Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 353
________________ प्राकृतपद्यानुक्रमणी १५७ ए तस्स फलं जगपदरो तिलो० सा० १३१ । तस्स विजयस्स मज्झे जबू० ५०८-१० तस्स फलेणित्थी वा वसु० सा० ३६५ तस्स वि य लोगपाला जंबू० ५० ११-३११ तस्स बहुदेसमझे जब० प० ११-२२८ तस्स हु उवरि होदि य जबू० प० ६-१५३ तस्स बहुमझदेसे ____जबू०प० ६-६० जब० प०३-१५७ तस्स बहुमज्झदेसे तिलो. ५०४-२१५१ | तस्साइ लहुबाहुँ तिलो० ५० १-२३३ तस्स बहुमज्झदेसे तिलो०प०४-१८६३ लद्धिसा० ४३४ तस्स बहुमज्झदेसे जवू० प०४-१६ | तस्सिस्साण सुद्धी छेदपि० २५६ तस्म बहुमज्झदेसे जंवू०प०६-१५० तस्सिस्साणं सोही * छेदपिं० २४७ तस्स बहुमज्झदेसे वसु० सा० ३६६ तस्सिं अज्जाखंडे तिलो० प०४-२७७ तस्स बहुमज्झभागे तिलो० ५० ४-२३४६ | तस्सिं असोय-देओ तिलो० ५० ५-२३६ तस्सभंतररुदो तिलो० ५० ४-२२६ तसि काले छन्विह- तिलो० प०४-३३४ तस्समयबद्धवग्गण गो० जी० २४७ तस्सिं काले मणुवा तिलो०प०४३६७ तस्म मुहग्गढवयणं णियमसा० ८ | तस्सि काले होदि हु तिलो. प०४-४६५ तस्सम्मत्तद्धाए लद्विसा० ३४५ | तस्सिं कुवेरणामा तिलो० प०४-१८५० तस्स य अंगोवंग पचसं० ५-१४० तिलो. प०५-२०४ तस्स य अंगोवंगं* पचस०.५-१६१ तस्सि जबूदीवे तिलो० प० ४-६० तस्स य उत्तरजीवा तिलो०प०४-१६२३ तस्सि जिणिंदपडिमा तिलो० प० ४-१५६ तस्स य उदयट्ठाणा पचसं०५-३६६ तस्सिं णिलए णिवसइ तिलो० प० ४-२५८ तस्स य एक्कम्हि दए तिलो० ५० १-१४४ तस्सिंदयस्स उत्तर- तिलो० प०८-३४. तस्स य करह पणाम बोधपा० १७ तस्सिदयस्स उत्तर- तिलो० ५० ८-३४२ तस्स य गुणगणकलिदो जवू० प० १३-१६२ तस्सिंदयस्स उत्तर- तिलो. प०८-३४८ तस्स य चूलियमाण तिलो. प० ४-१६२५ | | तस्सिं दीवे परिही तिलो. प. ४-५० तस्स य जवखेत्ताण सिलो० ५० १-२६५ | तस्मिं देवारपणे तिलो. प०४-२३१५ तस्स य थलस्स उवरि तिलो० ५० ५-१८७ / तस्सिं पासादवरे तिलो० ५० ४-१६६३ तस्स य दीवस्सद्ध जवू० प० ११-५८ | तस्सि पासादवरे तिलो. प०४-१९६५ तस्स य पढमपएसे तिलो० प०४-१२७५ तस्सिं पि सुसमदुस्सम- तिलो० ५० ४-१६१४ तस्स य पुरदो पुरदो तिलो० प०४-१८६६ | तस्सि वाहिरभागे तिलो० प०४-२७३२ तस्स य वत्तसुभवणे तिलो० ५०४-२३५६ तस्सिं सजादाणं तिलो० प० ४-३६८ तस्स य सहलो जम्मो कत्ति. अणु० ११३ तस्सिं सजादाण तिलो. प०४-४०६ तस्स य सतट्ठाणा पचस०५-३६६ तस्सुच्छेहो दडा तिलो० ५० ४-४४४ तस्स य सतट्ठाणा पचस०५-४०६ तस्सुच्छेहो दंडा तिलो. प. ४-४४८ तस्स य सतहाणा पचस० ५-४१२ तिलो० प० ४-४५३ तस्स य सामागीया तिलो०प०५-२१४ | तस्सुच्छेहो दंडा तिलो० ५० ४-४६० तस्स य सिस्सा गुणव दसणसा० ३. | तस्सुत्तरदारेणं तिलो० ५० १-२३५१ तस्म रतस्स पुणो धम्मर० ४३ तस्सुप्पएणो पुत्तो भावस० २१४ तस्स वणस्स दु मज्झे जवू०प०४-४८ तस्सुवदेसवसेण तिलो०प०४-१३२५ तस्स वयणं पमाणं जवृ० ५० १३-१३७ गो० जी०१०४ तस्स वरपउमकलिया। जबू० प० ३-७६ | तस्सुवरि सिद्धाणलय वसु० सा० ४६३ तस्स वि उत्तममज्झिम- श्राय० ति० २३-४ तस्सुवरि सुक्कलेस्सा पचस०५-३६८ तस्स विजयस्स ऐया जबू०प० ८-११६ । तस्सुवरि पासादो तिलो० सा० २८६

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