Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 376
________________ २५० पुरातन-जैनवाक्य-सूची दारगुहुच्छयवामा तिलो० सा० ५९२ | दिणपडिम-चीरचरिया- वसु० सा० ३१२ दारम्मि वइजयंते तिलो०प०४-१३१४ दिणयरकरणियराहय- जंबू० प०३-१८८ दारवदीए णेमी तिलो. प०४-६४२ दिपायरणयरतलादो तिलो० ५० ७-२७३ दारसरिच्छुस्सेहा तिलो० ५० ४-१८५८ दिणयरमयूहचुंबिय- जंबू० ५० ४-११३ दारस्स उवरि देसे - तिलो० प० ४-७७ दिपारयणिजाणणट्ट तिलो० ५०७-२४५ दारंतरपरिमाणं जव० प० १-४६ | दिवइपहसूचिचए(चीए) तिलो०प० ७-२४४ दाराणि मुणेयवा जंबू० ५० ५-१३ | दिणवइपहसूचिचए(चीए) तिलो०प०७-२३७ दारिदं अढित्तं भ० श्रारा० १८०८ | दिवइपहंतराणि तिलो० प०४-२४३ दारियदुषणयदणुयं दवस. य४१८ | दिप-वरिस-मास-पहरेहिं श्राय०ति०४-१६ दारुणहुदासजाला तिलो० प०२-३३१ दिए।इ सुपत्तदाणं रयणसा०१६ दारे व दारवालो म० श्रारा० १८४२ दिएण' वत्थ सुअज्जियह सावय० दो० २०३ दारोवरिमतलेसुं तिलो० ५०८-३५३ दिएणच्छेदेणवहिद- गो० जी० २९४ दारोवरिमपएसे तिलो. प०४-४५ दिएणच्छेदेणवहिद गो० जी० ४२० दारोवरिमपुराणं तिलो० ५० ४-७४ | दिपंत-रयणदीवा तिलो० ५० ३-५० दासं व मणं अवसं भ० श्रारा० १४१ | दिपंत-रयणदीवा तिलो. प०४-२७ दासी-दासेहिं तहा जवृ० प०३-१११ दिप्पंत-रयणदीवा तिलो० प०४-४६ दाहोपसमण तण्हा मूला० ५५६ दिप्पंत-रयणदीवा तिलो० ५० ७-४४ दिक्खाकालाईयं भावपा० १०८ दिपंत-रयणदीवा तिलो० ५०८-२११ दिक्खागहणाणुकम- दन्वस० णय० ३३७ दिप्पंत-रयणदीवा तिलो० प० -३६८ दिक्खोववासमादि तिलो० ५० ४-१०४६ दियसगट्ठियमसणं भावपा० ४० दिज्जइ धणु दुत्थिय-जण] सुप्प० दो० २२ दिवसप्पडि अट्ठसयं तिलो. प०४-२४३६ दिजदि अपंतभागे लद्धिसा० ५२६ दिवसयरविंबरुंदं तिलो०प०७-२२४ दिजदि तवो वि संठाणा- छेदपि० २६० दिवसिय-रादिय-गोयर छेदपिं० १८४ दिट्ठपरमट्ठसारा मूला ८०७ दिवसिय-रादिय-पक्खिय छेदपिं० २०१ दिट्ठमदिट्ट चावि य मूला० ६०६ दिवसिय-रादिय-पक्खिय मूला १७५ दिलृ पि ण सम्भावं म० श्रारा० १०६ दिवसेण जोयणसयं भ० श्रारा० ५६ दिटुं व अदिट्ट वा भ० श्रारा० ५७५ - दिवसे पक्खे मासे मूला० ४३३ दिट्ठा अणादिमिच्छा- भ० श्रारा० १७ दिवसो पक्खो मासो गो० जी० ५७५ दिट्ठाणुभूदसुद विसयाणं भ० श्रारा० १०६७ दिव्वक्वेत्तेहिं जुदो जवू० प०६-१२८ दिट्ठा पगढ़ वत्थु पवयणसा० ३-६१ दिव्वच्छराहि य समं धम्मर० १७६ दिट्ठा सुरणासुरणे कसायपा० ५५ दिव्वतिलयं च भूमी- तिलो०प०४-१२२ दिट्ठिप्पवादमंगं अंगप०१-७१ दिव्यपुर रयणणिहिं तिलो० ५० ४-१३६१ दिट्ठीइ चप्पिाए रिट्ठस० ३५ दिव्यफलपुप्फहत्था तिलो० सा० १७५ दिट्ठी जहेव (सय पि) गाणं समय० ३२० दिव्ववरदेहजुत्तं तिलो०५०८-२६७ दिट्ठीणं तिरिण सया अंगप० १-७३ दिव्वविमाणसभाए जबू० प०११-२३१ दिढे विमलसहावे तच्चसा० ४२ | दिव्वं अमयाहारं तिलो० प०६-८७ दिट्ठ वि सलिलजोए प्रायः ति० १६-२७ / दिव्वाणि विमाणाणि य धम्मर० १५८ दिढचित्तो जो कुचदि कत्ति० अणु० ३२६ दिव्वामलदेहधरा जबू० प०३-११५ दिगदिमाणं उदयो तिलो० सा० ३६५ : दिव्वामलदेहधरा जवृ०प०४-२२० दि८. ... श्राय० ति० १-१४ । दिव्वामलमउडधरा जवृ० प० २-१५४

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