Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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पुरातन-जैनवाक्य-सूची
जेण कसाय हवति मणि परम० ५०२-४२ / जे दव्यपज्जया खलु
मूला० ५८१ जेण कोधो य माणो य मूला० ५२७ | ज दंसणेसु भट्ठा
दसणपा०८ जेण जदा ज तु जहा अंगप० २-२२ / जे दसणेसु भट्ठा
दसणपा० १२ जेण ण चिरणउ तव-यरणु परम०प० २-१३५ । जे दिट्ठा सूरुग्गमणि परम०प०२-१३२ जेण णिरंजणि मणु धरिउ परम०प०३-५२३क्षे ३ जे धणवत ण दिति धणु सुप्प० दो० ३६ जेण णिरंजणि मणु धरिउx पाहु० दो० ६२ | जे पच्चया वियप्पा पचसं०४-१७३ जेण तच्च विबुझेज
मूला० २६७ जे पच्चया वियप्पा पचसं० ४-१६६ जेण मरणोविसयगया- सम्मह०२-१६ जे पज्जयेसु हिरदा पवयणसा०२-२ जे णयदिट्ठिविहीणा *
णयच०१० जे पढिया जे पांडया पाहु० दो० १५६ जे णयदिट्ठिविहीणा * दव्वस० णय० १८१ जे परभावचए वि मुणि जोगसा० ६३ जेण रागा विरज्जेज
मूला० २६८ जे परमप्प-पयासयह परम० प० २-२०६ जेण रागे परे दवे
मोक्खपा०७१ | जे परमप्प-पयासु मुणि परम प०२-२०४ जेण विजाणदि सव्वं पंचत्थि० १६३ / जे परमप्प: भत्तियर परम० प० २-२०८ जेण विणा लोगस्स वि सम्मइ० ३-६८ क्षे०१ जे परमप्पु णियंति मुणि परम० ५० १-४ जेण विणिम्मियपडिमा- गो० क० ६६६ | जे परिणामविरहिया
धम्मर०५६ जे णवि मरणहिं जीव फुडु जोगसा० ५६ जे पंचचेलसत्ता
मोक्खपा० ७६ जेण सरूविं झाइयइ परम० प० २-१७३ | जे पचेदियतिरिया तिलो. १०८-५६२ जे ण सहत्थहिं णिय य धणु सुप्प० दो० १६ जे पावमोहिदमई
मोरखपा० ७८ जेण सहावेण जदा कत्ति० अणु० २७७ जे पावारंभरया
रयणसा०११२ जेण सुदेउ सुणरु हवसि सावय०दो० १५५ जे पि पडंति च तेसि
दंसणपा० १३ जेण हु मज्झ हव्वं वसु० सा०७४ जे पुग्गलदव्वाणं
समय० १०१ जेणिय-बोह-परिट्ठियह परम० ५० १-५३ जे पुण कुभोयभूमी- वसु० सा० २६१ जे हिरवेक्खा देहे तिलो०प०८-६४७ | जे पुण गुरुपडिणीया
मूला०७१ जेणुन्भियथंभुवरिम
गो० क. १७१ जे पुण जिणिंदभवण वसु० सा० ४८२ जेणेगमेव दव्वं भ० श्रारा० १८८३ जे पुण पणहमदिया
मूला० ६० जेणेव हि संजाया पवयणसा० १-३८ जे पुण भूसियगंथा
भावस. १३५ जेणेह पाविदव्वं मूला० ७५० जे पुण विसयविरत्ता
सीलपा०८ जेणेह पिंडसुद्धी मूला० ५०१ जे पुण विसयविरत्ता
मोक्खपा०६८ जे तसकाया जीवा वसु० सा० २०८ / जे पुण सम्माइट्ठी
वसु० सा०२६५ जे तियरमणासत्ता
भावसं० २३ | जे पुण सम्मत्ताओ भ० श्रारा०५४ (१०) जेत्तिय कुंडा जेत्तिय तिलो० ५० ४-२३८६ जे पुणु मिच्छादिट्टी
भावस० ५६४ जेत्तिय जलणिहि-उवमा तिलो० ५०८-५५१ जे पुन्चसमुद्दिट्टा
वसु० सा० ४४७ जेत्तिय तुडिचडि धावइ दम्महु सुप्प० दो० ६८ जे पुव्वुत्ता संखा
जवृ०प० १२-७६ दव्वप० णय० १४० | जे बावीस-परीसह
सुत्तपा० १२ जेत्तियमेत्ता पाऊ तिलो०प०३-१६१ | जे भव-दुक्खह बीहिया परम० ५० २-२०७ जेत्तियमेत्ता पाऊ _ तिलो०३-१७४ / जे भंजति विहीणा तिलो. प० ४-२५०८ जेत्तियमेत्ता तस्सिं तिलो० प०४-१७६२
तिलो०प०३-२०३ जेत्तियविज्जाहरसे- तिला०प०४-२३८७ जे भोगा किल केई
मूला० ७०८ जेत्तो वि खेत्तमेत्तं गो० जी० ४७२-२०२ जे मज-मस-दोमा जेत्तूण मेच्छराए तिलो० ५०४-१३८६ जेम सहावि णिम्मलउ परम० ५०२-१७७
।
नी
वसु० सा०६०

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