Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 373
________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणी १७७ दस-गव-परणारसाई पंचस० ५-२६४ दसविहमव्वंभमिणं मूला०६६८ अंगप०२-८१ सिद्धत०५ दसविहसच्च जणवद दस तसकाए सरणी दसतालमाणलक्खा- तिलो० सा० ६८६ | दसविहसच्चे वयणे : पचस०१-११ दस-दस-जोयणभागा जबू० प० २-३८ | दसविहसच्चे वयणे :- गो० जी० २१६ दस दस दो सुपरीसह भावपा० ६२ / दसविंदं भूवासो तिलो० प० ४-१९८० दस दस पणोत्ति परणं तिलो. सा० ६६३ / दस वीसं एक्कारस गोक०४६८ दसदसभजिदा पचसु तिलो. सा० ८०८ दससु कुलेसुं पुह पुह तिलो० प० ३-१३ दस दडा दो हत्था तिलो. प० २-२३४ दससुरणपंचकेसव- तिलो० प० ४-१४१५ दसदेवसहस्साणिं तिलो० ५० ५-२१८ दस सरिण असएगीए सिद्धत० ४२ दस दो य भावणाओ मूला० ७६३ | दस सरणीण पाणा ४ पचसं०१-४८ दस दो य सहस्साई जबू० ५० ११-२७३ | दस सरणीणं पाणा ४ गो० जी० १३० दसपारण सत्तपाणातिलो. प०४-२६३७ | दससागरोवमाणं जवृ०प०१३-४२ दसपाणा पज्जत्ती बोधपा० ३८ | दससु च वस्सस्सतो क्सायपा० २०८(१५५) दसपुत्रधरा सोहम्म- तिलो० ५० ८-५५६ | दस सुहमे वि य दुसु णव सिद्धत७७ दसपुबलक्खसमधिय- तिलो० ५०४-५५७ / दह उगणीस य सत्त य पदी० पट्टा०६ दसपुव्वलक्खसमधिय- तिलो० प० ४-५५८ | दह-कुड-णग-रणदीण य जंबू० प. ३-७० दसपुघलक्खसजुद- तिलो० ५० ४-५५५ दह-गह-पंकवदीओ तिलो० ५० ४-२२१३ दसपुबलक्वसजुद- तिलो० ५० ४-५५६ / दहदो गतूणग्गे तिलो० सा० ६६० दसपुबलक्खसजुद- तिलो० ५० ४-५५६ दहपंचयपुवावर- तिलो. प० ४-२३६१ दसपुव्वाणं वेदा श्रगप० ३-४५ / दहभेया पुण जीवा अगप०१-२८ दस वट्ठाणाणि पचस०४-२४२ दहभेया वि य छेदे अगप०३-३६ दसवावीमसहस्सा तिलो० सा० ७५३ । दहमज्झे अरविंदय तिलो० सा० ५७० दस बावीसे णवइगि- पचतं० ५-३८ | दहमज्झे अरविदय- तिलो० प०४-१६६५ दसमंते चउसीदी तिलो. ५० ४-१२१० दहमुहरायस्स सुआ णिव्वा० भ०१० दसमसचउत्थमये तिलो० प०२-२०६ दहलक्खणसजुत्तो - भावसं० ३७२ दसमे अणुराहाम्रो तिलो० ५० ७-४६३ दह्वरिसाणि तयद्धं रिट्ठस० ११५ दसयचऊ पढमतियं गो० क०६६२ दहविह-ठिदिकप्पे वा भ० श्रारा० ४२० दसयसहस्सा णउदी तिलो. प० ४-१७८० दहविह-धम्मजुदाणं कत्ति० अणु० ४१६ दसयसहस्सा तिसया तिलो. प०४-१९८४ दहविहु जिणवर-भासियउ पाहु० दो० २०८ दसयादिसु बंधसा गो० क. ६६५ दहसहसा सुर-णिरये दव्वस० णय. ८६ दसवरिससहरमाऊ तिलो. प०३-११६ दह-सेल-दुमादीणं तिलो० प०३-२३ दसवरिससहस्सादो तिलो० सा० २६३ दहि-खीर-सप्पि-संभव मावस०४७४ दमवस्ससहस्साणि य जबू० ५० १३-१० दहिगुडमिव वामिस्सं + पचसं०१-१० दसवाससहस्साऊ तिलो० प० ६-६२ दहिगुडमिव वामिस्स + गो० जी० २२ दसवाससहस्साऊ तिलो० ५०३-१६२ दहि-दुद्ध-सप्पि-मिस्सेहि वसु० सा० ४३४ दसवाससहस्साऊ तिलो० प०३-१६६ | दंड-कसा-लट्ठिसदाणि भ० श्रारा० १५६३ दसवाससहस्साणिं तिलो. प० ६-८५ दंडण-मुंडण-ताडण- भ० श्रारा० १५६२ दसवाससहस्साणिं तिलो. प० ४-२६२ दडत्तयसल्लत्तय रयणसा० १०५ दसविधपाणाभावो भ० श्रारा० २१३६ दडदुगे ओरालं पचस०१-१६॥ दसविहपाणाहारो भावपा० १३२ । दडपमाणंगुलए तिलो०प०१-१२५ रिट्ठस० र

Loading...

Page Navigation
1 ... 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519