Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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२०२
पुरातन-जैनवाक्य-सूची
पयडिट्ठिदिअणुभागाप- गो० के० ८६ परदबखेत्तकाल
श्रंगप०२-१६ पयडिटिदिअणुभागप्प- दवस० ३३ परदव्यरओ बञ्झदि मोरखपा० । पयडिट्ठिदिअणुभागाप- मूला० १२२१ परदव्वहरणबुद्धी
म. धारा०८७४ पयडिहिदिअणुभागाप- - णियमसा०१८ परद
म० श्रारा ८६१ ययडिट्ठिदिअणुभागाप- - तिलो० ५० १-१७ परदवहरगामीलो
वसु० सा० १०१ पयडिहिदिअणुभागा
पत्थि०७३ परदव्य ते अक्षा पवयणमा०-५७ पयडिटिदिअणुभागो अंगप००-६१ परदव्य देहाई
तजमा०३४ पयडि-पयडिहाणेसु कमायपा०२६ १र
मोरसपा१६ पयडिविवधणमुर्छ, पचस० २-१ परदारम्म फलंग य
धम्मर०५३ पयडी एत्थ सहावो पचम०४-५०८
दवस. एय०३१ पयडीए(इ) तणुकसाओx पचम० ३.०६ परदो अञ्चत्तपदा तिला०प०४-५६० पयहीण(इ) तणुकानाओ x गो० ० ८०६ परदोमगहालिन्छा भ. श्रारा०३४७ पयडोर(इ) तणुकमाओ ४ कम्मप० १५१ परदोसाणं गह
कत्ति पूणु० ३४४ पयडीवासणगंधे मूला० १६ ' परपज्जवहिं अरिम
सम्मइ०३-७ पयडी सील सहावो - गो० क० २ . परपरदुवारण्मु निलो० प० ४-१५२३ पयडी सील सहावो - कम्मप.. परपेमगाउँ णिचं
भावसं०७० पयढक्कसंग्वकाहल- जय० ५०४-२८२ परभावाटो सुएगो .
गयच०७ पयणं पायणमणुमा
मूला० ६३० परभावाठो सुगणों दवस० गय०४०४ पयणं व पायणं वा
मूला० ८३६ । परभिनदाए ज ते भ० नारा० १00 पयणं व पायणं वा मूला० ६२%परमट्टगुणेहि जुदो
णाणमा० ३४ पयदम्मि समारद्ध पबयणमा० ३-१५ परमहयाहिरा जx
समय० १५८ पयदा(एदा) चोहमपिडाप- कम्मप० ६५ परमवाहिरा जे ४ तिलो. प०६-५. पयलापयलुदयेण य: गो० क० २४ परमसुद्धिववहार
छेदपि ० ३१६ पयलापयलुदयेण य; कम्मप० ५० । परमट्टम्हि दु अठिटो
समय० १५० पयलियमाणकसाओ भावपा० ७६ । परमट्टिय विमोहिं
मृला० ६४७ पयलुदयेण य जीवो। गो० क० २५ परमटेण दु आदा
बा० अणु०७ पयलुदयेण य जीवो। कम्मप० ५१ . परमट्टो कालारण
भावसं०३१० परकजं विदिसा श्राय० ति० ५-- परमट्टो स्खलु समओ
ममय० १५१ परगणअणुपट्ठवगो छेदपिं० २७० परमहो ववहारो
वसु० सा०२७ परगणवासी य पुणो भ० श्रारा० ३८७ । परमष्टिंपत्ताण
भ० श्रारा० २१४७ परघाददुगं तेजदु
गो० क० १७५ , परमणगढ़ तु अत्थ जंबू०प० १३-५२ परघादमंगपुण्णो गो० क. १९१ . परमणसिट्टियमढें
गो० जी० ४४७ परवादुस्सासाणं + पचस०२-१०
दवस० गय० १३६ परघादुस्सासाणं + पचस० ४-२३४ / परमपय-गयाणं भासओ परम० ५०२-२१४ परघाय चेव तहा A पचस० ५-१४३ । परमापय झायंतो
मोक्खपा० ४८ परघाय चेव तहा A पचम० ५-१६४ । परमप्पय वड्ढमई
कल्लाणा." परचक्कभीदिरहिदो तिलो० प० ४-२२४६ । परमप्पयस्स रूव परचक्कभीदिरहिदो __ जंबू० ५० ७-३५ परमप्पाणमकुव्वं परतत्तीणिरवेक्खो कत्ति० अगु० ४५६ | परमप्पाणं कुवं
'समय०६२ परतिय वहुबंधणण पर सावय. दो० ५० । परम-समाहि धरेवि मुणि परम० प० २-१६३
पवा
भावस०५०७ समय०६३

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