Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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प्राकृतपद्यानुक्रमणी
१८३
दुप्पहुदिख्ववज्जिद- तिलो० सा० ५६ | दुविहा य होइ गणणा शाय. ति० २२-२ दुभगदुस्सरणिमिणं पघस० ५-६४ दुविहा य होति जीवा
मूला० २०४ दुभगदुस्सरमजस
पचस०४-३६६ | दुविहो खलु पडिवादो कसायपा० ११७(६४) दुभगदुस्सरमजसं पचस० ४-४५३ दुविहो जिणेहि कहियो भावस. ११६ दुव्भगदुस्सरमसुभं पंचस०३-७८ दुविहो तह परमप्पा
णाणमा० ३२ दुन्भावअसुचिसूदग- तिलो० सा० ६२४ दुविहो धम्मावाओ
सम्मइ० ३-४३ दुमणिस्स एक्कअयणे तिलो० ५० ७-५२६ | दुविहो य तवाचारो
मूला० ३४५ दुरदे यच्चावाश्रो श्रायः ति०८-२० | दुविहो य विउस्सग्गो
मूला० ४.६ दुरधिगर्माण उणपरमट्ठ- पंचस० ५-५०२ दुविहो सामाचारो
मूला० १२४ दुरय-हरि-हय-वहम्मि य रिट्ठस० २१३ दुविहो हवेदि हेदू तिलो० ५० १-३५ दुलहम्मि मणुअलोए रिट्ठस० १२ दुविहि अरणाविट्ठी जवृ० प०२-२०३ दुल्लहलाहं लभ्रूण मूला० ७५६ दुसमसुसमावसाणे
सुदख० ६४ दुल्लहु लहि मणुयत्तणउ सावय० दो० २२१ ।
दव्वस० णय० ४२२ दुल्लहु लहिवि णरत्तयणु सावय० दो० २२० । दु-सय-चउसटि-जोयण- तिलो. प० ४-७५२ दुविध तं पि अणीहा भ० श्रारा० २०१६ । दु-सय-जुद-सग-सहस्सा तिलो० प० ४-११२४ दुविधा तसा य उत्ता . मूला० २१८ दु-सया अट्ठत्तीसं तिलो०प०४-१७६ दुविधो य होदि कालो जंवू० ५० १३-२ | दुसहस्सजोयगाणिं तिलो०प०४-२०१८ दुविह-तवे उज्जमण
भावस० १२६ दुमहस्सजोयपाणिं तिलो०प०४-२५५३ दुबिह-परिणामवादं भ० श्रारा. १७७१ दुसहस्सजोयगाणि तिलो०प०४-२८२४ दुविह आसवमग्ग दवस. णय०१५१ | दसहस्सजोयणाधिय- तिलो. प००-१६५ दुविहं खु वेयणीयं
कम्मप० ५२ दुमहस्समउडरद्धा तिलो० ५० १-४६ दुविहं च तत्थ णटुं पाय. ति०१८-२
दुसहस्सं सत्तसयं तिलो०प०४-२६०६ दुविहं चरित्तमोह कम्मप० ५५ दुसहस्सा वागाउदी
तिलो. प०४-२१२५ दुविहं च होइ तित्थ
मूला० ५५८ दुसु तेरे दस तेरस पचस० ५-३२२ दुविह तत्थ भविस्स श्राय. ति०२१-४
तिलो० सा०४८ दुविहं त पुण भणियं भावसं० २६४
दुसु दुसु चदु दुसु दुसु चउ तिलो० सा० ५४३ दुविह तु भत्तपञ्चक्खा- भ. श्रारा० ६५
दुसु दुस तिच उक्केसु य तिलो० सा० ५२६ दुविह तु होइ सुमिण रिट्ठस. ११२
दुसु दुसु तिचक्केसु य मिलो० ५० ५२७ दुविह पि अपज्जत्त
गो० जी० ७०६
दुसु दुस् तिचरक्वेसु य * तिलो. मा० ५२६ दुविह पि एयरूव
रिट्टस. ११४ दुसु दुसु तिचक्के सु य * तिलो० प० ८-५५८ दुविहं पि गथचाय
दसणपा० १४ दुसु दुसु देसे दोसु वि गो० ० ८३५ दुविह पि मोक्खहे उं
दव्वमं० ४७
दुसु दुसु पणइगिवीस श्रास. ति० २३ दुविह संजमचरणं चारित्तपा० २० दुस्समकालादीए
जबृ० प० २-१८३ दुविहा अजीवकाया वसु० सा० १६ दुस्समकाले णेश्रो जव०प०२-११० दुविहा किरियारिद्धी तिलो. प०४-१०३१
दुस्समदुसुमे काले जवृ० प००-१८५ दु वहा चर-अचगो तिलो. प० ७-४६५
दुस्ममसुमम दुम्सम- तिलो० प. ४-३१६ दुविहा चरित्तलद्धी लद्धिसा. १६६ दुस्समसुसमे काले तिलो. प० ४-१६१७ दुविहाणमपुण्णाण कत्ति० अ० १४१ | दुस्समसुसमो तदिओ तिलो०५०४-१५५४ दुचिहा पुण जिणवयणे भ० धारा० ३ दुस्सहस्वमग्गजई
कत्ति अणु० ४४८ दुविहा पुण पदभगा गो० ० ८४४ । दुस्सहपरीमहेहिं य , भ. अरा० ३०१

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