Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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पुरातन-जैनवाक्य-सूची
णिरया हवंति हेट्ठा बा० अणु० ४० णिव्यियही पुरिमंडल- छेदपिं० २०३ णिरये इयरगदीसुर
भावति० ४६ णिबुदिगमणे रामत्तणे मूला० १९८७ हिरये ण विणा तिर्ण हैं गो० क० ५२३ । णिव्वेगतियं भावइ
बा० अणु० ७८ णिरयेव होदि देवे
गो. क. १११ णिव्वेद(य) समावएणो समय० ३१८ णिरये वा इगिणउदी गो० क. ६२३ णिसधकुमारी गया जंवृ० प० ६-१३३ णिरयेहि णिग्गदाणं मूला० ११६१ णिसधगिरिस्स दु मूल जंचू० ५० ३-२२६ हिरवेक्खे एयते ___ दव्वस० णय० ६६ } णिसधगिरिस्सुत्तरदो जवृ० १० ११-६७ णिरुवक्कमस्स कम्मरस भ० श्रारा० १७३४ णिसधस्सुच्छेहसमा जवृ० १० ११-४. णिरुवममचलमखोहा बोधपा० १३ णिसधादो गंतूणं
जवू. प०६-८६ णिरुवमरुवा पिट्ठिय- तिलो० ५० 8-१६ णिसहकुरुसूरसुलमा- तिलो० ५० ४-२०८६ णिरुवमलावएणजुदा तिलो० ५० ४-४७६ णिसहदहो य पढमो जंवू० ५० ६-२ बिरुवमलावरणतणू तिलो० ५० ४-२३४४ णिसहधराहरउवरि तिलो. प० ४-२०६३ णिरुवमलावरणाओ तिलो० प०८-३२१ णिसहवणवेदिपाले तिलो. प० ४-२१३८ णिरुवमवड्दततवा तिलो. प०४-१०५४ | णिसहवरवेदिवारण- तिलो० प०४-२१४२ णिरुवहदजटरकोमल- जंबू० प० ११-२२१ । णिसहसमाणुच्छेहो तिलो० प०४-२५३१ गिलो कलीए अलियस्स भ० श्रारा० ६८२ णिसहम्स य उत्तरदो जंबू० ५०७-२ शिल्लक्खणु इत्थी वा- पाहु० दो० ६६ णिसहस्सुत्तरपासे तिलो. १०४-२१४४ गिल्लूरह मणवच्छो भारा० सा० ६८ णिसहस्सुत्तरभागे तिलो. प० ४-१७७२ णिवडंतमलिलपउरा जब०प०३-१७१ णिसहावसाण जीवा तिलो० सा० ७७६ णिवदिविहूणं खेत्तं ४
मूला० ६५१ णिसहुवरि गंतव्वं तिलो. सा. ३६१ णिवदिविहूणं खेत्तं x भ० श्रारा० २६५ हिसिञ्ण णमो अरह- वसु० सा० ४७१ णिवसंति बह्मलोयरसते तिलो० सा० ५३४ । णि सिउरण पंचवरणा
णाणसा०२४ णिवत्तअत्थकिरिया दन्वस० णय० २०५ णिसिदित्तं अप्पाणं
भ० श्रारा० ६४६ गिबत्तिअपज्जत्ते भावति०५७ णिसुरांतो थोत्तसए
भावस० ४१४ णिव्वत्तिसुहमजेहूं
गो० क० २३४ हिस्सरिदूणं एसो विलो०प०४-२४३ णिव्ववएण तदो से भ० धारा० ४६८ णिस्सल्लस्लेव पुणो भ० धारा० १२१४ णिव्वाधादेणेदा कसायपा० १६ णिस्सल्लो कदसुद्धी
भ. श्रारा० ७२१ णिव्वाणगदे वीरे तिलो०प०४-१५०१ हिस्ससइ रुयइ गायड
वसु० सा० ११३ णिव्वाणठाण जाणि वि णिन्वा० भ० २६ णिस्संका णिवकंखा वसु० सा० ४८ णिव्वाणमेव सिद्धा णियमसा० १८२ हिस्संकापहुदिगुणा कत्ति० अणु० ४२४ शिवाणसाधए जोगे
मूला० ११२ हिस्संकिद णिक्कंखिद * मूला० २०५ णिव्वाणस्स य सारो भ० श्रारा० १३ णिस्तंकिय णिक्कंखिय चारितपा० ७ णिव्वाणे वीरजिणे तिलो. प०४-१४७२ हिस्संकियसंवेगा
वसु० सा० ३२१ णिव्वाणे वीरजिणे तिलो. ५० ४-१४६७ णिस्तंकियसंवेगा
वसु० सा०३४१ णिवावइत्त संसा- भ० धारा० २१४४ हिस्संगो चेव मदा भ. श्रारा० ११७५ णिवित्तदव्वकिरिया णयच० ३३ हिस्संगो णिम्मोहो
भावस० ६१८ णिव्विदिगिच्छो रायो ३५ वसु० सा०५३ हिस्संगो णिरारंभो
- मूला० १००० णिबिदिगिच्छो राया * भावस० २८५ णिस्संधी य अपोल्लो भ. श्रारा० ६४४ णिव्वियडिआदिया जे छेदपिं० २२८ | हिस्सेणीकट्ठादिहि णिव्वियडी पुरिमंडल
छेदपिं० ५ णिस्सेदत्तं णिम्मल- तिलो०प० ४-८६४
मूला० ४४२

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