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का स्वामिवात्सल्य हुआ था। पूरे गाँवको ध्वजापताका से शृङ्गारा गया. था । मानो इन्द्रपुरी देख लो! : : . . श्रावण वदी ११, १२, १३ को अष्टान्हिका व्याख्यान पू० श्रीने रोचक शैलीसे सुनाया । वदी १३ सामको चढावा बोलकर श्री गणेशः मला कल्पसूत्र को अपने घर पर ले गये थे। रात्रि जागरण आदि के द्वारा श्रुतज्ञान की भक्ति की थी। सुबहको वरघोड़ा चढ़ाके उपाश्रयः ले आके श्री गणेशमलजीने पू० आ० श्रीको कल्पसूत्र वहोराया था । ; . पांच ज्ञानपूजा, गुरुपूजन आदिका चढ़ावा अच्छे प्रमाणमें हुआ आ। - - श्रावण वदी अमावस, आज दोपहको स्वप्न दर्शन की क्रियायें चालू होनेपर हजारों रुपियों का चढावा बोलना शुरू हुआ । पारणा .. गृहांगण ले जानेका चढावा ३५१ मन घी बोलके श्री खुशालचंदजी ने लिया था। इसके बाद पू० आचार्यश्रीने मधुर भाषामें परमात्मा का. जन्मवांचन सुनाया था । लोगोंमें आनंद आनंद व्याप्त हो गया था।
भा० मु. ३-४ आज क्षमापना का महा पर्व संवत्सरी दिवस होनेसे वारसासूत्र वहोराने का चित्रदर्शन का, पांच पूजाका, गुरुपूजाका वगैरह चढावा अच्छे प्रमाणमें हुआ था ।
८ बजे वारसा सूत्रको वांचनेकी शुरूआत हुई थी। वारसासूत्र. पूर्ण होनेके बाद बाजते-गाजते चैत्यपरिपाटी निकली थी।
भा० सु० ५ आज सुबह तमाम तपस्वियों के पारणा तथा साधर्मिक वात्सल्य शाह हंसराजजी की तरफ से हुआ था। पू. आ० . देव श्रीकी पुण्य कृपासे इस प्रकार पयूषण पर्व सुन्दर रीतसे उजवे गये।
१ मासक्षमण, ५-११ उपवास, ५-९ उपवास, २० अठ्ठाई, .... ५० अठुम, २० चौसठ प्रहरी पौषध वगैरह तपश्चर्या और ३ स्वामी .. वात्सल्य रथयात्रा आदि अनुष्ठान हुए थे । देवद्रव्य में रुपया तीन. हजार, ज्ञान द्रव्यमें सोलह हजार और उपाश्रय के लिये पैतीस हजार . "हुये थे।