Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 397
________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणी २०१ पत्तिय तोडहि तडतडह पाहु० दो० १५८ पत्तेयं रयणादी तिलो० ५०२-८७ पत्तिय तोडि म जोइया पाहु० दो० १६० | पत्तेयागुरुणिमिणं पचसं०५-४६४ पत्तिय पाणिउ दत्भ तिल पाहु. दो० १५६ | पत्तेयारण पाऊ कत्ति० श्रणु० १६१ पत्तेक्कइंदयाणं तिलो० ५०३-७१ | पत्तेयाणं उवरिं गो० क० ८१६ पत्तेक्कमद्धलक्खं तिलो० ५० ३-१६० / पत्तेया वि य दुविहा कत्ति० अणु० १२८ पत्तेक्कमाउसखा तिलो०५०३-१७२ पत्तोवएससारो माणसा०६ पत्तेक्कमेक्कलक्खं तिलो० ५० ३-१४६ पत्तो सलायपुरिसो तिलो०५०४-१८ पत्तेक्कमेक्कलक्खं तिलो. प०३-१५७ पत्थतुलचुलयएगप्पहुदी तिलो० सा०१० पत्तेक्करसा वारुणि तिलो० ५० ५-३० | पत्थरमया वि दोणी भावस०५४० पत्तेक्कं अडसमये तिलो. ५० ४-२६५५ पत्थं हिदयाणिटुं भ० धारा०३५० पत्तेक्कं कोट्ठाणं तिलो० ५०४-८६४ | पत्थं हिदयाणिटुं भ० श्रारा०३५८ पत्तेक्कं चउसंखा तिलो० ५०४-७२२ पथवासपिंडहीणा तिलो. सा० ३७० पत्तेक्कं जिणमदिर- तिलो०प०४-१६६७ पदगतमवइकउत्तर? जबू० ५० १२-२० पत्तेक्वंणयरीणं तिलो. प० ४-२४५१ पददलहिदलंस(संक)लिद तिलो. प० २-८३ पत्तेक्कं तह वेदी तिलो० ५०७-७० पदमक्खरं च एक्क म. श्रारा० ३६ पत्तक्कं ते दीवा तिलो. प०४-२७२३ पदमेगेण विहीण तिलो०सा० १६४ पत्तेक्कं दाराणं तिलो. ५०८-३६८ पदमेत्ते गुणयारे तिलो. सा० २३१ पत्तेक्क दुतडाटो तिलो० ५०४-२४०० पदराहय विलबहलं तिलो० सा० १७२ पत्तेक्कं दुतडादो तिलो० प०४-२४०४ पद(ड)लहदवेकपादा-(१) तिलो० प० २-८४ पत्तेक्कं पणहत्था तिलो. प०८-६३६ । पदवग्गं चयपहिदं तिलो. प० २-७६ पत्तेक्कं पायाला तिलो० प० ४-२४२८ पदवग्ग पदहिद तिलो० ५०२-८१ 'पत्तेक्क पुन्वावर- तिलो० ५० ४-२३०३ पदिठवणासमिदी वि य मुला० ३२५ पक्कं रिक्खाणि तिलो० ५० ७-४७४ । पदिसुदिणामो कुलकर तिलो० ५०४-४२४ पत्तेक्कं रुक्खाण तिलो० ५०३-३४ | पदिसुदिमरणादु तदो तिलो०प०४२६ पत्तेक्कं सव्वाणं तिलो. प० ४-१८७४ | पप्पा इ8 विसये पवयणसा० १-६५ पत्तेक्कं सारस्सद- तिलो० ५०८-६३८ पप्फुल्लमउलियाए श्राय० ति०५-१४ पत्ते जिणिंदधम्मे रिट्ठस० ४ | पन्भट्टबोधिलाभा भ० श्रारा० १२८६ पत्तेयदेहा वरणप्फड मूला० ११६६ पन्भारकंदरेसु अ मूला० ७८६ पत्तेयपदा.मिच्छे गो० क० ८५७ | पभणइ पुरओ एयस्स वसु० सा०६० पत्नेयबुद्धतित्थयरगो० जीती ६३० | पभणेइ णिसा दिअहं रिस० ५८ पत्तेयमथिरमसुहं ४ पचसं० ४-२८० पभपच्छलादिपरदो तिलो. प० ८-१०३ पत्तेयमथिरमसुह ४ पसं० ५-७३ | पमत्तेदरेसु उदया पचस०५-३४७ पत्तेयरसा चत्तारि मूला० १०७६ पमदादिचउपहजुदी गो० जी० ४७६ पत्तेयरसा चत्तारि* जबू० प०११-६४ पम्मस्स य सट्टाणसमु- गो. जी. ५४७ पत्तेयरसा जलही तिलो० ५० ५-२६ पम्मा सुपम्मा महापम्मा तिलो० प० ४-२२०६ पत्तेय-सयं-बुद्धा सिद्धभ०७ पम्मा सुपम्मा महापम्मा * तिलो० सा० ६८६ पत्तेयसरीरजुय + पंचस०५-१४१ पम्मुक्कस्संसमुदा गो० जी०५२० पत्तेयसरीरजुयं + पंचसं० ५-१६२ | पम्हा पउमसवण्णा पचस०१-१८४ पत्तेयं पत्तेयं जबू०प०११-२०५ | पयकमलजुयलविणमिय- श्रास० ति०६२ पत्तेय पत्तेय जबू० ५० ११-२६८ | पयडहि(ह) जिणवरलिंगं भावपा०७०

Loading...

Page Navigation
1 ... 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519