Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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' प्राकृतपद्यानुक्रमणी
१३७
णवरि हु धम्मो मेज्मो भ० पारा० १८२० | ण विणासियं ण णिचं दव्वस० णय० ४२ णवरि तणसथारो भ० ओरा० २०६४ | ण वि तुहु कारणु कज्जु ण वि पाहु० दो० २८ णवलक्खा एवर उदी- तिलो० प० २-६१ ण वि तुहुं पडिउ मुक्खु ण वि पाहु० दो० २७ णविहवभं पयहि
भावपा० ६६ ण वि तं अभित्थुमति य मला०८१७ णववीस-सहस्माणि तिलो० ५० ४-१०६८ | ण वि दुक्ख । वि सुक्खं णियमसा० १७८ रणव सग छदो चउ राव तिलो. प० ४-२८४५ / ण वि देहो वंदिजा
दसणपा० २७ गवसत्तपचगाहा
मूला० २७३ ण वि धम्मो बोछिज्जइ जवू०प०८-१६५ णव सत्त य णव मत्त य तिलो. सा० ७३७ ण वि परिणमइ गिराहइ + समय० ७६ णव सत्तोदयसंता
पचस०५-२३२ ण वि परिणमइण गि(गे)एहइ+तिलो०प०१-६६ णवसय-णउदि-वेसु तिलो० ५० ४-१२४ १ ण वि परिणमइ(दि)ण गिण्हइ (दि) समय० ७७ णवसय सत्तत्तरिहिं
गोक०४८६ | ण वि परिणमइ(दि)ण गिण्हइ(दि) समय० ७८ णव सव्वाओ छक्क + पचस ० ५-१० | ण वि परिणमइ(दि)ण गिण्हइ(दि) समय० ७६ णव सव्याओ छकं +
पचसं०५-२८०
ण वि परिणमाद ण गेएहदि पवयणसा० १-५२ णवसवच्छग्समधिय- तिलो० ५० ४-६४७ | ण वि भुजता विसय-सुह। पाहु० दो०५ णव सासणो त्ति बवो गो० क० ४६० । ण वियप्पदि णाणादो पचस्थि० ४३ णवसु चउक्के इक्के सिद्धत० ४३ || ण वि राग-दोस-मोह
समय० ३०८ णवसु चउक्के एक्के पचस०४-४० ण वि सक्कइ चित्तु जं
समय० ४०६ ण वसो अवसो अवमस्स मूला० ५१५ | ण वि सिज्झइ वत्थधरो सुत्तपा० २३ ण वसो अवसो अवसस्स * णियमसा० १४२ / ण वि होइ तत्थ पुरणं
भावस. ७७ णवहत्था पासजिणे तिलो० ५० ४-५८६ / ण वि होदि अप"मत्तो
समय०६ णवहिन-बावीससहस्स- तिलो. प० २-१८३ ण सद्दहदि जो एदे
मूला० १०११ णव अजोई-ठाण पचस० ५-१७६ | ण समत्थो रक्खेउ
धम्मर० ११४ ण वि अत्थि अण्णवादो सम्मइ० ३-२६ | | ण समुभवड ण णस्सइ दन्वस० णय० ४० ण वि अस्थि माणुसाण धम्मर० १६० ण सय बद्धो कम्मे
समय० १२१ ण वि इंदियउवसग्गा
णियमसा० १७६ ण सहति इयरदप्पं
रयणसा० ११४ ण वि इदियकरणजुदा गो० जी० १७३ ण सुया उ जेण पक्ख्यि- छेदपिं० ११४ ण वि उप्पज्जइ ण वि मरइ परम० प० १-६८
भ० श्रारा० १३४३ ण, वि एस मोक्खमग्गो
समय० ४१० णह(भ)एयपएसत्थो दवस० गय० १३१ णविएहिं जंणविज्जइ मोक्खपा० १०३ णह-जंतु-रोम-अट्ठी-* वसु० सा० २३०
णियमसा० १८० णहदंतसिरणहारू
भावस० ४०८ ण वि कारणं तणादी- भ० श्रारा० १६७२ णह-गेम-जंतु-अट्ठी- *
मूला० ४८४ ण वि कुवइ कम्मगुणे समय०८७
पवयणसा०२-१३ ण वि कुवदि ण वि वेयइ समय० ३१६ ण हर्वाद समणो त्ति मदो पचयणसा० ३-६४ ण वि को वि जाइ मयरो जबू० प० ७-१२६ ण हि आगमेण सिझदि पचयणसा० ३-३७ ण वि खुम्भड से सेएणो- जंबू० प०७-१३५ | ण हि इदियाणि जीवा पचस्थि० १२१ ण वि गोरउरा वि सामलउ पाहु० दो० ३०ण हि गिरयगदी पिण्ह-ति भावति० १०६ ण वि जाणइ कजमकज्जं रयणसा० ४० | ण हि शिरवेक्वो चागो पवयणसा० ३-२० ण वि जागाइ जिण-सिद्धस- रयणसा० १२७ ण हि तम्हि देसयाले
मूला० ६२ ण वि जाणाइ जोग्गमजो- रयणसा० ४१ ण हि तस्स तरिणमित्तो पवयणसा०३-१७ २(ज) ण विणा वट्टदि रणारी पवयणसा०३-२४क्षे १०(ज) ण हि तं कुणिज्ज सत्तू- भ० भारा० १३६४ . .

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