Book Title: Puratan Jain Vakya Suchi 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust
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प्राकृतपद्यानुक्रमणी
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उवोगा जोगविही पंचसं० ४–४/ उबरिमगुणहाणीयं गो० क० ६४४ उवओगा जोगविही पंचस० ४-५४A उपरिमगेवज्जेसु य
मूला० १०६८ उपोगो खलु दुविहो पचस्थि. ४० उवरिमजलस्स जोयण- विलो० प० ४-२४०३ उवोगो जदि हि सुहो पवयणसा० २-६४ उवरिमतलविक्खंभो विलो. प०६-११ उवोगो दुवियप्पो - दबसं०४ उपरिमतविक्खभो विलो. प० ७-६५ उवकुदि जो वि णिच्चं पवयणसा० ३-४६ उवरिमतलविक्खभो तिलो. प० ७-१८ उवगहिदं उवकरणं भ० श्रारा० १६६३ उवरिमतलविक्खंभो विलो०प०७-१०० उवगृहणगुणजुत्तो
वसु० सा० ५५ उवरिमतलवित्थारो तिलो० ५०७-१०६ उवगृहणगुणजुत्तो
भावस० २८३ । उवरिमतलस्स चेदि तिलो० ५० ४-२१४६ उवगृहण-ठिदिकरण भ० श्रारा० ४५
तिलो०प० ७-८५ उवगृहणादिया पुव्वुत्ता __ मूला० ३६५ उवरिम दुय चउवीस य पचप्स. ५-२२१ उवगृहणादिया पुव्वुत्ता भ० थारा० ११४ उवरिमपच्छिमपडला तिलो• सा० १७३ उवघादमसग्गमण गो० क० ४४ / उवरिमपंचट्ठाणे
पंचसं० ५-४०८ उवघादमसग्गमणं
कम्मप० ११५ उवरिमभागा उज्जल- तिलो० प०४-७७८ उवघादहीणतीसे
गो० क. १६७ उवरिमलोयायारो तिलो प० १-१३८ उवधायं कुन्वतस्स
समय० २३६ उबरिम्मि इंदपाणिं तिलो. प०८-२०८ उवघायं कुव्वंतस्स
समय० २४४ उवरिम्मि कंचणमो तिलो० प० ४-१८०६ उवजोगवग्गणाओ कसायपा० ६५ (१२) । उवरिम्मि णिसहगिरिणो तिलो० ५० ७-४३४ उवजोगवग्गणाहि य कसायपा० ६६ (१६)। उवरिम्मि णीलगिरिणो तिलो० ५० ४-२११४ उवजोगो वएणचऊ गो० जी० ५६४ / उवरिम्मि णीलगिरिणो तिलो० ५०४-२३३० उवदेसेण परोक्खं समय० १८६ क्षे० ११ (ज) उपरिम्मि णीलगिरिणो तिलो० ५० ७-४४६ उबदेसेण सुराणं तिलो० ५० ४-१३३७ | उवरिम्भि ताण कमसो तिलो० प० ४-२४६७ उवधिभरविप्पमुक्का मूला० ७६६ उवरिम्मि देवि वत्थ
रिट्ठस. १४५ उवभोगमिदिएहिं
समय० १६३ उवरिम्मि माणुसुत्तर- तिलो० प० ४-२७६२ उवभोज्जमिदिएहिं पचत्थि० ८२ | उवरिल्लपंचया पुण।
पचसं०४-७६ उवमातीत ताणं तिलो. ५० ४-७०६ उवरिल्लपंचये पुण
गो० क. ७८८ उवयरणठवण लोहे
छेदस० २८ | उवरि वि माणुस्सुत्तर- तिलो० प० ४-२७५३ उवयरणदंसणेण य गो० जी० १३७ | उवरि समं उक्कीरइ
लद्धिसा० २४१ उवयरणदसणेण य पचस०१-५५ | उवरि उदयहाणा
लद्धिसा० ५१४ उवयरण जिसमग्गे पवयणसा०३-२५
तिलो०प०६-८२ उवयरण तं गहियं भावसं० १२८
जंबू०प०११-३५४ उवयारा उवयारं
णयच०७१ उवरिं उसुगाराणं तिलो० ५० ४-२५३६ उवयारा वयारं दवस० णय० २४१
तिलो०प०५-१२० उवयारिओ वि विणो वसु० सा० ३२५ | उवरिंदो वजित्ता
पचस० ५-४५० उवयारेण वि जाणइ दव्वस० णय०२६० उवरीदो णीसरिदो
जबू० प०४-६ उवरदपावो पुरिसो पवयणसा० ३-५६ उवलद्धपुरणपावा
- मूला० ८३५ उवरदबंधे चदु पंचगो० क० ६३२ | उववज्जइ दिवलोए
भावसं० ४८३ उवरदबंधेसुदया
गो० क० ७४५ / उववजिदूण जुवला जंवू० प० २-१५१ उवरयबंधे इगिती
पचस०५-२४६ उववणकाणणसहिया जंवू० प० २-४१ उवरिमखिदिजेहाऊ तिलो०प०२-२०८ | उवव
तिलो० प०४-८४१
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