Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 370
________________ १७४ पुरातन-जैनवाक्य-सूची TIT थूणाओ तिरिण देहम्मि भ० श्रारा० १०३२ | दक्खिण-उत्तरदो पुण कति. अणु० ११६ थूलफलं ववहारं तिलो० सा० १८ | दक्षिण-उत्तरदो पुण जबू० प०४-१७ थूलसुहुमादिचारं तिलो० प० ४-२५०३ / दक्षिण-उत्तर-भाए तिलो. ५०४-२५३० थूलसुहुमादिचार जंबू० ५० १०-६७ दक्षिण-उत्तर-भागेसु जबू०प०११-३ थूले तसकायवहे चारित्तपा० २३ दक्खिण-उत्तर-वावी- तिलो० सा० ६३१ थूल सोलसपहुदी गो० क० ७६० दक्खिणदिससेढीए तिलो प० ४-११५ थूहादो पुत्र दिसो जवू० ५० ५-४४ दक्खिणदिसाए अरुणा तिलो. प० ८-६३६ थूहो जिणविवचिदो तिलो. सा. ६६६ दक्खिणदिसाए णंदो तिलो० ५० ४-२७७४ थेयाई (तयादी) अवराहे समय० ३०१ दक्खिणदिसाए णियइ रिट्ठस० १२३ थेरस्त वि तवसिस्स वि भ० श्रारा०३३१ दक्खिणदिसाए दूरं जबू० ५० ११-३०४ थेरं चिरपव्वइयं मूला० १८१ | दक्खिणदिसाए पलिय तिलो० ५० ५-१५० थेरा वा तरुणा वा भ० श्रारा० १०७० दक्खिणदिसाए भरहो तिलो. प० ४-६७ थेरो वहुस्सुदो पञ्चई भ० श्रारा० १०६८ तिलो०प०८-६१७ थोऊण जिणवरिंद जबू०प०४-२६६. दक्खिणदिसाविभागे तिलो०प०४-१६५४ थोणा(ला)इदूण पुव्वं भ० श्रारा० ४६० तिलो. प०४-२३१८ थोतेहि मंगलेहि य वसु० सा० ४१५ दक्खिणदिसाविभागे ज० प०४-११८ थोदूण थुदिसएहिं तिलो० प०८-५८२ दक्खिणदिसाविभागे जबू०प०६-३५ थोदूण थुदिसएहिं तिलो० ५० ४-८७२ | दक्षिणदिसाविभागे जबू० प० ३-६५ थोलाइदूण पुव्व भ० श्रारा० १५१६ दक्खिणदिसासु भरहो तिलो० सा० ५६४ थोवाइयस्स कुलजस्स भ० श्रारा० १५२२ दक्खिणदिसेण णेया जबू० प० -८२ थोवम्हि सिक्खिदे जिणइ मूला० ८६७ दक्खिणदिसेण णेया जब० प० १०-३१ थोवा तिरिया पंचिंदिया मुला० १२० दक्खिणदिसेण तुगो जंब० प०८-५ थोवा तिसु संखगुणा गो० जी० २८० दक्खिणदेसे विझे दसणसा० ४५ थोवा दु तमतमाए मूला० १२०६ दक्षिण-पच्छिम-कोणे जव० प० ३-६६ थोवा विमाणवासी मूला० १२१६ दक्षिण-पच्छिम-भागे जब० प० ४-१३८ थोस्सामि गुणधराणं जोगिभ०१ दक्खिणपीढे सक्को तिलो० प० ४-१८२७ थोस्सामि हं जिणवरे थोस्सा. १ दक्खिणपुवदिसाए जब० प० ४-१३७ दक्खिणपुवदिसाए __ जब० प० ३-६२ दक्खिणपुवदिसाए जब० प० ६-१६२ दक्षिणमरहस्सद्धं तिलो० ५०४-२६४ . दइवमेव परं मण्णे गो० क०८६३ दक्खिणभरहे जीवा तिलो सा० ७६६ दइवा सिझदि अत्थो अगप० २-३१ दक्खिणभरहे णेया जबू० प० २-६६ दक(ग)णामो होदि गिरी तिलो०प० ४-२४६६ दक्षिणमुह आवत्ता तिलो० ५० ४-१३८५ दक्खा-दाडिम-कदली- तिलो० प० ५-१११ | दक्षिणमुहं बलित्ता तिलो० सा० ५८३ दक्षिण-अयणं आदी तिलो० प० ७-५०१ जबू०प०६-१०४ दक्षिण-अयणे पंचसु तिलो० सा० ४१५ | दक्षिणमुहेण तत्तो तिलो० प० ४-५३३ दक्षिण-इंदस्स जहा जबू० प० ४-२६६ दक्षिणवरसेढीए दक्षिण-इंदा चमरो तिलो० ५० ३-१७ दट्ट विहिंसणीय दक्खिण-उत्तर-इंदा तिलो० प्र० ३-३ | दळूण अण्णदेवे । धम्मर दक्खिण-उत्तर-देवी तिलो० सा० ५२४ , दळूण अण्णदोसं भ० श्रारा० ३७२ जबू०प०२-३६ भ. श्रारा०१००५

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