Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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ज
जुगवेदक साहि जुगवे कमाएहिं जुज्जइ सबंधवमा
जुण पाचलम इल जुणो व दरिदो वा
जुत्तरस तवधुराए जुत्ता घरणावहिघरणाजुत्तीसु जुत्तमग्गे जुतोपमारइ तो सुदा - सुदि (?) पक्रा जुवराय व कलत्ताणं (?) जुवला जुवला जादा जू - महु-मज्ज- मसं जू धरहु हारिण पर जूगा-गुंभी-मक्करजूगाहिय लिक्खाहि जूयं खेतस्स हु जूय मज्ज मसं जे जधागहिदत्था
जे अत्यपज्जया खलु जे अतरभागे जे अभियोग-पइरणयजे श्रम सुभा एहि जे उपरणा तिरिया जे उपरणा तिरिया जे उप्परगा गमी
तीस
जे कय कम्मपत्ता कम्मभूमिजादा जेम्मभूमिजादा जे कम्मभूमिजादा कम्मभूमिमा जे कुव्वति भत्ति जे केइ अण्णाणतवेहिं जुत्ता
जे के वि उवएसा
जे केई उवसग्गा
जे के विदव्वसवरण जेोहमा माया जे खलु इदियगेज्मा
प्राकृत पद्यानुक्रमणी
पचस ५-४० जे गच्छादो संघा गारवेहिं हिदा
पचस० ५-३०६
सम्मइ० ३ - २१ | जे गेरहात सुवरपभ० रा० १०६६ | जे (ज) चिच्छसि विक्खंभं भ० रा ० ६५६ | जे छांडय मुणिसंघ भ० श्रारा० ६६१ | जे जत्थ गुणा उदया तिलो० प० ८- ६२४ | जे जाया मारणग्गिए इव्वस० य० २६६ | जे जिगलिंगु धरे वि मुरिण भ० प्रा० ६४५ | जे जिरणवणे कुसला जे जुत्ता परनिरिया जे जुत्ता रतिरिया जे जे जम्हि फसाए जे जेट्ठदारपुर दो जे भार्यंत सदव्वं
पचयणसा० १-७० तिलो० प० ७-७६ तिलो० प०८ - २१६ | जनू० १०६ - १७१ | रिस० ५ सावय० दो० ३८ जेट्टपरित्ताणतं पचधि० ११५ | जेट्टभवणारण परिदो भ० सारा० मह | जेट्ठम्मि चावण्हे वसु० सा० ६० जेट्ठवर द्विदिवधे वसु० सा० ५६ | जेटू सिदवारसीए पचयणसा० ३-७१ | जेट्टस्स किएहचोदसिमूला० ३६६ | जेटुस्स किए चोदसि - तिलो० प० ४ - २४७५ | जेहरम बहुल चोस्थीतिलो० प०८-२६६ | जेट्टस्स बहुवारसिभ० श्र० १४१५ | जेट्टस्स बारसीए जवृ० प० ११-१७६ | जेनंतरसंखाटोजंबू० प० ११-१८६ जेट्टाए जीवाए जबू० प० १२-८५ | जेट्ठाओ साहाश्रो पंचसं० ४ - २४० जेट्ठाण मज्झिमाणं भावसं० २७ जेद्वाणं विच्चाले जबू० प० २ - १५० जेट्ठा ताओ पुह पुह
जवू० ० ६- १७२ | जेट्टा ते संलग्गा जंबृ० प० ११ - १०४ | जेट्ठा दो-सय- दंडा जवृ० प० ३ - २३५ | जेट्ठाचाहोचट्टियतिलो० प० ४-२५०६ जेट्ठा मूल पुवुत्तर तिलो० प०३-२४१ जेट्ठा मूले जोरहे वसु० सा० ३३३ | जेट्ठावरबहुमज्झिम
मूला० ६५५ | जेट्ठावरभवणाणं भावपा० १२० जेट्टे समयपबद्धे तिलो० १०३ - २०६ | जेण श्रगालिउ जलु पियउ पंचधि० 8 जेण कमेण पाओ,
१२१
छेदपिं० १७६
भ० श्रारा० १४४
तिलो० प० ४-२५०७
तिलो०प०४ - २५८०
तिलो० प० ४-२५०४
पंचसं० ५-३२१
परम० प० १-१
परम० १० २ - ६१ कप्ति० श्र० १६४
तिलो० प०४-२१४४ तिलो० प०५-२६१ क्सायपा० ६८ (१५) तिलो० प० ४-१६२०
मोक्खपा० १६
तिलो० सा० ४७
तिलो० सा० २६६ तिलो० प०४-१८६
लद्धिसा० म
तिलो० प० ४-५४०
तिलो० प० ४-११६७ तिलो० प० ४-११६८ तिलो० प० ४-६५८
तिलो० प० ४-६५६ तिलो० प० ४-२३८ तिलो० प० ४-२४२४
तिलो० प० ४-१८७
तिलो० प० ४-२१५४
तिलो० प० ४-२४२६ तिलो० प० ४-२४१२
तिलो० सा० ४४८ तिलो० प० ४- २४११ तिलो० प० ४-२३
गो० क० १४७ तिलो० सा० ४३३
भ० प्रा० ८६६ गो० जी० ६३१ तिलो०
० सा० २६८
गो० क० १८ सावय० दो० २७ श्राय० ति० २१-६

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