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अट्ठम की आराधना.:-.. .. ..
श्रावण वदी ३-४-५ को शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवानके सामुदायिक _ 'अट्ठम में संख्यावंध भाई-बहन जुड़ गए थे । तपस्वियोंके पारणा और
उत्तरवारणा का लाभ दो पुण्यशालियोंने लिया था । .. जोगकी मंगल समाप्ति :
- पू. मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजयजी महाराजने गांवके सद्भाग्य · से महानिसीथ सूत्रके बड़े. जोगकी जेठ वदी १० से शुरुआत की।
जिस जोगका, पारणा श्रावण वदी ४ को आता होने से बहुतसे भाईयों ___ को गृहांगण पंगला कराने का मनोरथ जगा था । उसके अनुसंधान में
उछामणी बोलने पर १००१) रु. बोलके श्री केसरीमलजीने पू. आचार्य . श्री आदि मुनिवरोंको संघके साथ गाजते-वाजते स्वगृहमें पगला कराके अनेरा लाभ लिया था ।
इस मासमें बहुतसे भाई-बहेनोंने तपश्चर्या की थी। उन सबने यू० गुरुदेव श्रीको गाजते वाजते स्वगृहमें पगलां कराके पारणा. किये थे।
.. श्रावण बंदी ९ के सुबह उडके संघकी आगे से स्वीकारी हुई विनती के अनुसार पयूषण पर्व कराने के लिये पू० म० श्रीको लेने के .. . लिये उडसे भाई कहां पधारे थे । . ...पू. आ० श्रीकी आज्ञा से मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजयजी म.
आदि ठाणा उड-पधारते ही संघके भाई-वहन सन्मुख आये थे। भव्य स्वागतपूर्वक उपाश्रय में पधारे थे । . ... .... . ... श्रावण वदी. १० को मुनिराज श्री. रसिकविजयजी आदि पू० श्री की आज्ञासे पर्युषणा. कराने के लिये नारादरां पधारते. ही भाई-बहन सन्मुख आये थे ..... .. ........ ..:: · पर्वाधिराज की : पधरामणी :-.:::..: . . . . . .. आवती कालसे प!षण पर्वका आरम्भ होनेसे आज सामको गाँव