ३६१ । पुवायरियकमागय रिस० १६ रमाण

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